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Belagavi Issue: कर्नाटक और महाराष्ट्र के फेर में फंसा बेलगावी, राजनेताओं के बीच जुबानी जंग फिर से शुरू

कर्नाटक और महाराष्ट्र के सियासत-दान के बीच बेलगावी को लेकर एक बार फिर जुबानी जंग छिड़ चुकी है। कन्नड़ियों के लिए बेलगावी और महाराष्ट्र वालों के लिए बेलगाम दो राज्यों के फेर में फंसा है। जानें क्या है महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच बेलगावी विवाद?

By Devshanker ChovdharyEdited By: Published: Sun, 27 Nov 2022 05:24 PM (IST)Updated: Sun, 27 Nov 2022 05:24 PM (IST)
कर्नाटक और महाराष्ट्र के फेर में फंसा बेलगावी, राजनेताओं के बीच जुबानी जंग फिर से शुरू।

बेंगलुरु, आइएएनएस। कर्नाटक और महाराष्ट्र के सियासत-दान के बीच बेलगावी को लेकर एक बार फिर जुबानी जंग छिड़ चुकी है। कन्नड़ियों के लिए बेलगावी और महाराष्ट्र वालों के लिए बेलगाम दो राज्यों के फेर में फंसा है। कर्नाटक और महाराष्ट्र के राजनेता इसको लेकर सक्रिय हो गए हैं और इस पर अब कानूनी तरीके से विचार कर रहे हैं। दोनों राज्यों के नेता इस जिले को लेकर अपने-अपने दावे कर रहे हैं। बता दें कि बेलगावी कर्नाटक का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला जिला है।

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क्या है महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच बेलगावी विवाद?

बेलगावी में 60 प्रतिशत आबादी मराठी बोलते हैं और बाकी के करीब 40 फीसद लोग कन्नड़ भाषी हैं। बता दें कि बेलगावी का असली नाम बेलगाम है और ब्रिटिश शासनकाल में बाम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा हुआ करता था। भारत को अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद जब भाषा के आधार पर पहली बार राज्यों का गठन किया गया, तब 1956 में बेलगावी कर्नाटक का हिस्सा बन गया। हालांकि महाराष्ट्र लगातार करवार, निप्पनी और करीब 800 गांवों के अलावा बेलगाम की वापसी की मांग कर रहा है। महाराष्ट्र सरकार मराठी भाषी कुल 7,000 एकड़ कर्नाटक क्षेत्र पर दावा ठोक रही है, जिसे कर्नाटक सिरे से खारिज कर रहा है।

बेलगावी को लेकर सिफारिश पर नहीं हुआ अमल

बता दें कि 1966 में केंद्र सरकार द्वारा गठित महाजन आयोग ने 264 गांवों को महाराष्ट्र में स्थानांतरित करने की सिफारिश की और 247 गांवों को कर्नाटक में रखने की बात कही थी। हालांकि, महाराष्ट्र ने रिपोर्ट को खारिज कर दिया जबकि कर्नाटक ने इसका स्वागत किया था। रिपोर्ट पर अमल होना अभी तक बाकी है। कई वर्षों तक महाराष्ट्र एकीकरण समिति (MES) इस क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी की भूमिक में रही। MES ने महाराष्ट्र में मराठी-बहुल क्षेत्रों के विलय के लिए अभियान चलाया था। MES के उम्मीदवार कई निर्वाचन क्षेत्रों से कर्नाटक विधानसभा के लिए नियमित रूप से विधानसभा चुनाव जीतते रहे। साथ ही MES ने बेलगावी नगरपालिका को भी नियंत्रित किया। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में MES पिछड़ गई और भाजपा ने इस पर अपना शासन कायम किया। महाराष्ट्र ने 2007 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां मामला लंबित है। इस बीच, कर्नाटक ने 2012 में बेलगावी में एक नए विधान सभा भवन का निर्माण किया और विधानसभा के शीतकालीन सत्र हर साल यहां आयोजित किए जाते हैं।

राजनेताओं के बीच बेलगामी को लेकर जुबानी जंग शुरू

इस क्षेत्र को लेकर अक्सर कन्नड़ और मराठी कार्यकर्ताओं के बीच संघर्ष देखा जाता है। साथ ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच जुबानी जंग छिड़ा हुआ है और सबसे महत्वपूर्ण बता ये है कि दोनों नेता भाजपा से हैं। वर्तमान में, दोनों राज्यों में भाजपा सत्ता में है। साथ ही बेलागवी नगर निगम पर भी भाजपा का शासन है। अब ये मामला इसलिए सुर्खियों में है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को अपने दावों को पुख्ता करने के साथ-साथ केंद्र सरकार के साथ पैरवी करने के प्रयासों को फिर से शुरू कर दिया है।

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