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अंत्योदय अन्न योजना: कोटे की दुकानों से अतिरिक्त चीनी व अनाज देने पर सरकार कर रही विचार

अंत्योदय अन्न योजना के तहत 2.5 करोड़ परिवारों को 13.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से चीनी मुहैया कराई जाती है। सरकार अब एक किलोग्राम अतिरिक्त चीनी देने की योजना बना रही है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 03 Jun 2019 07:53 PM (IST)Updated: Mon, 03 Jun 2019 07:53 PM (IST)
अंत्योदय अन्न योजना: कोटे की दुकानों से अतिरिक्त चीनी व अनाज देने पर सरकार कर रही विचार

नई दिल्ली, पीटीआइ। सरकार कोटे की दुकानों (पीडीएस) से 16.3 करोड़ लोगों को रियायती दर पर एक किलोग्राम अतिरिक्त चीनी देने की योजना बना रही है। इससे सरकारी खजाने पर 4,727 करोड़ रुपये का भार पड़ेगा। यही नहीं मानसून से पहले सरकारी गोदामों को खाली करने के लिए लोगों को अतिरिक्त अनाज देने पर भी विचार किया जा रहा है।

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सूत्रों के मुताबिक सरकार के गठन के बाद पिछले हफ्ते हुई कैबिनेट की पहली बैठक में लोगों को अतिरिक्त चीनी देने के खाद्य मंत्रालय के प्रस्ताव पर चर्चा हुई थी, लेकिन कोई फैसला नहीं हो पाया था। सरकार ने मंत्रालय से पीडीएस के जरिए लोगों को चीनी के साथ ही अतिरिक्त अनाज (गेहूं या चावल) भी देने पर विचार कर नया प्रस्ताव बनाने को कहा था।

बता दें कि अंत्योदय अन्न योजना (एएवाइ) के तहत 2.5 करोड़ परिवारों को 13.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से चीनी मुहैया कराई जाती है। मंत्रालय ने 16.29 करोड़ अतिरिक्त लाभार्थी परिवारों को एक किलोग्राम चीनी मुहैया कराने का प्रस्ताव बनाया है।

सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय एक या दो किलोग्राम अनाज देने पर विचार कर रहा है, लेकिन अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सरकार हर महीने 80 करोड़ लोगों को रियायती दरों पर पांच किलोग्राम अनाज मुहैया कराती है। गेहूं दो रुपये और चावल तीन रुपये किलो दिया जाता है।

कार्डधारकों को अतिरिक्त अनाज देने पर विचार इसलिए किया जा रहा है, ताकि सरकारी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) के गोदामों को बरसात से पहले खाली कराया जा सके। एफसीआइ के गोदाम अनाज से अटे पड़े हैं, यहां तक कि खुले में भी अनाज रखे गए हैं।

केरल में दक्षिणपश्चिमी मानसून के पांच जून तक पहुंचने का अनुमान है। इसको देखते हुए एफसीआइ की चिंता बढ़ गई है और वह बड़े ग्राहकों को ज्यादा से ज्यादा अनाज देने लगी है। लेकिन खुले बाजार में कम कीमत पर अनाज उपलब्ध होने से व्यापारी एफसीआइ से अनाज खरीदना नहीं चाहते।

दरअसल, पिछले कुछ सालों में बंपर पैदावार और ज्यादा सरकारी खरीद के चलते सरकारी गोदाम अनाज से भर गए हैं।

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