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योग के बाद आयुर्वेद का दीवाना होगा अमेरिका, कैलिफोर्निया में आज से इंडो-यूएस वेलनेस कनक्लेव

वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कैलिफोर्निया में हो रहे इंडो-यूएस वेलनेस समागम में बड़ी संख्या में आयुर्वेद से जुड़े भारतीय संस्थान, कंपनियां और विशेषज्ञ हिस्सा ले रहे हैं।

By Manish NegiEdited By: Published: Thu, 21 Jun 2018 09:51 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jun 2018 07:25 AM (IST)
योग के बाद आयुर्वेद का दीवाना होगा अमेरिका, कैलिफोर्निया में आज से इंडो-यूएस वेलनेस कनक्लेव
योग के बाद आयुर्वेद का दीवाना होगा अमेरिका, कैलिफोर्निया में आज से इंडो-यूएस वेलनेस कनक्लेव

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। योग के बाद अब आयुर्वेद को भी अमेरिका में लोकप्रिय बनाने की कोशिश शुरू हो गई है। इसके तहत शुक्रवार से कैलीफोर्निया में आयुर्वेदिक दवाओं और उसके प्रभावों पर विशाल समागम होने जा रहा है। दरअसल जीवन शैली से जुड़ी बीमारियों के इलाज में आयुर्वेदिक दवाओं की गुणवत्ता साबित होने के बाद लोगों का इसके प्रति तेजी से रूझान बढ़ा है।

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आयुष मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कैलिफोर्निया में हो रहे इंडो-यूएस वेलनेस समागम में बड़ी संख्या में आयुर्वेद से जुड़े भारतीय संस्थान, कंपनियां और विशेषज्ञ हिस्सा ले रहे हैं। तीन दिन तक चलने वाले समागम में आयुर्वेद, योग, हर्बल, प्राकृतिक चिकित्सा से जुड़े भारतीय उत्पादों की प्रदर्शनी के साथ विशेषज्ञ लोगों को आयुर्वेद की अहमियत भी बताएंगे। खास बात यह है कि इस समागम का आयोजन अमेरिकी एजेंसियों की ओर से किया जा रहा है। जिसमें आयुष मंत्रालय सहयोगी है।

वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस समागम में भारतीय कंपनियों को अपनी दवाएं एवं पोषक उत्पादों को प्रदर्शित करने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि अभी तक अधिकांश दवाओं की खोज अमेरिका समेत पश्चिमी देशों में होती थी और भारत में लोग इसका इलाज करते थे। लेकिन इस बार सीएसआइआर द्वारा विकसित डायबटीज की दवा बीजीआर-34 को अमेरिका में प्रदर्शित किया जाएगा। अमेरिका में तीन करोड़ मधुमेह रोगी हैं तथा वे मधुमेह के इलाज के लिए आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा और योग को वैकल्पिक उपचार के रूप में अपना रहे हैं।

ध्यान देने की बात है कि कम समय में ही बीजीआर-34 भारत में डायबटीज के इलाज में टॉप 20 ब्रांड में स्थान बना चुकी है। इसी प्रकार गुर्दे के उपचार की दवा नीरीकेएफटी भी वहां प्रदर्शित की जाएगी जो भारत में मशहूर है। आयोजन से जुड़े न्यूर्याक में भारतीय मूल के चिकित्सक डा. भगवती भट्टाचार्य के अनुसार अमरीकियों ने पहले योग को अपनाया और इससे उन्हें काफी फायदा हुआ। अब वे आयुर्वेद की तरफ आकर्षित हो रहे हैं।


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