सर्वे में मिले थे मंदिर होने के अवशेष, वामपंथियों ने पैदा किया अयोध्या मंदिर-मस्जिद का विवाद : मुहम्मद
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक मुहम्मद ने कहा है कि मंदिर-मस्जिद विवाद मुस्लमानों ने नहीं बल्कि वामपंथी विचारधारा ने पैदा किया।
बिलासपुर (नईदुनिया)। अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक केके मुहम्मद ने कहा है कि यह विवाद मुस्लमानों ने नहीं बल्कि वामपंथी विचारधारा ने पैदा किया। इसके लिए उन्होंने अपने ही एक अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया है। मुहम्मद अयोध्या में कराए गए दोनों सर्वे में शामिल रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए मुहम्मद ने कहा कि जब पहली बार मंदिर-मस्जिद विवाद पर पुरातत्व सर्वेक्षण के लिए केंद्र सरकार ने दो सदस्यीय टीम का गठन किया था तब विभाग के डायरेक्टर बीबी.लाल के साथ टीम में मुझे भी शामिल किया गया था। सर्वे के दौरान हमें उस स्थल पर मंदिर के अवशेष मिले थे। खुदाई के दौरान मंदिर का खंभा भी मिला था। यह भी प्रमाण मिले कि मंदिर के खंभे पर मस्जिद खड़ी की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि वामपंथी विचारधारा का होने के कारण प्रोफेसर लाल ने सर्वे में मिले तथ्यों को छिपा लिया।
अंग्रेजी के अखबारों में उनकी पकड़ काफी अच्छी थी लिहाजा उन्होंने सर्वे में तथ्यों को छिपाते हुए अपने मनमाफिक बातें बता दीं। अंग्रेजी अखबारों ने जोर शोर से उनके बयान को भी प्रकाशित किया। चूंकि, वह उनके अधिनस्थ अधिकारी थे लिहाजा सार्वजनिक रूप से उनको बोलने का अधिकार नहीं था। उन्होंने सहयोगियों के साथ इतना लिखा कि लोगों ने अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद पैदा कर दिया।
मुहम्मद ने आगे कहा कि देश के मुसलमानों ने भी ढांचे को मंदिर मान लिया था। यद्यपि कोर्ट को सब जानकारी है, जिसके आधार पर वर्ष 2008 में हाई कोर्ट ने निर्णय दिया था। वर्ष 1976-77 में भारत सरकार के निर्देश पर अयोध्या में विवादित स्थल पर खोदाई की गई थी। पिलर के बेसमेंट से संपूर्ण कलश और पत्तियों का नमूना मिला। इसके अलावा सर्वेक्षण के दौरान सदियों पुरानी विष्णु की मूर्ती मिली। अन्य कई ऐसे प्रमाण मिले कि जिससे साबित होता है कि यहां ईशा पूर्व मंदिर हुआ करता था।
सेटेलाइट सर्वे में भी मिले मंदिर के प्रमाण
डॉ.मुहम्मद ने कहा कि विवाद के मद्देनजर वर्ष 2003 में सेटेलाइट सर्वे के साथ पुरातत्वविदों ने विवादित स्थल में पचास से अधिक खंभों के बेस तक खुदाई की। तथ्य वही सामने आया जो 1976-77 में था, लेकिन एक बार फिर वामपंथियों ने इसे मुद्दा बनाया, जबकि कोर्ट ने इसी के आधार पर वर्ष 2008 में तीन भागों में मामले का निराकरण किया।