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रेल भवन का एक और कर्मचारी मिला कोरोना पॉजिटिव, मंत्रालय के सभी कार्यालय दो दिनों के लिए बंद

पॉजिटिव पाया गया चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पिछले मंगलवार तक कार्यालय आया था। दो सप्ताह से कम समय में रेल भवन में कोरोना वायरस पॉजिटिव का यह पांचवां मामला सामने आया है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 12:17 AM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 12:22 AM (IST)
रेल भवन का एक और कर्मचारी मिला कोरोना पॉजिटिव, मंत्रालय के सभी कार्यालय दो दिनों के लिए बंद
रेल भवन का एक और कर्मचारी मिला कोरोना पॉजिटिव, मंत्रालय के सभी कार्यालय दो दिनों के लिए बंद

नई दिल्ली, प्रेट्र। रेल भवन में सोमवार को एक कर्मचारी कोरोना वायरस पॉजिटिव पाया गया। इसके बाद रेल मंत्रालय के सभी कार्यालय अगले दो दिनों के लिए बंद कर दिए गए हैं। एक पखवाड़े के दौरान दूसरी बार कार्यालय बंद किया गया है।

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पॉजिटिव पाया गया चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पिछले मंगलवार तक कार्यालय आया था। दो सप्ताह से कम समय में रेल भवन में कोरोना वायरस पॉजिटिव का यह पांचवां मामला सामने आया है। उसके संपर्क में आए नौ लोगों को दो जून तक होम क्वारंटाइन में भेज दिया गया है। विभिन्न काम करने वाले चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी एक अधिकारी के पास से फाइलें दूसरे तक पहुंचाते हैं। रोजाना कई लोगों के संपर्क में आते हैं। ये फाइलें रेलवे बोर्ड चेयरमैन या रेल मंत्री तक भी पहुंचती हैं।

पहले भी बंद रखा गया था रेल भवन

हाल के दिनों में रेल भवन में एक के बाद एक अधिकारी, कर्मचारी पॉजिटिव मिले हैं। 22 मई को रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) सेवा के पुनर्गठन का काम कर रहीं अधिकारी पॉजिटिव पाई गई थीं। अंतिम बार वह 13 मई को कार्यालय आई थीं। उसी दिन आरपीएफ का जूनियर कर्मचारी पॉजिटिव पाया गया था। रेल भवन में पॉजिटिव पाया जाने वाला वह पहला कर्मचारी था। उसके बाद लंगूर की देखरेख करने वाला व्यक्ति 14 मई को पॉजिटिव पाया गया। दोनों मामले सामने आने के बाद डीप सैनिटाइजेशन के लिए रेलवे ने 14 और 15 को भवन बंद रखा था।

वहीं, दूसरी ओर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक पिछले चौबीस घंटे में 6,977 नए मामले मिले हैं और 154 लोगों की मौत हो गई है। मंत्रालय के मुताबिक अब तक मिले संक्रमितों की संख्या 1,38,845 हो गई है, जिसमें से 77 हजार ही एक्टिव केस हैं। 4,021 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य मंत्रालय व अन्य स्रोतों से मिले आंकड़ों में अंतर का कारण राज्यों से केंद्रीय एजेंसी को आंकड़े मिलने में होने वाली देरी है। इसके अलावा कई एजेंसियां राज्यों से सीधे आंकड़े जुटाती हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों में एक दिन पहले की देर रात तक के मामले शामिल होते हैं।


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