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आसियान इंडिया समिट: भारत समेत दक्षिण-पूर्वी एशिया के विकास का लक्ष्य

आर्थिक गलियारे से लेकर निवेश जैसे मामलों में भारत सदस्य देशों के साथ मजबूती से बढ़ रहा है। तभी इस बार गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने के लिए इन देशों के राष्ट्राध्यक्षों को न्यौता गया है।

By Srishti VermaEdited By: Published: Mon, 13 Nov 2017 11:57 AM (IST)Updated: Mon, 13 Nov 2017 11:57 AM (IST)
आसियान इंडिया समिट: भारत समेत दक्षिण-पूर्वी एशिया के विकास का लक्ष्य
आसियान इंडिया समिट: भारत समेत दक्षिण-पूर्वी एशिया के विकास का लक्ष्य

नई दिल्ली (जेएनएन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मनीला में 15वें आसियान शिखर सम्मेलन और 12वें पूर्वी एशिया सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंच चुके हैं। भारत दक्षिण-पूर्वी एशिया क्षेत्र की उन्नति का पक्षधर रहा है। आर्थिक गलियारे से लेकर निवेश जैसे मामलों में वह सदस्य देशों के साथ मजबूती से बढ़ रहा है। तभी इस बार गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने के लिए इन देशों के राष्ट्राध्यक्षों को न्यौता गया है। 

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1.85 अरब : भारत और आसियान देशों की संयुक्त जनसंख्या
3.8 लाख करोड़ डॉलर भारत और आसियान देशों की अनुमानित संयुक्त जीडीपी

दस देश हैं सदस्य

इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड के बाद 1987 में ब्रूनेई, 1995 में वियतनाम, 1997 में लाओस व म्यांमार और 1999 में कंबोडिया आसियान के सदस्य बने।

1967 में गठित हुआ आसियान

दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के संगठन (आसियान) का गठन आठ अगस्त, 1967 को हुआ। इसके लिए संस्थापक देशों इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड के विदेश मंत्रियों ने बैंकाक में घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। इसका मुख्य मकसद साम्यवाद से बचना और सदस्य देशों के बीच आर्थिक भागीदारी को बढ़ावा देना है।

भारत-आसियान संबंध

भारत ने दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के साथ व्यापारिक और रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने के मकसद से 1991 में लुक ईस्ट पॉलिसी की शुरुआत की। इसका एक मकसद क्षेत्र में चीन के बढ़ते व्यापारिक कदमों को भी रोकना था। 1992 में भारत आसियान का क्षेत्रीय सहभागी बना, 1996 में डायलॉग पार्टनर और 2002 में समिट लेवल पार्टनर बना। दोनों पक्षों में आठ अक्टूबर, 2003 को संधि हुई, जिसे 13 अगस्त, 2009 को अंतिम रूप दिया गया। इसके तहत आसियान और भारत के बीच एक जनवरी, 2010 से फ्री ट्रेड एरिया अस्तित्व में आया।

एक्ट ईस्ट पॉलिसी

2014 में म्यांमार में हुए 12वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 9वें पूर्वी एशिया सम्मेलन में भारत की ओर से लुक ईस्ट पॉलिसी को नई एक्ट ईस्ट पॉलिसी के रूप में स्थापित किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन सम्मेलनों में हिस्सा लिया था।

व्यापारिक रिश्ते

आसियान भारत का चौथा बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2015-16 में दोनों पक्षों के बीच 65 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। 2016-17 में यह बढ़कर 70 अरब डॉलर हुआ। भारत ने आसियान को 2015-16 में 25 अरब डॉलर का आयात किया था, जो 2016-17 में बढ़कर 30 अरब डॉलर हो गया।

उभरती अर्थव्यवस्था

2050 तक यूरोपीय संघ, अमेरिका और चीन के बाद आसियान के चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था होने का अनळ्मान है। 2018 तक शीर्ष 15 मैन्युफैक्र्चंरग केंद्रों में शीर्ष पांच में आसियान के शामिल होने का भी दावा किया गया है।

पूर्वी-एशिया सम्मेलन

आसियान देशों के सम्मेलन के बाद किया जाता है। भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रूनेई, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, जापान, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, रूस, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और वियतनाम इस फोरम के सदस्य हैं। 2005 में पहला सम्मेलन मलेशिया में हुआ।

एशियाई त्रिपक्षीय हाईवे

भारत, म्यांमार और थाईलैंड के बीच 1,360 किमी लंबा हाईवे बन रहा है। यह मणिपुर के मोरेह से शुरू होकर म्यांमार होता हुआ थाईलैंड के मेसोट तक जाएगा। 2019 तक यह शळ्रू होगा। भारत ने इसे कंबोडिया, लाओस और वियतनाम तक बढ़ाने का प्रस्ताव भी रखा है। भारत से वियतनाम तक के इस 3,200 किमी लंबे हाईवे को ईस्ट-वेस्ट इकोनॉमिक कॉरीडोर नाम दिया गया है। सड़क मार्ग से आसान और अधिक व्यापार संभव होगा। हाईवे से जळ्ड़े सभी क्षेत्रों में रोजगार और निवेश की संभावनाएं बढ़ेंगी।

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