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एक युवती का पुरुषों के लिए खुला खत, पढ़िए और खुद फैसला कर अपने बारे में करें विचार!

आज अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस है। इसका अर्थ महिलाओं के प्रति सम्‍मान का दिन लेकिन सिर्फ एक ही दिन। इस सवाल का जवाब देना आपके और हमारे लिए बेहद जरूरी है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 08 Mar 2019 12:09 PM (IST)Updated: Sat, 09 Mar 2019 08:21 AM (IST)
एक युवती का पुरुषों के लिए खुला खत, पढ़िए और खुद फैसला कर अपने बारे में करें विचार!

मेरे सभ्‍य समाज के लोगों,

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मुझे यह समझ नहीं आता कि आखिर क्‍यों, आप लोग मुझे अपने सभ्‍य समाज का हिस्‍सा नहीं समझते हो...? मैं विदेश से नहीं आई हूं, मेरा जन्‍म यहीं हुआ है। इन्‍हीं छोटी-छोटी गलियों में मेरा बचपन बीता है। इन गलियों में मैंने खूब लुका-छिपी और पिट्ठू गरम खेला है। जब मैं और मेरी सहेलिया मिलकर मोहल्‍ले में धमा-चौकड़ी किया करती थीं, तो हमें आस-पड़ोस के लोग खूब डांटा करते थे। कुछ हमें देखकर खूब हंसा भी करते थे। हमारी ये शरारतें लोगों को खूब भाती थीं।

अब मैं 21 साल की हो गई हूं। मुझे लेकर अब हमारे सभ्‍य समाज के लोगों का नजरिया बदल गया है। रमेश अंकल जो मुझे बचपन में अपनी गोद में बिठाकर खिलाया करते थे, वो मुझे अजीब-सी नजरों से देखते हैं। वे लड़के जिनके साथ खेलकर मैं बड़ी हुई हूं, उनकी नजरें मेरी गर्दन के नीचे के शरीर तक ही जाती हैं। सुजाता आंटी मुझे देखकर हमेश मुंह फेर लेती हैं। मोहल्‍ले की दूसरी महिलाएं मुझे लेकर तरह-तरह की बातें करती हैं। मेरे कैरेक्‍टर पर सवाल उठाती हैं। मुझे समझ में नहीं आता कि आखिर ऐसा क्‍यों हुआ है?

क्‍या इसकी वजह ये तो नहीं कि...
मैं वेस्‍टर्न कपड़े पहनती हूं...
मेरा एक ब्‍वॉयफ्रेंड है...
मैं अंग्रेजी में बात करती हूं...
लोगों से तर्क वितर्क करती, सबके साथ खुलकर बात भी करती हूं...
एक मल्‍टी नेशनल कंपनी में काम करती हूं...
मैं रात को दोस्‍तों के साथ घूमने जाती हूं...

तो क्‍या इसकी वजह से लोगों को मेरे चरित्र पर अंगुली उठाने का अधिकार मिल जाता है? अगर मैं वेस्‍टर्न कपड़े पहनती हूं, तो क्‍या लड़कों को मुझे छेड़ने का लाइसेंस मिल जाता है? ऐसा क्‍यों माना जाता है कि अगर कोई लड़की रात में घर लौटती है, तो वह कोई गलत काम करके ही आती है? रात को दोस्‍तों के साथ घूमने में क्‍या बुराई है? क्‍या एक लड़की को अपने हिसाब से जीने का हक नहीं है?

आखिर क्‍यों जब किसी लड़की के साथ छेड़छाड़ होती है, तो उसके कपड़ों पर सवाल उठाया जाता है? क्‍यों नहीं हमारे सभ्‍य समाज में रहने वाले मर्दों की गंदी नीयत को दोषी माना जाता? लड़कियों को समझाया जाता है कि वो रात में घर से बाहर ना निकलें? लड़कों को क्‍यों नहीं समझाया जाता कि रात में लड़कियों को ना छेड़ें? रात में सिर्फ ‘बैड कैरेक्‍टर’ की लड़कियां ही घर से बाहर नहीं निकलती हैं?

मैं अपने सभ्‍य समाज से पूछना चाहती हूं कि आखिर लड़कियों के साथ छेड़छाड़ करने वाले लोग कहां से आते हैं? क्‍या वो किसी दूसरे ग्रह से आए एलियन होते हैं, जिन्‍हें हमारे समाज के कायदे-कानून नहीं पता होते? हम सभी इस बात से वाकिफ हैं कि महिलाओं पर अत्‍याचार हमारे बीच रहने वाले लोग ही करते हैं। ये लोग हमारे समाज का ही हिस्‍सा हैं। मेरा मानना है कि ऐसे लोग मानसिक रूप से बीमार होते हैं, जिन्‍हें अपनी सोच में बदलाव की जरूरत है।

इसलिए मेरी स्‍कर्ट नहीं, लोगों की सोच छोटी है। मेरा कैरेक्‍टर खराब नहीं है, लोगों की नजरें गंदी हैं। आज लड़कियों को नहीं, बल्कि लड़कों को अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है। ये बदलाव जितनी जल्‍दी आए उतना बेहतर, कहीं देर ना हो जाए। अलार्म बजने से पहले जागो रे...!


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