Jagran Investigation: दिल्ली समेत कई राज्यों के निजी कॉलेजों में बरेली के तस्करों का बड़ा रैकेट
पांच माह पहले गिरफ्तार ड्रग्स सप्लाई करने के आरोपित संजय (बाएं) और रोहित (फाइल फोटो) साभार एसटीएफ।
नई दिल्ली, इनवेस्टीगेशन ब्यूरो। नशे की सबसे बड़ी मंडी उप्र के बरेली से निकली तस्वीर डराने वाली है। बांग्लादेश, नेपाल, ओडिशा, झारखंड और मणिपुर से लाई गई अफीम से बनी स्मैक दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड सहित कई राज्यों के निजी डिग्री कॉलेजों में खपा दी जाती है। नारकोटिक्स के बड़े अधिकारी इस
बात को स्वीकारते हैं। कहते हैं कि ड्रग्स माफिया का जाल कॉलेजों तक फैलना बेहर्द ंचताजनक है। तस्करों ने सप्लाई की पूरी चेन बनाई है। बरेली से रामपुर-सहारनपुर और फिर उत्तराखंड के देहरादून तक स्मैक की सप्लाई होती है। दूसरा रूट सीधे दिल्ली का है। जहां से मामू गिरोह सीधे सप्लाई करता है। वहां से गिरोह के सदस्य अन्य प्रदेशों तक सप्लाई करते हैं।
उत्तराखंड में सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां : देहरादून के निजी कॉलेजों में सबसे ज्यादा स्मैक खपाई जाती है। छोटे तस्कर माल लेकर सीधे वहां पहुंचते हैं। मीरगंज का खुर्शीद पिछले साल स्मैक लेकर वहां पहुंचा था। वह गिरफ्तार हो गया था। पिछले साल बीस अगस्त को देहरादून पुलिस ने बरेली स्थित फतेहगंज पश्चिमी के भूरा और कामरान को पकड़ा था। इसी महीने फतेहगंज पश्चिमी की ही मलिका कुरैशी व ताहिर को भी स्मैक सप्लाई में गिरफ्तार किया गया। सहारनपुर निवासी प्रवीन और शबनम बरेली से ड्रग्स लेकर देहरादून पहुंचे थे। दोनों को विकासनगर में पकड़ा गया था।
देहरादून पुलिस का रिकॉर्ड बताता है कि 2017 में बरेली के दस और सहारनपुर के 18 तस्करों को वहां पकड़ा गया। 2018 में 1064 तस्कर गिरफ्तार हुए। यानी औसतन रोजाना तीन तस्कर पुलिस के हत्थे चढ़े। इससे चार गुना तस्कर अपने मंसूबों को अंजाम देते रहे होंगे। 2019 में चरस के साथ 171 व स्मैक के साथ 307 तस्करों को पकड़ा गया। इन सभी की गिरफ्तार निजी कॉलेजों के आसपास से हुई थी।
बरेली में पकड़े जाते हैं छात्र : देहरादून के छात्र स्मैक खरीदने के लिए खुद भी बरेली पहुंच जाते हैं। पिछले साल रेलवे जंक्शन पर 25 युवाओं को पकड़ा गया था। इनमें से कुछ निजी कॉलेजों में पढ़ाई करते थे तो कुछ उनके लिए ड्रग्स लेकर जा रहे थे। बरेली के फतेहगंज पश्चिमी में देहरादून की चार लड़कियां अक्सर स्मैक खरीदने आती हैं। इनमें एक लड़की निजी डिग्री कॉलेज के बराबर में रेस्टोरेंट चलाती है। तीन अन्य हैं, जो पहले पढ़ाई करते वक्त स्मैक की लती हुईं। अब वे नशे के साथ तस्करी भी करने लगीं।
पंजाब के निजी कॉलेज के छात्र बन गए सप्लायर : नारकोटिक्स ब्यूरो के एक अधिकारी बताते हैं कि पश्चिमी उप्र के तस्करों ने दिल्ली के रास्ते पंजाब तक तस्करी का जाल फैलाया हुआ है। तीन साल पहले एक निजी कॉलेज में सप्लाई करने वाले चार युवकों को पकड़ा गया था। उनमें से दो उस कॉलेज के छात्र थे, जबकि बाकी दो पूर्व छात्र। कॉलेज से निकलने के बाद वे इसी धंधे में लग गए थे।
पहला रूट: बरेली से रामपुरसहारनपुर और फिर उत्तराखंड के देहरादून
दूसरा रूट: बरेली से सीधे दिल्ली का, यहां से मामू गिरोह करता है अन्य राज्यों में सप्लाई
दिल्ली में तस्करों का बड़ा जाल : फतेहगंज पश्चिमी के तस्करों ने दिल्ली को अपना ठिकाना इसलिए बनाया ताकि दूसरे प्रदेशों तक ड्रग्स की सप्लाई आसानी से कर सकें। इनमें चर्चित नाम रिफाकत का है। दिल्ली पुलिस ने उस पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। वह बंगाल के मालदा से ड्रग्स लेकर आता था और राजधानी व एनसीआर में सप्लाई करता था। इसके लिए उसने पुराना ट्रक खरीदा हुआ था और बंगाल का परमिट भी बनवा लिया था। मादक पदार्थ लाते वक्त उसके गिरोह के रामपुर निवासी मोहम्मद शाहिद व फतेहगंज पश्चिमी के इरफान को 2018 में मालदा में गिरफ्तार किया गया था। पिछले साल दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने फतेहगंज पश्चिमी में दबिश देकर उसे गिरफ्तार कर लिया था। सात सितंबर 2018 को बरेली के टिक्का राम और राजपाल को भी किशन गढ़ इलाके से दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इसी साल 13 मार्च को नार्दर्न रेंज की पुलिस ने मामू गिरोह के अंकुश, अमित और मुकेश को चार किलोग्राम हेरोइन के साथ गिरफ्तार किया गया था।
लखनऊ के केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो के एसपी एसके सिंह ने बताया कि पश्चिमी उप्र के कुछ जिलों और दिल्ली, उत्तराखंड, पंजाब तक ड्रग्स की तस्करी के बारे में पता चला था। इस पर लगातार अभियान चलाकर कार्रवाई भी की गई। रोकथाम के लिए दूसरे प्रदेश के अधिकारियों से इनपुट साझा किए गए हैं। बांग्लादेश, नेपाल, ओडिशा, झारखंड व मणिपुर से लाई गई अफीम से बनी स्मैक दिल्ली, हरियाणा, पंजाब में हो रही सप्लाई।