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ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्यों से पर्दा उठाने में एएमयू की अहम भूमिका, जेनेवा की महामशीन में फिट होंगी 50 सीआरयू

जेनेवा में चल रहे महाप्रयोग में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के वैज्ञानिक महामशीन में लगे एएमयू के डिटेक्टर में 50 कॉमन रीड आउट यूनिट (सीआरयू) लगाएंगे।

By Edited By: Published: Wed, 26 Sep 2018 10:10 AM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 11:09 AM (IST)
ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्यों से पर्दा उठाने में एएमयू की अहम भूमिका, जेनेवा की महामशीन में फिट होंगी 50 सीआरयू
ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्यों से पर्दा उठाने में एएमयू की अहम भूमिका, जेनेवा की महामशीन में फिट होंगी 50 सीआरयू

अलीगढ़ (संतोष शर्मा)। ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए जेनेवा में चल रहे महाप्रयोग में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के वैज्ञानिक महामशीन में लगे एएमयू के डिटेक्टर में 50 कॉमन रीड आउट यूनिट (सीआरयू) लगाएंगे। इससे तेजी से डाटा रीड करना संभव हो जाएगा। केंद्र सरकार ने दो करोड़ से अधिक बजट भी जारी कर दिया है। इसके साथ, एएमयू फिजिक्स डिपार्टमेंट में डाटा स्टोरेज बढ़ाने के लिए 64 लाख के खर्च से कंप्यूटर क्लस्टर भी तैयार हो रहा है।

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महाप्रयोग में 19 साल से जुड़ा है एएमयू
महाप्रयोग से एएमयू 1999 से जुड़ा हुआ है। अभी तक पांच शिक्षक, चार विद्यार्थी व दो टेक्नीशियन सर्न (दुनिया की सबसे बड़ी भौतिकी की प्रयोगशाला) में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। अभी इसका डाटा 500 से 1000 हटर््ज की रफ्तार से रीड किया जा रहा है। वर्ष 2020 तक सीआरयू लग जाने से यह स्पीड 2 लाख हटर््ज हो जाएगी।

भारत को मिली 266  यूनिट की जिम्मेदारी
भारत को ऐसे 266 यूनिट बनाने की जिम्मेदारी मिली है। इनकी कीमत करीब 11 करोड़ है। इनमें से 48 एएमयू लगाएगा। दरअसल, एएमयू का एक डिटेक्टर सर्न में लगा हुआ है। इसके जरिये एएमयू महाप्रयोग से जुड़ा डाटा अपने यहां स्टोर करती है। उसी डिटेक्टर में अब 48 सीआरयू लगाए जाएंगे। दो अतिरिक्त सीआरयू भी लेंगे, ताकि आपात स्थिति में काम आ सकें।

80 टेराबाइट क्षमता का सर्वर
सीआरयू लगने से महाप्रयोग का डाटा अब अधिक स्पीड से एएमयू में बनाए जा रहे सर्वर में स्टोर होगा। इसके लिए फिजिक्स डिपार्टमेंट में 64 लाख की लागत से 70 से 80 टेराबाइट की क्षमता वाला कंप्यूटर क्लस्टर सर्वर लगाया जा रहा है। इसकी कुछ मशीनें भी आ गई हैं। अभी एएमयू डेडीकेटेड नेटवर्क के जरिए महाप्रयोग से जुड़ा हुआ है। पर, यह उतना ही डाटा स्टोर कर पाता है, जितना कि कंप्यूटर या लैपटॉप की हार्ड डिस्क की क्षमता है। सर्न से जुड़े वैज्ञानिक ग्रिड कंप्यूटङ्क्षरग के जरिये स्टोर डाटा का अध्ययन कर सकेंगे।

क्या है सर्न
सर्न यानि यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संगठन, भौतिकी की विश्व की सबसे बड़ी प्रयोगशाला है। यह फ्रांस व स्विट्जरलैंड की सीमा पर जिनेवा के उत्तर पश्चिमी उपनगरीय क्षेत्र में है। इस संस्था के भारत समेत 20 यूरोपीय देश सदस्य हैं। यहां करीब 2600 स्थाई कर्मचारी, दुनियाभर के 500 विश्वविद्यालयों व 80 राष्ट्रों के करीब 7930 वैज्ञानिक व इंजीनियर कार्यरत हैैं।

ढाई करोड़ होंगे खर्च
एएमयू में सर्न प्रोजेक्ट के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर प्रो. शकील अहमद का कहना है कि एएमयू के डिटेक्टर में लगे कंपोनेंट हटाकर सीआरयू लगाएंगे। महामशीन के सभी डिटेक्टर में नई यूनिट लगाई जाएंगी। हमने अपने डिटेक्टर में लगाने के लिए 50 सीआरयू खरीदने जा रहे हैैं। इसमेें दो से ढाई करोड़ खर्च होगा। इनकी टेस्टिंग एएमयू या कोलकाता में की जाएगी।


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