तलाक लेने वाले दंपतियों के बच्चों पर होता है बुरा असर, सुप्रीम कोर्ट से संयुक्त परवरिश देने की याचिका
सभी पारिवारिक अदालतों में कम से कम एक बाल मनोचिकित्सक नियुक्त करने की मांग भी की गई है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) 'चाइल्ड राइट्स फाउंडेशन' ने तलाक की मांग करने वाले दंपतियों के बच्चों की कस्टडी से जुड़ी अपनी परवरिश योजना लागू करने की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। इस याचिका पर शीर्ष अदालत ने सोमवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया।
जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस संजय किशन कौल ने इस याचिका पर विधि एवं न्याय मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। याचिका में सभी पारिवारिक अदालतों को निर्देश देने की मांग की गई है कि वे तलाक लेने वाले दंपतियों के बच्चों के हित में उनकी ज्वाइंट कस्टडी या शेयर्ड पैरेन्टिंग (संयुक्त परवरिश) प्रदान करें।
विधि आयोग ने भी अपनी 257वीं रिपोर्ट में ऐसी ही सिफारिश की थी। साथ ही सभी पारिवारिक अदालतों में कम से कम एक बाल मनोचिकित्सक नियुक्त करने की मांग भी की गई है।
'चिल्ड्रन राइट्स इनीशिएटिव फॉर शेयर्ड पैरेन्टिंग' के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुमार जागीरदार ने कहा, 'रिसर्च से साबित हो चुका है कि सिर्फ माता या पिता की देखरेख में बड़े होने वाले बच्चों का जीवन बुरी तरह प्रभावित होता है। देखा गया है कि वे स्कूल छोड़ देते हैं, किशोरावस्था में गर्भवती हो जाते हैं, नशीली दवाओं का सेवन करने लगते हैं या फिर अपराधों में लिप्त हो जाते हैं। इसलिए उनकी परवरिश के लिए माता-पिता दोनों की जरूरत होती है।'