..ना, ना करते प्यार तुम्हीं से कर बैठे!
[अजय पांडेय], नई दिल्ली। दिल्ली की सियासत का यह मंजर देश के संसदीय इतिहास की एक ऐसी नजीर है, जिसकी दलील आने वाले दशकों तक दी जाती रहेगी। सचमुच यह किसी अजूबे से कम नहीं है कि आम आदमी पार्टी ने कांग्रेसी हुकूमत के खिलाफ दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ा, जीत दर्ज की, उससे किसी भी कीमत पर दूरी बनाकर रखने का ऐलान कि
[अजय पांडेय], नई दिल्ली। दिल्ली की सियासत का यह मंजर देश के संसदीय इतिहास की एक ऐसी नजीर है, जिसकी दलील आने वाले दशकों तक दी जाती रहेगी। सचमुच यह किसी अजूबे से कम नहीं है कि आम आदमी पार्टी ने कांग्रेसी हुकूमत के खिलाफ दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ा, जीत दर्ज की, उससे किसी भी कीमत पर दूरी बनाकर रखने का ऐलान किया और फिर उसी कांग्रेस के समर्थन से सरकार भी बनाई। दोनों पार्टियों के नेता एक-दूसरे को फूटी आंखों से नहीं सुहाते। एक-दूसरे के लिए ऐसी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो गाली-गलौच के नजदीक तक पहुंच गई है। इसके बावजूद दोनों के बीच सरकार की खातिर गलबहियां हो रही है। इतना ही नहीं, विधानसभा में सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली भाजपा विपक्ष में बैठने जा रही है और लगातार 15 साल तक सत्ता संभालने वाली कांग्रेस चुनाव हारने के बावजूद किंगमेकर की भूमिका में है।
गौरतलब है कि दिल्ली विधानसभा का चुनाव परिणाम आने के बाद आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के तमाम सूरमाओं ने यह साफ ऐलान किया था कि उनकी पार्टी विपक्ष में बैठेगी। उनका कहना था कि किसी भी कीमत पर वह न तो कांग्रेस या भाजपा से समर्थन लेंगे और न ही देंगे। हालात यहां तक पहुंच गए कि उपराज्यपाल नजीब जंग को केन्द्र सरकार से राष्ट्रपति शासन की सिफारिश तक करनी पड़ गई। एक बार को यह साफ दिखने लगा था कि दिल्ली में पहली बार राष्ट्रपति शासन की नौबत भी आने वाली है। लेकिन इसे वक्त की नजाकत कहें, जनता का दबाव कहें, मजबूरी कहें अथवा अपने विधायकों का दबाव कहें, केजरीवाल आखिरकार उसी कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने को तैयार हो गए, जिससे हाथ मिलाना उन्हें किसी भी शर्त पर मंजूर नहीं था।
दिल्ली की ताजा सियासत की यह तस्वीर भी कम दिलचस्प नहीं है कि कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने जा रहे केजरीवाल ने उसी कांग्रेस की पिछली सरकारों के खिलाफ जांच शुरू कराने की घोषणा की है। इसके बावजूद कांग्रेस के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली कह रहे हैं कि कांग्रेस ऐसी जांच के बावजूद केजरीवाल की सरकार को इसलिए समर्थन दे रही है, क्योंकि उसे किसी जांच का कोई डर नहीं है। उसकी पिछली सरकारों ने कोई घोटाला नहीं किया है। कांग्रेस का कहना है कि उसने आम आदमी पार्टी द्वारा दिल्ली की जनता से किए गए वायदों को पूरा करने के लिए अपना समर्थन दिया है।
कार्यवाहक मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का साफ कहना है कि केजरीवाल ने जो वायदे दिल्ली की जनता से किए हैं, उन्हें पूरा करना आसान नहीं होगा। लवली भी कह रहे हैं कि केजरीवाल अपने वायदे पूरे करके दिखाएं। भाजपा विधायक दल के नेता डा. हर्षवर्धन भी कह रहे हैं कि आम आदमी पार्टी को अब जनता से किए गए अपने वायदों को पूरा करके दिखाना चाहिए। इन तमाम नेताओं के बयानों से साफ है कि इन्हें पक्का यकीन है कि केजरीवाल ने जो चुनावी वायदे किए हैं, उन्हें पूरा करना आसान नहीं है। दूसरी ओर, केजरीवाल कह रहे हैं कि वे तमाम वायदों को पूरा करेंगे।
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