दुश्मनों पर बरसाने को सेना को जल्द मिलेंगे रशियन फ्यूज लगे चार लाख बम
युद्ध मैदान में दुश्मनों पर भारतीय सेना के जवान अब रशियन फ्यूज लगे 30 एमएम बीएमपी-2 बम (सेल) बरसाएंगे।
जबलपुर, हेमंत नामदेव। युद्ध मैदान में दुश्मनों पर भारतीय सेना के जवान अब रशियन फ्यूज लगे 30 एमएम बीएमपी-2 बम (सेल) बरसाएंगे। मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित आयुध निर्माणी खमरिया (ओएफके) में इस बम के चार लाख नग उत्पादित करने की तैयारियां चल रही हैं। यह योजना सफल रही तो मार्च-2020 तक ओएफके में बने इन बमों की बड़ी खेप सेना के हवाले कर दी जाएगी।
30 एमएम बम जल्द से जल्द बनाने के निर्देश
सेना की खास मांग पर रक्षा मंत्रालय ने आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) के माध्यम से ओएफके को चार लाख 30 एमएम बम जल्द से जल्द बनाने के निर्देश दिए हैं। इससे पहले ओएफके को वित्तीय वर्ष 2019-20 में 30 एमएम बम के डेढ़ लाख नग बनाने का लक्ष्य मिला था। निर्माणी के कर्मचारी वर्तमान में तेजी से यह बम बनाने में जुटे हैं। इसके बाद भी इस निर्माणी के करीब 350 कर्मचारियों का तीन साल का काम छिन गया है, क्योंकि ओएफके प्रशासन ने 30 एमएम बम का नया उत्पादन लक्ष्य हासिल करने रूस की एक कंपनी से चार लाख फ्यूज खरीद लिए हैं। वर्तमान में ओएफके की एक टीम रशियन फ्यूज की गुणवत्ता का परीक्षण कर रही है।
ऐसा है 30 एमएम बम
30 एमएम बीएमपी-2 बम (सेल) की लंबाई पांच इंच और मोटाई करीब डेढ़ इंच है। इस बम को अगले सिरे में लगा फ्यूज हल्के विस्फोट से सक्रिय करता है और चंद सेकंड बाद विस्फोटक में जोरदार विस्फोट होता है। यह बम गन से ही चलाया जा सकता है।
बेहतरीन प्रदर्शन
सेना इस बम का प्रयोग जमीन से जमीन, जमीन से हवा, हवा से जमीन और जलयान से हमला करने में करती है। इसका सभी प्रयोगों में बेहतरीन प्रदर्शन होता है। सैन्य जवान 30 एमएम बीएमपी-2 बम चलाकर आसान व सुरक्षित हमला करते हैं।
65 करोड़ रुपये की खरीदारी
ओएफके ने रशिया (रूस) की गोलाबारूद बेचने वाली कंपनी से चार लाख फ्यूज की खरीदारी करने में 65 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इसमें 30 एमएम के एक फ्यूज की कीमत 25 डॉलर (अमेरिकन) यानी भारतीय मुद्रा में करीब 17 सौ रुपये है। जबकि ओएफके में 30 एमएम के एक फ्यूज के उत्पादन पर करीब 2600 रुपये की लागत आती है।
ओएफके जबलपुर के पीआरओ व ज्वाइंट जीएम अमित कुमार का कहना है कि सेना के तीनों अंगों के लिए बड़ी मात्रा में 30 एमएम सेल की जरूरत है, जिसे पूरा करने लक्ष्य निर्धारित करके उत्पादन किया जा रहा है। निर्माणी के कर्मचारी हर साल 30 एमएम सेल के एक से सवा लाख फ्यूज बनाते हैं। इसलिए सेना की बड़ी मांग कम समय में पूरी करने रूस से इस सेल के चार लाख फ्यूज की खरीदारी की गई है।