Coronavirus: पीएम केयर्स फंड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कल होगी सुनवाई, बिना अधिसूचना के हुआ गठन
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से निपटने के लिए स्थापित किए गए पीएम केयर्स फंड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई होगी।
नई दिल्ली, एजेंसी। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से निपटने के लिए स्थापित किए गए पीएम केयर्स फंड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई होगी। पीएम नरेंद्र मोदी के एक आह्वान पर इस फंड में देश के आम और खास लोगों ने एक हफ्ते में 6500 करोड़ रुपये की धनराशि जमा करवा दी थी। जबकि प्रधानमंत्री कोष में दो सालों में भी इतना रकम जमा नहीं हो पाई थी।
बिना अध्यादेश या अधिसूचना के पीएम केयर्स फंड का गठन
याचिकाकर्ता वकील एमएल शर्मा की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि भारत सरकार की ओर से बिना किसी अध्यादेश या अधिसूचना के 28 मार्च को प्रेस विज्ञप्ति के जरिये पीएम केयर्स फंड के गठन की जानकारी दी गई।
वकील ने दिया सुझाव, लॉकडाउन के दौरान कैसे चल सकती हैं अदालतें
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने देश के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों को पत्र लिखकर कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण लंबे समय तक अदालतों को बंद करना एक आत्म विनाशकारी विचार है। पत्र में उन्होंने सुझाव दिया है कि लॉकडाउन के दौरान शारीरिक दूरी का पालन करते हुए अदालतें किस तरह चल सकती हैं।
किसी पक्ष को अदालत में आने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए
उन्होंने कहा है कि सभी अदालतें 25 मामलों के साथ बैठ सकती हैं और किसी पक्ष को अदालत में आने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। द्विवेदी ने अपने पत्र में लिखा है कि न्यायालय मौलिक अधिकारों के प्रहरी हैं। पुराने मामले पड़े हुए हैं। लोगों के महत्वपूर्ण हित जुड़े हुए हैं और मामले क्वारंटाइन में हैं। वीडियो कांफ्रेंसिंग अदालत को आइसीयू में ऑक्सीजन पर डालने जैसा है। इसलिए हम किस तरह थोड़े बेहतर ढंग से कामकाज को बहाल कर सकते हैं?
न्यायाधीश और वकील मास्क के साथ-साथ दस्ताने पहन सकते हैं
उन्होंने सुझाव दिया है कि न्यायाधीश और वकील मास्क के साथ-साथ दस्ताने पहन सकते हैं। जैसे ही न्यायाधीश डायस पर बैठते हैं, वे वकीलों से अच्छी दूरी तय कर लेते हैं। वे आपस में भी पांच फीट की दूरी पर बैठ सकते हैं। सभी अदालतें 25 मामलों के साथ बैठती हैं। वे पांच मामलों की सुनवाई और पांच मामलों का अंतिम निस्तारण कर सकती हैं। उन्होंने लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट को बंद या कांफ्रेंस मोड में लंबे समय तक रखना राष्ट्रीय हित में नहीं हो सकता है।
लॉकडाउन के दौरान बाल उत्पीड़न पर स्वत: संज्ञान लें मुख्य न्यायाधीश
देश के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े को एक पत्र लिखा गया है, जिसमें उनसे देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान बाल उत्पीड़न के मामलों में वृद्धि पर स्वत: संज्ञान लेने का अनुरोध किया गया है। दो वकीलों सुमीर सोढ़ी और आरजू अनेजा द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान हालांकि अपराध की कुल दर नीचे चली गई थी, लेकिन बच्चों के साथ दुर्व्यवहार और हिंसा की घटनाओं में तेजी आई है। वकीलों ने कहा कि उनके पत्र का आधार मीडिया में प्रकाशित लेख हैं, जिसमें यह बताया गया है कि हॉटलाइनें बाल शोषण के मामलों को प्रकाश में ला रही हैं। इंडिया हेल्पलाइन को 92,000 से अधिक कॉल प्राप्त हुए हैं, जिनमें लॉकडाउन के दौरान बच्चों को दुर्व्यवहार से सुरक्षा देने की मांग की गई है। आगे कहा गया है कि लॉकडाउन लागू होने के बाद से कॉलों की संख्या में 50 फीसद की वृद्धि हुई है।