Move to Jagran APP

अयोध्या मामले में जांच दल के सदस्य रहे पुरातत्ववेत्ता डॉ अरुण शर्मा ने बताया यह खास तथ्य, पढ़ें

राम जन्मभूमि को प्रमाणित करने के लिए आपने कोर्ट के समक्ष क्या-क्या प्रणाम प्रमाण प्रस्तुत किए? पढ़ें डॉ अरुण शर्मा के जवाब

By Nitin AroraEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 08:55 AM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 09:05 AM (IST)
अयोध्या मामले में जांच दल के सदस्य रहे पुरातत्ववेत्ता डॉ अरुण शर्मा ने बताया यह खास तथ्य, पढ़ें
अयोध्या मामले में जांच दल के सदस्य रहे पुरातत्ववेत्ता डॉ अरुण शर्मा ने बताया यह खास तथ्य, पढ़ें

रायपुर, संदीप तिवारी। 'अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनने जा रहा है इसके लिए मन प्रफुल्लित हो उठा है। इतनी लड़ाई और झगड़े के बाद आखिरकार सच्चाई की जीत हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां मंदिर बनवा रहे हैं। मेरा भी सौभाग्य है कि मेरे जीते जी यह मंदिर बन जाएगा। अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन के लिए आमंत्रण कार्ड मिला है पर कोरोना वायरस के चलते फिलहाल ट्रेन और हवाई जहाज नहीं चलने के कारण वहां नहीं जा पाने का मलाल है।'

loksabha election banner

यह कहना है भगवान श्रीराम का ननिहाल कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पुरातत्ववेत्ता और अयोध्या मामले में खोदाई दल के सदस्य पद्श्री डॉ. अरुण कुमार शर्मा का । अयोध्या मामले में साक्ष्य देने के रूप में गवाह रहे। अयोध्या में मंदिर था, इसका प्रमाण उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में पेश किया था। उनकी मांग पर ही यहां खोदाई करवाई गई थी। यहां से मिले शिलालेख और मंदिर के अवशेष ही पूरे फैसले में प्रमुख आधार बने हैं। डॉ. शर्मा ने छत्तीसगढ़ सरकार से मांग की है की यहां माता सीता की मंदिर बनाया जाए।

उन्होंने कहा कि चंदखुरी भगवान राम की मां कौशल्या का मायका है। देश में उनका एकमात्र मंदिर यहां है। इस लिहाज से छत्तीसगढ़ राम भगवान का ननिहाल हुआ। ग्रंथों में इस बात का भी उल्लेख है कि लव-कुश का जन्म सिरपुर (जिला महासमुंद) स्थित तुरतुरिया में हुआ। रामवन गमन मार्ग छत्तीसगढ़ से ही जाता है, दंडकारण्य भी छत्तीसगढ़ में ही है। अगर इन सभी तथ्यों को माना जाए तो छत्तीसगढ़ से भगवान श्रीराम का गहरा युग-युगांतर का नाता है।

प्रस्तुत है डॉ. शर्मा से बातचीत के कुछ अंश-

सवाल: अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि में बनने जा रहे मंदिर के लिए भूमि पूजन होने जा रहा है आप कैसा महसूस कर रहे हैं ?

जवाब: यह न सिर्फ हिंदुओं के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व की बात है। मंदिर निर्मांण का काम इतनी जल्दी शुरू होने जा रहा है, यह सपना साकार होने जैसा लग रहा है। अब सपना है कि छत्तीसगढ़ में माता सीता की मंदिर भी बने। छत्तीसगढ़ में सिहावा पहाड़ से सीतानदी निकलती है । यह सिहावा के दक्षिण दिशा मेंं प्रवाहित होती है, जिसके पास सीता नदी अभ्यारण बना हुआ है। इसके समीप ही वाल्मीकि आश्रम है। यहाँ पर राम ने कुछ समय व्यतीत किया। सिहावा मेंं आगे राम का वन मार्ग कंक ऋषि के आश्रम की ओर से कांकेर पहुंचता है। प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को चाहिए यहां भी माता सीता की भव्य मंदिर बनवाएं इसके लिए मैं तैयार हूं । अयोध्या में यह साबित हुआ आखिर में सच्चाई की जीत होती है।

सवाल: आपको अयोध्या में होने जा रहे श्रीराम मंदिर की भूमि पूजन को लेकर कोई आमंत्रण कार्ड मिला है?

जवाब: जी हां, उनकी तरफ से आमंत्रण कार्ड और मौखिक रूप से मोबाइल पर भी बुलाया गया है परंतु कोरोना संक्रमण के कारण अभी बस, ट्रेन और हवाई जहाज भी नहीं चल रहा है। ऐसे में 87 साल की उम्र में मेरा वहां पहुंच पाना संभव नहीं दिख रहा। इसे लेकर अंदर मलाल है लेकिन उमंग इस बात को लेकर है कि मंदिर बन रहा है। भगवान से मेरी यही इच्छा है कि मेरे जीते जी यह मंदिर तैयार हो जाए और यह मंदिर जल्दी भी बन जाएगा क्योंकि इसकी सारी संरचना पहले से ही तय है। फिलहाल मैंने उनको धन्यवाद भेज दिया है।

सवाल: अयोध्या मामले में आप साक्ष्य प्रस्तुत कर्ता रहे और आप एक अच्छे लेखक हैं इस संबंध में कोई किताब लिखी है क्या?

जवाब: अयोध्या के मामले में खोदाई के दौरान जो भी साक्ष्य मिले। उस इलाके के खंडहर की तस्वीर के साथ एक किताब मैंने लिखी जिसका शीर्षक है- आर्कियोलॉजिकल एविडेंस इन अयोध्या केस। मैं चाहता हूं कि इस किताब को हर कोई पढ़ें यह अंग्रेजी में लिखी है और अब इसके हिंदी अनुवाद के लिए भी हमने अनुमति दे दी है।

सवालः राम जन्मभूमि की खोदाई दल के सदस्य आप कैसे बने ?

जवाबः भारतीय पुरातत्वविद् विभाग से रिटायर होने के बाद मैं अपने व्यक्तिगत सर्वे का काम कर रहा था, तभी विश्व हिंदू परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक सिंघल ने 2003 में मुझसे टेलीफोन पर बातचीत की थी। उन्होंने प्रस्ताव दिया था कि धर्म के नाम पर चल रहे इस केस के रहस्य को सुलझाने में मदद करें। उनके इस प्रस्ताव को स्वीकार किया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने मुझे अपनी टीम में शामिल कर लिया।

सवाल: राम जन्मभूमि को प्रमाणित करने के लिए आपने कोर्ट के समक्ष क्या-क्या प्रणाम प्रमाण प्रस्तुत किए?

जवाब: मैंने कोर्ट में चार प्रमाण प्रस्तुत किए थे इनमें-

पहला प्रमाण- 750 साल पहले गहरवाल राजा ने राम मंदिर का निर्माण करवाया था। खोदाई में मिला शिलालेख सबसे बड़ा प्रमाण है। इसलिए श्रीराम मंदिर था।

दूसरा प्रमाण- मंदिर तोड़ा गया, लेकिन बाबरी मस्जिद बनाने के लिए मंदिर की ही नींव को उपयोग में लाया गया था। इसलिए यहां श्रीराम का अयोध्या था।

तीसरा प्रमाण- मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई, लेकिन मस्जिद के चार कोनों में चार मीनारें होना आवश्यक हैं, वह नहीं थीं। बजू टैंक भी नहीं पाया गया, इसलिए यह हिंदू आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है।

चौथा प्रमाण- बाबर कभी अयोध्या नहीं आया, उसका सेनापति आया था। जिस मस्जिद की बात कही जा रही है, उसकी दीवारों पर मूर्तियां जड़ी हुई हैं। इसमें 84 पिलर पाए गए हैं। इसलिए यह राम जन्मभूमि है। अयोध्या में मंदिर था। मंदिर के 84 पिलर थे। दीवारों में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां गढ़ी गई थीं। मंदिर में 700 साल पुराना शिलालेख मिला था, जो इस बात का पुख्ता प्रमाण देता है कि मंदिर को तोड़कर ही मस्जिद का निर्माण करवाया गया था।

सवालः कोर्ट में सुनवाई के दौरान कोई ऐसा तर्क, जिसे आपने रखा हो और इस मामले में नया मोड़ आया रहा हो?

जवाबः पहले मैंने कोर्ट में कहा कि बाबरी मस्जिद केस चला रहे हैं तो आप हमें बताइए कौन-सी मस्जिद है ? यहां मुख्य न्यायाधीश रफात आलम थे। मैंने उनसे पूछा कि मस्जिद क्या होती है तो उन्होंने बताया कि तीन गुंबज होते हैं, एक मीनार होती है, बजू टैंक होता है। तब मैंने कहा- यहां गुंबज कहां है और मीनार कहां? मैंने कहा था- नमाज पढ़ी ही नहीं गई।'

कौन है अरुण कुमार शर्मा?

रायपुर के चांगोरा भाटा निवासी डॉ अरुण शर्मा (जन्म :1933 ) भारत के पुरातत्वविद हैं। जनवरी 2017 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया। सम्प्रति वे छत्तीसगढ़ शासन के पुरातात्विक सलाहकार हैं। उन्होने छत्तीसगढ़ के अलावा भारत के अन्य स्थानों पर भी खुदाई करायी है। शर्मा ने सिरपुर तथा राजिम में काफी काम किया है। उन्होंने सिरपुर में मिले प्राचीन मूर्तियों तथा मुखौटों के आधार पर कहा था कि हजारों वर्ष पहले यहाँ एलियंस आते रहे हैं। सिरपुर में मिले कई मूर्तियों में पश्चिमी देशों में मिले मूर्तियों से समानता के आधार पर उन्होंने यह बात की थी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.