इस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं सकता..!
अंर्तमहाद्विपीय मिसाइल अग्नि-5 ओड़िशा के चांदीपुर से परीक्षण के लिए पूरी तरह से तैयार हो गया है। बुधवार सुबह मिसाइल का परीक्षण होने जा रहा है। उम्मीद जताई जा रही है कि अगर यह परीक्षण सफल रहा तो बुधवार का सवेरा अग्नि-5 की परीक्षण उड़ान के साथ-साथ भारत को मिसाइल क्षमताओं के एक नए पायदान पर भी पहुंचा सकता है।
नई दिल्ली। अंर्तमहाद्विपीय मिसाइल अग्नि-5 ओड़िशा के चांदीपुर से परीक्षण के लिए पूरी तरह से तैयार हो गया है। बुधवार सुबह मिसाइल का परीक्षण होने जा रहा है। उम्मीद जताई जा रही है कि अगर यह परीक्षण सफल रहा तो बुधवार का सवेरा अग्नि-5 की परीक्षण उड़ान के साथ-साथ भारत को मिसाइल क्षमताओं के एक नए पायदान पर भी पहुंचा सकता है। 5 हजार किमी तक मार करने वाली अग्नि-5 मिसाइल की जद में अमेरिका को छोड़ कर पूरा विश्व आ जाएगा।
महत्वपूर्ण बात यह है कि अंतर महाद्वीपीय मारक क्षमता वाली मिसाइलें की ऐसी क्षमताएं अभी तक केवल अमेरिका, रूस और चीन के पास ही थी। लेकिन अग्नि-5 की सफलता के बाद भारत के पास भी यह क्षमता आ जाएगी। मिसाइल का विकास हैदराबाद स्थित एडवांस्ड सिस्टम प्रयोगशाला में किया गया है।
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन [डीआरडीओ] ने देश की पहली अंतर महाद्वीपीय मारक क्षमता वाली अग्नि-5 मिसाइल के परीक्षण की तैयारियां पूरी कर ली हैं। यह मिसाइल पांच हजार किमी से अधिक की दूरी तय करने में सक्षम होगी।
मिसाइल परीक्षण के लिए डीआरडीओ ने 24 अप्रैल तक का लांच विंडो अपने पास रखा है। मिसाइल के लिए ओड़िशा तट से हिंद महासागर के दक्षिणी हिस्से में लक्ष्य तय किया गया है। इस परीक्षण की तैयारियों के दौरान विभिन्न देशों के दूतावासों के अलावा कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों को भी चौकन्ना कर दिया गया है। हवाई और समुद्री यातायात की सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर भी खासा तैयारियां की गई हैं।
इस मिसाइल के परीक्षण के दौरान सरकार ने कई देशों की जल व वायु सेना को इसके दायरे में ना आने का नोटिस भी भेज दिया है। बताया जाता है कि आने वाले तीन वर्षो में अगर यह मिसाइल भारत की सामरिक बलों में शामिल हो जाती है तो भारत चीन के साथ मुकाबले के लिए देश को तैयार कर पाएगा।
अग्नि-5 मिसाइल 17 मीटर लंबी और 50 टन वजनी है। तीन चरणों वाली इस मिसाइल का परीक्षण ठोस ईधन वाले प्रोपेलेंट से होगा। इसे अग्नि-3 के प्रोटोटाइप पर विकसित किया गया है।
डीआरडीओ के मुख्य अधिकारी वी के सरस्वत ने बताया कि अग्नि 5 में उच्च स्तर की तकनीक इस्तेमाल की गई है। मिसाइल को और आधुनिक बनाने के लिए इसमें गाइरोस्कोप व एक्सिलेरॉमिटर का इस्तेमाल किया गया है। इससे मिसाइल नेविगेशन व मार्गदर्शन में सहुलियत मिलेगी।
रक्षा मंत्रालय की योजना नाभिकीय प्रहार में सक्षम अग्नि-5 को 2014-15 तक मिसाइल बेड़े में शामिल करने की है।
अग्नि-5 मिसाइल में इस्तेमाल के लिए ही मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल रीएंट्री व्हीकल [एमआइटीआरवी]भी विकसित किया जा रहा है। इस प्रणाली के सहारे एक ही प्रक्षेपास्त्र पर लगे वॉरहेड के जरिए एक-साथ कई लक्ष्यों का भेदन संभव होगा।
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