आदर्श गांवों के विकास पर सांसदों की उदासीनता पड़ी भारी, केंद्रीय योजनाएं नहीं आयी काम
आदर्श गांवों में 35 ऐसे कार्यो का विकास करना है, जो गांव की बुनियादी जरूरतों से जुड़ी हुई हैं।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। आदर्श गांवों के विकास पर सांसदों की उदासीनता भारी पड़ी है, जिसके चलते सांसद आदर्श गांव योजना अपना उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल नहीं हो पायी है। सांसद के चयनित गांवों में विकास कार्य कराने के लिए केंद्र की लगभग दो दर्जन योजनाओं के नियमों में संशोधन भी बहुत काम नहीं आया। गांवों को आदर्श बनाने के लिहाज से गांवों में बुनियादी विकास के तकरीबन तीन दर्जन कार्य कराने हैं, लेकिन कुछ ही संसदीय क्षेत्रों को छोड़कर बाकी जगहों के हालात संतोषजनक नहीं हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पक्ष व विपक्ष के सभी सांसदों से कुछ गांवों के समग्र विकास करने की अपील की थी। अक्तूबर 2014 में सांसद आदर्श गांव योजना की शुरुआत की गई थी। मार्च 2019 तक प्रत्येक सांसद को तीन गांवों को आदर्श बनाने का विकल्प दिया गया था। जबकि प्रत्येक संसदीय क्षेत्र के पांच ग्राम पंचायतों को आदर्श बनाने का लक्ष्य दिया गया है। राज्य सरकारों व सांसदों के अनुरोध पर गांवों के विकास के लिए 22 केंद्रीय योजनाओं के कई नियमों में संशोधन भी किया गया।
आदर्श गांव के चयन को लेकर पहले चरण में ही कई विपक्षी दलों के सांसदों ने योजना से खुद को अलग कर लिया। इनमें तृणमूल कांग्रेस के सांसद प्रमुख रहे। दूसरे चरण में जहां 478 सांसदों ने अपनी ग्राम पंचायतों का चयन किया वहीं तीसरे चरण में केवल 218 सांसद आगे आये। जबकि दूसरे चरण में 32 केंद्रीय मंत्रियों ने ग्राम पंचायतों को चयनित किया, लेकिन तीसरे चरण में यह संख्या घटकर 22 रह गई।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से लगातार याद दिलाने के बावजूद सांसदों ने आदर्श गांव योजना को तरजीह नहीं दी। सांसदों की शिकायत यह है कि उन्हें इसके लिए अलग कोई फंड मुहैया नहीं कराया गया है। दूसरी शिकायत यह है कि विस्तृत संसदीय क्षेत्र की कुछ ग्राम पंचायतों को चुनना आसान नहीं होगा। केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के बीच तालमेल बनाने के भरसक प्रयास किये गये, लेकिन सांसदों के एक बड़े वर्ग को यह भी रास नहीं आया।
आदर्श गांवों में 35 ऐसे कार्यो का विकास करना है, जो गांव की बुनियादी जरूरतों से जुड़ी हुई हैं। इन्हीं के आधार पर सर्वोत्तम आदर्श गांव का चयन भी किया जाता है। इनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, आजीविका, महिला सशक्तिकरण, वित्तीय प्रबंधन, खाद्य सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और पंचायतों में ई-गवर्नेस प्रमुख हैं। केंद्रीय मंत्रालय की योजनाओं में चार बड़ी सेवाओं ऊर्जा, पेयजल, सड़क और शिक्षा को प्राथमिकता दी जानी है।