पीएम की ढाल बनीं सोनिया
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कोयला आवंटन घोटाला और सीबीआइ जांच में सरकारी हस्तक्षेप को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष पूरी तरह आमने-सामने खड़ा हो गया है। आक्रामक तेवर अपनाते हुए मुख्य विपक्ष भाजपा ने प्रधानमंत्री और कानून मंत्री का इस्तीफा मांगा तो संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी उसी आक्रामकता के साथ खुद सामने आकर मांग खारिज कर दी। संकेत स्पष्ट है कि यह टकराव आने वाले दिनों में और बढ़ेगा। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने पीएमओ और जांच एजेंसी के बीच हुए संवाद तथा कानून मंत्री के हस्तक्षेप के बाद बनी रिपोर्ट को कोर्ट के सामने पेश करने की मांग की।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कोयला आवंटन घोटाला और सीबीआइ जांच में सरकारी हस्तक्षेप को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष पूरी तरह आमने-सामने खड़ा हो गया है। आक्रामक तेवर अपनाते हुए मुख्य विपक्ष भाजपा ने प्रधानमंत्री और कानून मंत्री का इस्तीफा मांगा तो संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी उसी आक्रामकता के साथ खुद सामने आकर मांग खारिज कर दी। संकेत स्पष्ट है कि यह टकराव आने वाले दिनों में और बढ़ेगा। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने पीएमओ और जांच एजेंसी के बीच हुए संवाद तथा कानून मंत्री के हस्तक्षेप के बाद बनी रिपोर्ट को कोर्ट के सामने पेश करने की मांग की।
चुनावी माहौल में भाजपा कोयला आवंटन के मुद्दे को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। खासकर तब, जबकि कानून मंत्री अश्विनी कुमार पर सीबीआइ जांच में हस्तक्षेप का आरोप गहरा गया है। मंगलवार को संसद के दोनों सदनों में भाजपा ने प्रधानमंत्री और अश्विनी कुमार का इस्तीफा मांगा। भाजपा के हमले को दूसरे विपक्षी दलों ने भी बल दे दिया जो अलग-अलग मुद्दों पर सरकार को घेर रहे थे। लोकसभा में सपा चीन की भारतीय सीमा में घुसपैठ पर हमलावर थी तो द्रमुक 2जी मामले में तत्कालीन दूर संचार मंत्री ए राजा के सिर ही पूरा आरोप थोपने को लेकर आक्रामक था।
नाराज द्रमुक जेपीसी अध्यक्ष पीसी चाको का इस्तीफा चाहता है। ऐसे में कांग्रेस भी आक्रामक हो गई। संसद में उठी पीएम व कानून मंत्री के इस्तीफे की मांग सोनिया गांधी ने खारिज कर दिया। उन्होंने कहा-'उन्हें इस्तीफा मांगने दो।' संकेत मिलते ही संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ ने भी कहा कि भाजपा तो हर वक्त किसी न किसी का इस्तीफा मांगती रहती है।
सोनिया के बयान पर टिप्पणी करते हुए जेटली ने कहा- 'हमें आश्चर्य नहीं है अगर वह कोयला आवंटन में मनमोहन सिंह की भूमिका को भी गुण के रूप में देखती हैं। लेकिन भाजपा की नजर में यह घोटाला है।' उन्होंने आगे कहा- 'कानून मंत्री ने आखिर सीबीआइ निदेशक या दूसरे अधिकारी को रिपोर्ट में बदलाव के लिए क्यों कहा था।
सरकार पीएमओ और एजेंसी के बीच हुए ईमेल, सीबीआइ की रिपोर्ट और कानून मंत्री के हस्तक्षेप के बाद हुए बदलाव की प्रति कोर्ट में पेश करे।' उन्होंने पीएम से भी अपील की कि वह आत्मचिंतन करें और देखें कि वह देश को किस दिशा में ले जा रहे हैं। राज्यसभा में पार्टी के उपनेता रविशंकर प्रसाद ने इसी मांग को आगे बढ़ाते हुए कहा कि सरकार हास्यास्पद बयान दे रही है कि कानून मंत्री रिपोर्ट में व्याकरण को शुद्ध कर रहे थे। रविशंकर ने कहा कि सरकार सही मायने में इस विषय पर चर्चा के लिए भी तैयार नहीं है और कानून मंत्री की व्यस्तता का हवाला दे रही है। लेकिन भाजपा सरकार को कोई राहत नहीं देगी।
दबाव में भी भाजपा पर हमलावर रहेगी कांग्रेस
नई दिल्ली। 2जी पर जेपीसी की मसौदा रिपोर्ट और कोयला घोटाला, दोनों ही मामलों में भले ही सरकार दबाव में है, लेकिन विपक्ष के सामने बैकफुट पर नहीं जाएगी। बचाव के लिए आक्रमण को सर्वश्रेष्ठ रणनीति मानकर कांग्रेस ने इन दोनों मसलों पर भाजपा से खुलकर दो-दो हाथ करने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग को दो टूक ठुकरा कर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने खुद ही भाजपा पर तल्ख तेवर दिखाकर संकेत दे दिए हैं, लेकिन कानून मंत्री अश्विनी कुमार का भविष्य सीबीआइ निदेशक के सुप्रीम कोर्ट में दिए गए हलफनामे पर निर्भर करेगा। बाकी कांग्रेस ने यह मान लिया है कि इस हफ्ते शायद ही सदन की कार्यवाही चल सके।
इससे पहले कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक में मौजूदा हालात पर चर्चा हुई। सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल, रक्षा मंत्री एके एंटनी, वित्त मंत्री पी चिदंबरम, संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ और गृह मंत्री व नेता सदन सुशील कुमार शिंदे के बीच कोर कमेटी की संसद परिसर के भीतर बैठक हुई। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस ने तय कर लिया है कि विपक्ष के आगे सरकार नहीं झुकेगी।
हालांकि, सीबीआइ निदेशक रंजीत सिन्हा के सुप्रीम कोर्ट में रुख पर कानून मंत्री अश्विनी कुमार का भविष्य जरूर काफी कुछ टिका है। यदि सिन्हा अपने हलफनामे में यह मान लेते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में दाखिल होने से पहले सीबीआइ के आरोपपत्र में उन्होंने बदलाव कराए हैं तो फिर पार्टी उन्हें शायद ही बचाए। इसके बावजूद कोयला ब्लाक आवंटन में संसदीय समिति की रिपोर्ट को कांग्रेस ने अपनी भाषा में व्याख्यायित करना शुरू कर दिया है। राजग कार्यकाल में भी हुई अनियमितताओं का हवाला देते हुए कांग्रेस उस पर हमलावर रुख अपनाएगी। केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश को पार्टी ने मोर्चे पर उतारकर इसकी शुरुआत भी कर दी है।
इसी तरह कांग्रेस जेपीसी की रिपोर्ट पर भी आक्रामक रुख अपनाएगी। कमलनाथ ने साफ कहा भी कि जेपीसी के लिए भाजपा और अन्य विपक्षी दल ही आसमान सिर पर उठाए थे। अब जब उसकी रिपोर्ट आ रही है तो उस पर भी आपत्ति है। साफ है कांग्रेस भी टकराव के मूड में है। खाद्य सुरक्षा, लोकपाल और भूमि अधिग्रहण जैसे विधेयकों को रोकने के लिए कांग्रेस उल्टे अब भाजपा पर प्रहार करेगी।
परेशान कांग्रेस ने चाको को किया आगे
नई दिल्ली। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले से संबंधित संयुक्त संसदीय समिति [जेपीसी] की रिपोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का नाम घसीटने की खबरों से मचे कोहराम को शांत करने के लिए कांग्रेस ने जेपीसी प्रमुख पीसी चाको को ही आगे किया है। चाको ने भाजपा के गुस्से को शांत करने का परोक्ष प्रयास करते हुए मंगलवार को कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी हमारे लिए सम्मानित हैं। 2जी की मसौदा रिपोर्ट में उनका नाम नहीं है।
पार्टी के मंच से चाको की यह सफाई ऐसे समय में आई है जब विपक्ष ने कोयला आवंटन मुद्दे पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ जोरदार मोर्चा खोल उनके इस्तीफे की मांग कर दी है। भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि वह 2जी स्पेक्ट्रम मुद्दे में वाजपेयी को बदनाम करने के किसी भी प्रयास का कड़ा विरोध करेगी। कांग्रेस प्रवक्ता चाको ने इस बात से भी इन्कार किया कि जेपीसी की रिपोर्ट नंबरों के खेल से तय होती है। उन्होंने कहा, असहमति नोट के साथ रिपोर्ट को अपनाने की परंपरा रही है। मुझे यकीन है कि कुछ असहमति के नोट आएंगे और मैं इसका स्वागत करता हूं। उन्होंने यह भी कहा कि जेपीसी कोई कांग्रेस की समिति नहीं है। बल्कि संसद की समिति है। इसमें अल्पमत या बहुमत का सवाल नहीं है।
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