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सेना प्रमुख जनरल नरवणे बोले- आतंकी समूहों को जगह नहीं देने की बांग्लादेश की कोशिशों से वाकिफ

भारत-बांग्लादेश के बीच संबंधों के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर बुधवार को यहां आयोजित एक कार्यक्रम में सेना प्रमुख जनरल नरवणे ने अपने पहले से रिकार्ड किए गए भाषण में कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच के ऐतिहासिक भूमि सीमा समझौता हुआ है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 10:12 AM (IST)Updated: Thu, 25 Nov 2021 10:12 AM (IST)
सेना प्रमुख जनरल नरवणे बोले- आतंकी समूहों को जगह नहीं देने की बांग्लादेश की कोशिशों से वाकिफ
दोनों देशों ने सीमा विवाद को सकारात्मक नजरिये और परस्पर संवाद से सुलझाने का रास्ता दिखाया

नई दिल्ली, प्रेट्र। सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा कि भारत के खिलाफ विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम देने वाले आतंकवादी समूहों को जगह देने से इन्कार करने की बांग्लादेश की कोशिशों से भारत वाकिफ है। भारत-बांग्लादेश के बीच संबंधों के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर बुधवार को यहां आयोजित एक कार्यक्रम में सेना प्रमुख जनरल नरवणे ने अपने पहले से रिकार्ड किए गए भाषण में कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच के 'ऐतिहासिक भूमि सीमा समझौते (एलबीए)' ने यह दिखाया कि सीमा से जुड़े मुद्दे को किस तरह 'सकारात्मक नजरिये और परस्पर संवाद' के जरिये सुलझाया जा सकता है।

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नरवणे ने किसी देश का नाम लिए बगैर कहा, 'वह भी ऐसे समय जब 'कुछ देश' अंतरराष्ट्रीय नियमों और कानूनों का उल्लंघन करके, अन्य देशों की क्षेत्रीय अखंडता की पूर्ण अवहेलना करके यथास्थिति को बलपूर्वक बदलने का प्रयास कर रहे हैं।'

बुधवार को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में हुए इस कार्यक्रम की मेजबानी दिल्ली के सेंटर फार लैंड वारफेयर स्टडीज ने की। नरवणे ने कहा कि बांग्लादेश का आतंकवाद निरोधी रुख 'आतंकवाद के सभी रूपों का मुकाबला करने के भारत के संकल्प' के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि भारत भी बांग्लादेश के हितों को कमतर करने के लिए अपनी जमीन का इस्तेमाल करने से आतंकवादी संगठनों को रोकने का काम करता रहेगा।

इस कार्यक्रम में बांग्लादेश के उच्चायुक्त मोहम्मद इमरान, बांग्लादेश के पूर्व सेना प्रमुख हारून-अर-राशिद, 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में योगदान देने वाले भारतीय सैन्य बलों के कुछ सेवानिवृत्त अधिकारी और वरिष्ठ रक्षा अधिकारी शामिल हुए।

सेना प्रमुख ने कहा, 'भारत और बांग्लादेश ने बीते पांच दशक में लंबा रास्ता तय किया है और हमारे बीच की मित्रता समय की कसौटी पर खरी उतरी है।' बाद में वह समारोह में पहुंचे और उन्होंने 'बांग्लादेश लिबरेशन एट 50 वर्ष: 'बिजय' विद सिनर्जी, इंडिया-पाकिस्तान वार 1971' नाम की नई किताब का विमोचन किया।


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