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मिस्त्री को हटाने पर विवाद, अदालत की तरफ बढ़ी टाटा मुखिया की लड़ाई

जबकि मिस्त्री का खेमा शपूरजी पालोनजी परिवार कानूनी लड़ाई को लेकर गुणा भाग कर रहा है। पालोनजी परिवार इस पर बुधवार को फैसला कर सकता है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Tue, 25 Oct 2016 10:47 PM (IST)Updated: Wed, 26 Oct 2016 07:35 AM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । टाटा समूह के निदेशक बोर्ड ने सोमवार को समूह के चेयरमैन साइरस मिस्त्री को हटा कर जो विवाद शुरु किया है उसका खात्मा अभी दिखता नहीं दिख रहा है। मंगलवार को टाटा समूह के अंतरिम चेयरमैन रतन टाटा और साइरस मिस्त्री ने इस बात के संकेत दे दिए कि वे चेयरमैन पद को लेकर अब कानूनी लड़ाई भी लड़ने को तैयार है। टाटा समूह ने एक साथ देश के प्रमुख अदालतों में कैविएट दायर कर अपने इरादे बता दिए हैं कि उन्होंने बहुत तैयारी के साथ साइरस को बाहर का रास्ता दिखाने का फैसला किया है। जबकि मिस्त्री का खेमा शपूरजी पालोनजी परिवार कानूनी लड़ाई को लेकर गुणा भाग कर रहा है। पालोनजी परिवार इस पर बुधवार को फैसला कर सकता है।

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टाटा समूह ने मंगलवार को सुबह ही सुप्रीम कोर्ट, मुंबई उच्च न्यायालय और कंपनी लॉ बोर्ड में एक साथ कैविएट दायर कर यह अर्जी दी कि पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री के निष्कासन को लेकर किसी भी मामले पर सुनवाई से पहले उनकी बात भी सुनी जाए। सूत्रों के मुताबिक समूह को इस बात का अंदाजा था कि मिस्त्री किसी अदालत से चेयरमैन के स्थगन का आदेश ला सकते हैं। इसके बाद तय साफ हो गया कि अब देश के सबसे प्रतिष्ठित कारपोरेट हाउस के मुखिया का मामला कानूनी पचड़े में फंस सकता है। इसके तुरंत बाद ही शपूरजी पलोनजी के सूत्रों की तरफ से यह बताया गया कि वे भी अदालत की शरण में जाने को तैयार है। हालांकि फिर मिस्त्री का यह बयान आया कि वह मामले को अदालत में खींचने पर विचार नहीं कर रहे हैं। लेकिन इसके बाद देर शाम तक यह स्पष्ट हो गया कि टाटा समूह में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी रखने वाली शेयर फर्म पलोनजी ने यह संकेत दे दिया कि वह हर विकल्प पर विचार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक बुधवार को इस बारे में दो टूक फैसला हो सकता है।

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कानूनी दांवपेंच पर मशविरा

सूत्रों के मुताबिक टाटा समूह ने पहले से ही कई दिग्गज वकीलों से विस्तृत विचार विमर्श के बाद ही साइरस के निष्कासन का फैसला किया था। मंगलवार को भी कंपनी के वरिष्ठ वकीलों के बीच लगातार विचार विमर्श हुआ है। इसमें कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और हरीश साल्वे जैसे नाम शामिल हैं। इनमें से कुछ वकीलों ने टाटा समूह के टीवी चैनलों पर इस फैसले के पक्ष में अपने विचार भी रखे। माना जा रहा है कि मिस्त्री की तरफ से लॉ फर्म शरदूल अमरचंद मंगलदास के साथ संपर्क किया गया है। कानून की नजर में टाटा समूह के इस फैसले को चुनौती दे कर पलोनजी परिवार को बहुत कुछ हासिल नहीं होगा। मौजूदा कंपनी कानून के मुताबिक निदेशक बोर्ड के अधिकांश सदस्य चाहे तो वोटिंग के जरिए चेयरमैन को हटाने का प्रस्ताव पारित कर सकते हैं। यहां भी यही हुआ है। टाटा समूह के निदेशक बोर्ड के नौ सदस्यों में से सात ने साइरस मिस्त्री को हटाने के प्रस्ताव का समर्थन किया है।

क्या मिस्त्री ने हटने से किया था इनकार

सूत्रो की मानें तो रतन टाटा का कदापि यह विचार नहीं था कि चेयरमैन के निष्कासन की नौबत आए। इस बारे में उन्होंने स्वयं मिस्त्री से बात की थी और निदेशक बोर्ड के अधिकांश सदस्यों के मत से अवगत कराते हुए यह प्रस्ताव किया था कि वह स्वेच्छा से पद छोड़ दे। लेकिन मिस्त्री इसके लिए तैयार नहीं हुए। उनके इनकार के साथ ही टाटा समूह के मुखिया के बदलाव का काम शांतिपूर्ण तरीके से पूरा करने की तैयारी धरी की धरी रह गई।

शेयरों में तीन फीसद की गिरावट

उम्मीद के मुताबिक मंगलवार को टाटा समूह की कंपनियों के शेयरधारकों को अच्छा खासा नुकसान उठाना पड़ा। टाटा स्टील के शेयरों में सबसे ज्यादा 2.51 फीसद की गिरावट दर्ज की गई। टाटा पावर में 1.5 फीसद, टीसीएस में 1.20 फीसद और टाटा मोटर्स के शेयरों की कीमत में 1.07 फीसद की गिरावट दर्ज की गई। समूह की सभी सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों में आई गिरावट से निवेशकों को 10,700 करोड़ रुपये का चूना लगा है।

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