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जिंदादिली की मिसाल, कैंसर की आखिरी स्टेज, फिर भी करते हैं पूरी ड्यूटी

कैंसर की आखिरी स्टेज पर होने के बाद भी एएसआई मोहन तिवारी आज भी लगन से ड्यूटी कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह साधारण नौकरी नहीं बल्कि बड़ी सामाजिक जिम्मेदारी भी है।

By Arti YadavEdited By: Published: Wed, 17 Oct 2018 01:10 PM (IST)Updated: Wed, 17 Oct 2018 01:12 PM (IST)
जिंदादिली की मिसाल, कैंसर की आखिरी स्टेज, फिर भी करते हैं पूरी ड्यूटी
जिंदादिली की मिसाल, कैंसर की आखिरी स्टेज, फिर भी करते हैं पूरी ड्यूटी

बड़वानी, नईदुनिया। मनोबल ऊंचा हो और आत्मविश्वास भी बना रहे तो कोई गंभीर बीमारी जिंदगी पर ब्रेक नहीं लगा सकती। दृढ़ इच्छाशक्ति वाली यह सोच है शहर थाने में पदस्थ एएसआई मोहन तिवारी की। 60 वर्षीय तिवारी मुंह के कैंसर से पीड़ित हैं और डॉक्टरों के अनुसार बीमारी आखिरी स्टेज पर होने से उन्हें बेड रेस्ट की सलाह दी गई है, लेकि न काम के प्रति जज्बे के चलते वे आज भी लगन से ड्यूटी कर रहे हैं। पुलिस की नौकरी को लेकर उनका कहना है कि यह साधारण नौकरी नहीं बल्कि बड़ी सामाजिक जिम्मेदारी भी है।

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सेवानिवृत्ति की आयु 60 से बढ़कर 62 हो जाने के बावजूद मोहन तिवारी ने सेवानिवृत्ति नहीं ली और इलाज के लिए अवकाश लेने पर विचार नहीं किया। नवंबर 2017 में बड़ौदा में ऑपरेशन हुआ। इसके बाद से वे लंबी छुट्टी पर नहीं गए। उन्होंने कहा कि आखिरी दम तक वर्दी पहनकर काम करूंगा। आज भी वे पहले की तरह (जब स्वस्थ थे) उत्साह के साथ कर्तव्य निभा रहे हैं। अपराधों और अपराधियों पर उनकी पैनी निगाह रहती है। इसी वजह से वरिष्ठ अधिकारी उनके अनुभव का लाभ लेते रहे हैं।

पहला और आखिरी थाना बड़वानी

एएसआई तिवारी मूल रूप से महेश्वर के रहने वाले हैं। उनको वर्दी पहने 34 साल हो गए हैं। पुलिस में भर्ती होने के बाद पहला थाना बड़वानी कोतवाली मिला था। नौकरी की शुरुआत में यहां पर दो साल तक रहे थे। तिवारी अब सेवानिवृत्त होने वाले हैं और वे भी इसी थाने से होंगे। अभी वे कोतवाली में तीन साल से पदस्थ हैं। उन्होंने नौकरी के बीते सालों की चर्चा करते हुए बताया कि 1992 में अयोध्या मामले में दंगे भड़के थे, तब वे खरगोन जिले के गोगांवा थाने में थे। आगजनी की घटनाएं हुई थीं, तब मैंने कई लोगों की जान बचाई थी। वह मेरी नौकरी का सबसे यादगार दिन था।

पूरी जीवटता से काम करते हैं

थाना प्रभारी राजेश यादव ने बताया कि एएसआई तिवारी कैंसर के बाद भी पूरी जीवटता से अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। इनसे थाने में पदस्थ सभी स्टाफ अपने कर्तव्यों के प्रति प्रोत्साहित होता है। ऑपरेशन के बाद से कोई छुट्टी लिए बिना अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। 60 साल की उम्र में भी उनकी काम को लेकर ललकता है। इस साल भी कई कार्रवाईं में उनकी भूमिका प्रमुख रही। चोरी की घटनाओं पर वे सतर्कता से काम कर रहे हैं।


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