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सुरक्षित रहेंगे बैंक ग्राहकों के हित

बैंकों में जमा राशि को सुरक्षित बनाए रखने और उस पर बीमा कवरेज को लेकर बाजार में फैली आशंकाओं को खारिज करते हुए सरकार ने स्पष्ट किया है कि उसकी इस तरह की कोई मंशा नहीं है।

By Jagran News NetworkEdited By: Published: Thu, 07 Dec 2017 09:47 PM (IST)Updated: Thu, 07 Dec 2017 10:00 PM (IST)
सुरक्षित रहेंगे बैंक ग्राहकों के हित
सुरक्षित रहेंगे बैंक ग्राहकों के हित

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। एक कानून के जरिये बैंकों में जमा राशि को सुरक्षित बनाए रखने और उस पर बीमा कवरेज को लेकर बाजार में फैली आशंकाओं को खारिज करते हुए सरकार ने स्पष्ट किया है कि उसकी इस तरह की कोई मंशा नहीं है। जिस फाइनेंशियल रिजोल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल (एफआरडीआइ) में संशोधन को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं, उसके बारे में सरकार का कहना है कि संशोधन से ग्राहकों के हितों की रक्षा व बेहतर तरीके से की जा सकेगी।

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सरकार की तरफ से यह स्पष्टीकरण तब आया है जब सोशल मीडिया पर और बैंक कर्मचारियों के कुछ संगठन लगातार मीडिया में ऐसे बयान दे रहे है कि इस संशोधन के जरिये बैंकों में जमा एक लाख रुपये तक की राशि पर मौजूदा बीमा की सुविधा समाप्त की जा रही है।..साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि अगर किसी वजह से बैंक या बीमा कंपनी संकट में फंसती है तो उसके ग्राहकों की राशि का इस्तेमाल इस वित्तीय संकट को दूर करने के लिए किया जा सकता है। इसे 'बेल-इन' प्रावधान कहा जाता है। यह सूचना भी फैलाई जा रही है कि मुश्किल के समय बैंक या बीमा कंपनी में कितनी राशि सुरक्षित रहेगी, इसकी नई सीमा तय की जाएगी जो मौजूदा सीमा से कम होगी। यह विधेयक बैंक ग्राहकों के साथ ही बीमा क्षेत्र के ग्राहकों के हितों को भी प्रभावित करती है।..वित्त मंत्रालय ने इस बारे में प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आश्वस्त किया है कि वैधानिक तौर पर कर्ज लेने वालों या जमाकर्ताओं के हितों से जुड़ी सभी सुविधाएं पहले की तरह जारी रहेंगी।..

सनद रहे कि इस विधेयक के बारे में सबसे पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2017-18 में घोषणा की थी।..केंद्र सरकार ने 11 अगस्त, 2017 को एफआरडीआइ में संशोधन करने के लिए लोकसभा में विधेयक पेश किया था। अभी संयुक्त संसदीय समिति इस विधयेक पर विचार कर रही है। समिति इससे जुड़े हर पक्ष के सुझावों पर गौर करते हुए संशोधन विधेयक पर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। यह विधेयक हर तरह के बैंकों में चलने वाले वित्तीय विवादों को तेजी से निपटाने का रास्ता साफ करेगा। इससे किसी भी तरीके से सरकारी बैंकों को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से गारंटी देने की मौजूदा व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं होगा और न ही यह बिल इस संबंध में सरकार के अधिकारों में कटौती करता है।

उलटे यह व्यवस्था की जा रही है कि जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करते हुए उनसे जुड़े मामलों का तेजी से निपटारा हो सके। इसके साथ ही केंद्र सरकार की तरफ से यह आश्वासन दिया गया है कि देश के बैंकों का ढांचा बेहद मजबूत है। बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी है और सरकार कानूनी तौर पर ग्राहकों के हितों की रक्षा करने में पूरी तरह से सक्षम है।


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