Article 370 Revoked: जम्मू-कश्मीर से अलग हुआ लद्दाख, जानें इस खूबसूरत प्रदेश की खास बातें...
केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में मान्यता दे दी है। अनुच्छेद 370 हटाए जाने का फैसला एक बड़ा कदम है। जानें लद्दाख के बारे में...
नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए Jammu Kashmir से अनुच्छेद 370 हटाने का ऐलान किया है। राष्ट्रपति के आदेश पर यह अनुच्छेद 370 को जम्मू-कश्मीर से हटा दिया गया है। इसी के साथ जम्मू और कश्मीर राज्य को दो हिस्सों में बांट दिया गया है। जम्मू-कश्मीर एक अलग केंद्र शासित प्रदेश होगा, जबकि लद्दाख को अलग से केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है। बता दें कि लद्दाख के लोग पिछले 70 साल से केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे की मांग करते रहे है।
बिना विधानसभा के केंद्र शासित प्रदेश
लद्दाख को अलग से केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा तो दे दिया गया है, लेकिन यहां विधानसभा नहीं होगी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने बयान में कहा कि वहां के लोग काफी लंबे समय से इसे अलग केंद्र शासित प्रदेश के रूप में मान्यता दिए जाने की मांग कर रहे थे। इस मांग के पीछे तर्क यह था कि यहांके लोग अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकें।
ऐसा है लद्दाख
लद्दाख बेहद खूबसूरत है और हर साल देशभर से हजारों लोग यहां पहुंचते हैं। इसे ठंडा मरूस्थल भी कहते हैं। खासतौर पर मोटरसाइकिलों पर सवार युवा यहां के स्पेशल टूर बनाते हैं। यह उत्तर में कराकोरम पर्वत और दक्षिण में हिमालय पर्वत के बीच स्थित है। लद्दाख के उत्तर में पड़ोसी देश चीन और पूर्व में चीन के कब्जे वाले तिब्बत की सीमाएं मिलती हैं। यह सीमावर्ती इलाका है और इस दृष्टि से इसका सामरिक महत्व भी खास है। लद्दाख समुद्र तल से 9842 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। लद्दाख की राजधानी और प्रमुख शहर लेह है। लेह के उत्तर में कराकोरम दर्रा है।
कारगिल में मुस्लिम और लेह में बौद्ध बहुसंख्यक
साल 2011 की जनगणना के अनुसार लद्दाख की कुल जनसंख्या 2 लाख 74 हजार 289 है। यहां की जनसंख्या मुख्य रूप से लेह और कारगिल जिलों के बीच विभाजित है। 2011 की जनगणना के अनुसार कारगिल की कुल जनसंख्या 1 लाख 40 हजार 802 थी, जबकि लेह जिले में 1 लाख 33 हजार 487 लोग रह रहे थे। कारगिल जिले में 76.87 फीसद आबादी मुस्लिमों की थी, इनमें भी शिया समुदाय के लोग ज्यादा हैं। लेह की बात करें तो यहां के 66.40 फीसद लोग बौद्ध धर्म को मानने वाले हैं।
सिंधु नदी है लद्दाख की जीवन रेखा
यहां कई स्थानों पर सदियों पुराने शिलालेख मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि लद्दाख नव-पाषाणकाल में स्थापित हुआ था। सिंधु नदीं यहां की जीवन रेखा है और यहां के ऐतिहासिक और वर्तमान ज्यादातर शहर भले वह लेह हो या शे, बासगो, तिंगमोसगंग सभी सिंधु नदी के किनारे बसे हैं। साल 1947 में देश के आजाद होने के साथ ही पाकिस्तान के कश्मीर पर हमला कर दिया था, पाकिस्तान ने यहां के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था, जिसके बाद सिंधु का मात्र यही हिस्सा लद्दाख से बहता है। वैसे हिंदू धर्म में एक पूजनीय नदी है, जो केवल लद्दाख में बहती है।
1979 में दो जिलों में बंटा लद्दाख
जैसा की आप ऊपर पढ़ ही चुके हैं। लेह में बौद्ध और कारगिल में मुस्लिम बहुसंख्यक रहते हैं। साल 1979 में लद्दाख को लेह और कारिगल नाम के दो जिलों में बांटा गया था। एक समय लद्दाख मध्य एशिया से कारोबार का बड़ा गढ़ था। प्राचीन काल में सिल्क रूट की एक शाखा लद्दाख क्षेत्र से ही होकर गुजरती थी। दूसरे देशों के व्यापारी यहां ऊंट, घोड़े, खच्चर, रेशम और कालीन का कारोबार करने आते थे और हिंदुस्तान से रंग, मसाले आदि अपने साथ ले जाते थे।
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