एस्ट्रोसैट ने खोजा सितारों का नया समूह, शोधकर्ताओं ने इस तरह से किया अध्ययन
शोधकर्ताओं को विभिन्न पराबैंगनी फिल्टरों के माध्यम से ली गई छवियों में 12000 से अधिक तारों की अलगअलग पहचान करने में सफलता मिली है।
पुणे, आइएसडब्ल्यू। सितंबर 2015 में प्रक्षेपित की गई भारतीय मल्टी वेवलेंथ अंतरिक्ष वेधशाला ‘एस्ट्रोसैट’ निरंतर रोमांचक जानकारियां दे रही है। इस वेधशाला का उपयोग करते हुए तिरुवनंतपुरम और मुंबई के खगोलविदों ने तारों के गोलाकार गुच्छे (ग्लोब्यूलर क्लस्टर) एनजीसी-2808 में पराबैंगनी तारों की एक नई श्रेणी की खोज की है।
तारों के गोलाकार गुच्छों (ग्लोब्यूलर क्लस्टर) में हजारों से लाखों तारे होते हैं, इन तारों के गुरुत्वाकर्षण के फलस्वरूप वह गुच्छा अपनी आकृति बनाए रखता है और यह माना जाता है कि इन सब तारों का जन्म लगभग एक ही समय में एक साथ हुआ होगा। हमारी आकाशगंगा मिल्की वे में लगभग 150 गोलाकार गुच्छे हैं। इनमें से कुछ संभवत: आकाशगंगा के सबसे पुराने पिण्ड होंगे। तारे जन्म लेते हैं, युवावस्था में पहुंचते हैं और फिर उनकी मृत्यु हो जाती है। विकास की इन विभिन्न स्थितियों के आने में जो समय लगता है वह हमारी कल्पना से परे है।
भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइएसटी) तिरुवनंतपुरम में एमएससी के पोस्ट ग्रेजुएट छात्र और अनुसंधान दल की सदस्य राशि जैन ने बताया कि बड़े द्रव्यमान वाले तारे तेजी से विकास करते हैं, फिर कुछ लाख वर्षों तक प्रकाशित रहकर एक अत्यंत दर्शनीय मृत्यु को प्राप्त होते हैं। जबकि, हमारे सूर्य या उससे छोटे तारे अरबों वर्षों में धीरे- धीरे विकसित होते हैं।
शोध का नेतृत्व करने वाली आइआइएसटी की प्रोफेसर सरिता विग ने कहा कि चूंकि तारों के एक गोलाकार गुच्छे में विभिन्न द्रव्यमान वाले तारे होते हैं, जिनकी रासायनिक संरचना लगभग समान होती है। इसलिए किसी समय हम इनमें एक साथ अपने विकास के विभिन्न चरणों में विभिन्न द्रव्यमानों के तारों की अवस्था देख सकते हैं। आज से 5 अरब वर्ष बाद जब सूर्य लाल रंग का विशाल दानव तारा बन जाएगा तो वह इन्हीं तारों जैसी अवस्थाओं से गुजरेगा। जो तारे सूर्य से अधिक बड़े होते हैं उनका विकास क्रम बहुत भिन्न होता है और वे अंतत: पराबैंगनी प्रकाश में उच्च्वल होते हैं क्योंकि वे अधिक गर्म होते हैं।
शोधकर्ताओं ने इस तरह से किया अध्ययन
शोधकर्ताओं ने बताया एनजीसी-2808 सबसे विशाल गोलाकार समूहों में से एक है और हमसे 47,000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। इस समूह का अध्ययन करने के लिए शोधकर्ताओं के दल ने एस्ट्रोसैट में लगी अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (यूवीआइटी) का उपयोग किया। एनजीसी-2808 के इस चित्र में दूरस्थ पराबैंगनी उत्सर्जन को नीले और निकटवर्ती पराबैंगनी उत्सर्जन को पीले रंग में दर्शाया गया है।
शोधकर्ताओं को विभिन्न पराबैंगनी फिल्टरों के माध्यम से ली गई छवियों में 12,000 से अधिक तारों की अलगअलग पहचान करने में सफलता मिली है। यूवीआईटी पर पराबैंगनी फिल्टरों का उपयोग करते हुए शोधकर्ताओं ने प्रत्येक फिल्टर में उनकी चमक के आधार पर गर्म तारों के विभिन्न समूहों को अलग करने का प्रयास किया और अपेक्षानुरूप प्रत्येक विकासवादी चरण में तारों की पहचान करने में सफल रहे।