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बांग्लादेशी हिंदुओं को चाहिए अल्पसंख्यक मंत्रालय, CAA को लेकर खास उत्साह में नहीं हैं ढाका के हिंदू

भारत से आए मीडिया दल के साथ बातचीत में मोहनगर सर्बोजोनीन पूजा समिति के प्रेसिडेंट मोहिंदर कुमार नाथ ने कहा कि सीएए उसके लिए है जो अपनी जन्मभूमि छोड़ना चाहते हैं। बांग्लादेश के हिंदू अपनी जमीन नहीं छोड़ना चाहते।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Thu, 09 Jun 2022 09:29 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jun 2022 11:09 PM (IST)
अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दों के लिए विशेष मंत्रालय बनाने की मांग (फोटो सोर्स: रायटर)

जयप्रकाश रंजन, ढाका। भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति और हाल के दिनों में कुछ घटना विशेष को लेकर बांग्लादेशी मीडिया व राजनीतिक वर्ग में हलचल काफी है लेकिन यहां के हिंदुओं की सोच कुछ अलग है। हिंदू समुदाय मौजूदा प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल से काफी खुश है और वो मानते हैं कि उनकी स्थिति में सुधार हुआ है। साथ ही वो यह भी कहते हैं कि उन्हें पूरी तरह से सुरक्षित महसूस कराने के लिए सरकार की तरफ से बहुत कुछ किया जाना शेष है। हिंदू समुदाय की एक खास मांग यह है कि जिस तरह से भारत में अल्पसख्यकों के हितों की पैरवी करने के लिए अल्पसंख्यक आयोग है, उसी तरह से बांग्लादेश में भी एक अल्पसंख्यक आयोग या मंत्रालय का गठन होना चाहिए। हिंदू समुदाय के नेता भारत सरकार की तरफ से प्रस्तावित सिटीजनशिप एमेंडमेंट एक्ट (CAA) को लेकर बहुत उत्साहित नहीं हैं और इनका साफ तौर पर कहना है कि इससे बांग्लादेश के हिंदुओं का कोई भला होने वाला नहीं है।

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भारत से आए मीडिया दल के साथ बातचीत में मोहनगर सर्बोजोनीन पूजा समिति के प्रेसिडेंट मोहिंदर कुमार नाथ ने कहा कि सीएए उसके लिए है जो अपनी जन्मभूमि छोड़ना चाहते हैं। बांग्लादेश के हिंदू अपनी जमीन नहीं छोड़ना चाहते। बहुत ज्यादा मुश्किल होने पर ही कोई जन्मस्थान छोड़ता है। हम यहां पर ही मुस्लिम समुदाय के साथ रहना चाहते हैं लेकिन यह तभी पूरी तरह से संभव होगा जब हिंदुओं को पूरी सुरक्षा मिले। यह काम सरकार व प्रशासन के स्तर पर ही संभव है। यह पूछे जाने पर कि सरकार को क्या कदम उठाने चाहिए तो उनका कहना था कि सबसे पहले यह जरूरी है कि यहां भी एक अल्पसंख्यक आयोग बने और अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दों के लिए विशेष मंत्रालय बने। इसके साथ ही वो यह जोड़ते हैं कि मौजूदा प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के दौरान हिंदुओं की स्थिति में काफी सुधार आया है।

12 प्रतिशत अल्पसंख्यक हैं बांग्लादेश में

बांग्लादेश में मोटे तौर पर अभी 12 प्रतिशत अल्पसंख्यक हैं। इसमें दस प्रतिशत हिंदू और शेष दो प्रतिशत में ईसाई, बौद्ध या दूसरे धर्म के लोग हैं। अल्पसंख्यक हिंदू और उनके पूजा स्थल इस पड़ोसी देश में कई बार में कट्टरपंथी दलों के निशाने पर होते हैं। भारत में जो होता है उसका असर भी यहां कई बार पड़ता है। दोनों देशों के बीच बहुत ही मजबूत संबंध होने के बावजूद जब भारत सरकार ने अगस्त, 2019 में जम्मू व कश्मीर से अनुच्छेद-370 समाप्त करने का फैसला किया तो बांग्लादेश के कई शहरों में जमात-ए-इस्लामी पार्टी के नेतृत्व में भारत विरोधी प्रदर्शन हुए थे।

पीएम शेख हसीना के कार्यकाल में दुर्गा पूजा समारोहों की संख्या हुई दोगुनी

पिछले वर्ष भी दुर्गापूजा के दौरान देश के कई पूजास्थलों पर हिंसक भीड़ ने हमला किया था। खास तौर पर पूर्वोत्तर बांग्लादेश के कोमीला और ब्रह्मनबाडि़या जैसे इलाकों में हालात नाजुक थे। सरकार को बड़े पैमाने पर सैन्य बल तैनात करना पड़ा था। एक हकीकत यह भी है कि पीएम शेख हसीना के कार्यकाल में यहां होने वाले दुर्गा पूजा समारोहों की संख्या दोगुनी हो गई है। नाथ बताते हैं कि पहले पूरे देश में 10-15 हजार स्थलों पर दुर्गा पूजा होती थी लेकिन अब इनकी संख्या बढ़ कर 30 हजार हो गई है। ढाका स्थित ढाकेश्वरी राष्ट्रीय मंदिर की दूसरे समुदायों की तरफ से ली गई 1.6 बीघा जमीन भी लौटा दी गई है। बांग्लादेश हिंदू, बौद्ध, क्रिश्चियन परिषद के प्रेसिडेंट डा. नीमचंद्र भौमिक का कहना है कि धीरे-धीरे सरकार व पुलिस फोर्स में अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी बढ़ाई गई है। उदाहरण के तौर पर पहले पुलिस फोर्स में सिर्फ पांच प्रतिशत हिंदू थे लेकिन अब उनकी संख्या बढ़कर 10 प्रतिशत हो गई है।


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