बाहुड़ा रथ यात्रा संपन्न, सिर्फ कोरोना नेगेटिव सेवकों को ही दी गई रथ खींचने की अनुमति
बहुदा रथ यात्रा 13 दिनों तक चली थी और कोरोना नेगेटिव सेवकों को ही रथ खींचने की अनुमति दी गई थी।
पुरी, एएनआइ। शनिवार को श्री जगन्नाथ की बाहुड़ा (वापसी) यात्रा संपन्न हो गई है। ये यात्रा 13 दिनों तक चली थी और कोरोना नेगेटिव सेवकों को ही रथ खींचने की अनुमति दी गई थी। बता दें कि श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा की तरह बाहुड़ा यात्रा में भी भक्त शामिल नहीं हुए थे।
बहुदा यात्रा 12 वीं शताब्दी के जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह में भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ की वापसी का प्रतीक है, जिसे 'नीलाद्री बीज' कहा जाता है। सिर्फ उन सेवकों को रथ खींचने की अनुमति दी गई थी, जिनका कोरोना टेस्ट नेगेटिव आया था।
कोरोनो वायरस महामारी के कारण, इस साल ज्यादा लोग रथ यात्रा देखने नहीं आ सके थे। ज्यादातर लोगों ने घर रहकर टीवी पर ही यात्रा देखी।
बता दें कि श्रीक्षेत्र धाम पुरी में सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर बिन भक्तों की महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा निकाले जाने के बाद प्रभु की बाहुड़ा यात्रा निकाली गई थी। बाहुड़ा यात्रा की शुरूआत 1 जुलाई से हुई थी। इसमें शामिल होने वाले श्रीमंदिर के सभी सेवक, पुलिस कर्मचारियों का कोविड परीक्षण किया गया था। वहीं शहर के लोगों से रथयात्रा की ही तरह बाहुड़ा यात्रा में भी सहयोग करने की गुहार लगाई गई थी।
महाप्रभु की कृपा से खत्म हो जाएगी कोरोना महामारी
पुरी गोवर्द्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने श्रीक्षेत्र धाम में पुरी में शांतिपूर्ण तरीके से संपन्नहुई महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी की वापसी यात्रा के बाद कहा कि महाप्रभु की कृपा से कोरोना महामारी भी खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा कि विकास की आड़ में मानव समाज जल, वायु, पर्यावरण के साथ खिलवाड़ कर रहा है। यही वजह है कि हमें आज कोरोना जैसी महामारी का सामना करना पड़ रहा है। मानव समाज को विकास के प्रति जागृत होना अच्छी बात है मगर विकास विनाश का कारण ना बने उसके प्रति भी मानव समाज को ध्यान देना जरूरी है।