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आतंकियों के खिलाफ सेना का एक्शन प्लान, आबादी मेंं घेरो, जंगल में मारो

राज्य सरकार के साथ विचार विमर्श के बाद ही केंद्रीय रक्षा मंत्रालय और केंद्रीय गृहमंत्रालय ने इन अभियानों में तेजी लाने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए हैं।

By Manish NegiEdited By: Published: Fri, 12 May 2017 05:08 PM (IST)Updated: Fri, 12 May 2017 05:19 PM (IST)
आतंकियों के खिलाफ सेना का एक्शन प्लान, आबादी मेंं घेरो, जंगल में मारो
आतंकियों के खिलाफ सेना का एक्शन प्लान, आबादी मेंं घेरो, जंगल में मारो

श्रीनगर, नवीन नवाज। आबादी मेंं घेरो, जंगल में मारो। इस नई रणनीति के साथ कश्मीर घाटी समेत रियासत के सभी सीमावर्ती और आतंकग्रस्त इलाकों में सुरक्षाबलों के अभियान चलेंगे। एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सेना और बीएसएफ आतंकियों के खिलाफ कमान संभालेगी जबकि अंदरुनी इलाकों में सेना, पुलिस व अर्धसैनिक बल मिलकर आतंकियों को खदेड़ेंगे।

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राज्य सरकार के साथ विचार विमर्श के बाद ही केंद्रीय रक्षा मंत्रालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इन अभियानों में तेजी लाने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए हैं। सूत्रों ने बताया कि हालांकि सेना व केंद्रीय अर्ध सैनिकबल बीते साल से ही इस सिलसिले में आग्रह कर रहे थे। लेकिन राज्य सरकार की सहमति न होने के कारण केंद्र सरकार ने इन अभियानों को हरी झंडी नहीं दी थी। अलबत्ता, घाटी में बीते दो माह के दौरान लगातार बढ़ती आतंकी घटनाओं, सोशल मीडिया पर उनके बढ़ते प्रचार और हाल ही में पुलिस अधिकारियों के घरों पर हमले के बाद दो दिन पहले एक सैन्याधिकारी की हत्या के बाद राज्य सरकार ने भी हालात की गंभीरता को देखते हुए अपनी सहमति तथाकथित तौर पर दे दी।

संबधित सुरक्षाधिकारियों ने बताया कि खोजो और मारो अभियान भी चलेगा। कासो के तहत जहां सिर्फ किसी क्षेत्र विशेष की घेराबंदी कर तलाशी लेते हुए आतंकियों की पकड़ने पर जोर रहेगा वहीं खोजो और मारो अभियान में आतंकियों का पता लगाने व उन्हें मार गिराने पर जोर रहता है। लेकिन खोजो और मारो अभियान सिर्फ एलओसी के साथ सटे इलाकों में, वादी के जंगलों में या फिर अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ सटे उन इलाकों में जहां आतंकियों के ठिकाने हैं और घुसपैठ के रास्ते हैं।

उन्होंने बताया कि कासो (कार्डन एंड सर्च ऑपरेशन) सिर्फ आबादी वाले इलाकों में ही रहेगा। इस अभियान के तहत सेना, सीआरपीएफ और पुलिस के जवान आवश्यक्ता के अनुरुप किसी भी समय चलाएंगे। इस अभियान से आतंकियों और उनके शरणदाताओं पर जहां मानसिक दबाव बढ़ता है, वहीं आम लोगों में सुरक्षा और विश्वास की भावना पैदा होगी। कासो में आतंकियों के जिंदा पकड़े जाने की संभावना ज्यादा रहती है। इसके अलावा अगर किसी घर में आतंकी ठिकाना हो तो वह भी नष्ट होता है। ऐसे मकान मालिक को किसी तरह का मुआवजा आसानी से नहीं मिलता।

उन्होंंने बताया कि कासो के समानांतर ही वादी के जंगलों, पहाड़ों व एलओसी के साथ सटे इलाकों में आतंकियों व घुसपैठियों के खिलाफ सेना का देखो और मारो अभियान चलेगा। इस अभियान के तहत सेना की विभिन्न टुकड़ियां और कमांडो दस्ते अपने साजो सामान समेत तलाशी अभियान चलाएंगे और आतंकियों को खोजकर मारेंगे। ऐसे अभियान में आतंकियों के जिंदा बच निकलने की संभावना न के बराबर ही रहती है।

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