सशस्त्र बलों को हथियारों के लिए और धन की जरूरत : संसदीय समिति
राज्यसभा के पटल पर रखी गई स्थायी समिति की रिपोर्ट। समिति के मुताबिक अगले वित्त वर्ष के लिए एक फरवरी को पेश किए गए बजट में कुल पूंजी आवंटन 113734 करोड़ रुपये है।
नई दिल्ली, आइएएनएस। एक संसदीय स्थायी समिति ने कहा है कि सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक हथियारों की खरीद के लिए और ज्यादा धन की जरूरत है। लेकिन 2020-21 के बजट में मांग के मुकाबले 35 फीसद कम धनराशि आवंटित की गई है।
समिति की यह रिपोर्ट शुक्रवार को राज्यसभा के पटल पर रखी गई। समिति का कहना है कि धन की काफी कमी है और ऐसे हालात आधुनिक समय के युद्ध में हतोत्साहित करने वाले हैं। पूंजी की कमी से नए हथियारों, विमानों, युद्धपोतों और टैंकों की खरीद पर असर पड़ने के साथ ही भू, इमारत और अन्य बुनियादी ढांचे जैसी पूंजीगत परियोजनाओं पर भी असर पड़ेगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, समिति को लगता है और वह चाहती है कि सबसे अत्याधुनिक युद्धक प्रणालियां विकसित और खरीदी जाएं जो उत्तरी और पश्चिमी पड़ोसियों के मुताबिक हों। इसके लिए समुचित आवंटन बेहद जरूरी है। यह सब ऐसे समय हो रहा है जब पाकिस्तान और चीन अपनी सैन्य शक्ति को लगातार बढ़ा रहे हैं। समिति ने कहा कि 2015-16 से सेना के किसी भी अंग को उसकी मांग के अनुसार धन आवंटन नहीं किया गया। समिति का मानना है कि आधुनिक युद्ध में अत्याधुनिक हथियारों का होना न सिर्फ युद्ध को अपने पक्ष में करने के लिए जरूरी है बल्कि ये विश्वसनीय प्रतिरोधक क्षमता भी प्रदान करते हैं।
समिति के मुताबिक, अगले वित्त वर्ष के लिए एक फरवरी को पेश किए गए बजट में कुल पूंजी आवंटन 1,13,734 करोड़ रुपये है। लेकिन सशस्त्र बलों ने 1,75,702.06 करोड़ रुपये की मांग की थी जो 61,968.06 करोड़ रुपये कम है। रक्षा बजट के आवंटन को मंजूरी देने से पहले रक्षा मंत्रालय को वित्त मंत्रालय के समक्ष अपनी बात रखनी चाहिए और उन्हें पूंजीगत कार्यो की अहमियत बतानी चाहिए जो राजस्व और पूंजी के मद में 60:40 के अनुपात को बरकरार रखने के लिए किए जाते हैं।