'CAA का विरोध करने वालों को करना चाहिए सुप्रीम कोर्ट का रुख', असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने विरोधियों को दी नसीहत
Assam CM Himanta Biswa Sarma असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) का विरोध करने वालों को नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि अपनी शिकायत के निवारण के लिए उन्हें सुप्रीम कोर्ट का रुख करना चाहिए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहले कहा था कि सीएए नियमों को लोकसभा चुनाव से पहले अधिसूचित और लागू किया जाएगा।
पीटीआई, गुवाहाटी। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) का विरोध करने वालों से आग्रह किया कि वे आंदोलन करने के स्थान पर अपनी शिकायत के निवारण के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करें। उन्होंने कहा कि कई लोग इसका विरोध कर रहे हैं। दोनों दृष्टिकोणों को समायोजित करने की आवश्यकता है।
हमें दोनों दृष्टिकोणों को समायोजित करना होगा- सीएम सरमा
एक कार्यक्रम के बाद मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि असम में लोगों के दो वर्ग हैं, कुछ लोग सीएए का समर्थन करते हैं और मैं उनमें से एक हूं। कई लोग ऐसे हैं जो इसका विरोध करते हैं। हमें दोनों दृष्टिकोणों को समायोजित करना होगा। हमें इसके विरोध या समर्थन के लिए किसी की आलोचना नहीं करनी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसे पहले ही सुप्रीम कोर्ट में ले जाया जा चुका है, लेकिन नियम नहीं बनाए जाने के कारण इसे सूचीबद्ध नहीं किया गया था। जैसे ही नियम अधिसूचित हो जाएंगे, मामला बहस और सुनवाई के लिए तैयार हो जाएगा।
लोकसभा चुनाव से पहले लागू हो सकता है सीएए
उन्होंने कहा कि राज्य की शांति एवं व्यवस्था को भंग करने के बजाय लोगों को कोर्ट में जाना चाहिए। उसे अपनी शिकायतें बतानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट उनकी तार्किक दलीलें सुनेगा। विपक्षी राजनीतिक दलों के साथ ही छात्र संगठनों और अन्य ने कहा है कि यदि राज्य में सीएए लागू किया गया तो वे राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहले कहा था कि सीएए नियमों को लोकसभा चुनाव से पहले अधिसूचित और लागू किया जाएगा।
बांग्लादेश से घुसपैठ ने बदल दी राज्य की जनसांख्यिकी
मुख्यमंत्री हिमंत ने दावा किया कि असम के हालात केंद्र सरकार की किसी नीति के कारण नहीं बल्कि बांग्लादेश से घुसपैठ के कारण ऐसे हैं। इसने राज्य की जनसांख्यिकी को बदल दिया है। जब जनगणना रिपोर्ट आएगी तो असमिया लोग आबादी का लगभग 40 प्रतिशत ही होंगे। उन्होंने कहा कि भले ही असमिया लोगों की संख्या कम हो रही हो, लेकिन वे अपनी पहचान संरक्षित करने के लिए एक साथ आ सकते हैं।