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''यूपीए काल में मोदी को फंसाने के लिए दबाव डाल रही थी सीबीआई'', केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बयान

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के दौरान गुजरात में एक कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को फंसाने के लिए सीबीआई उन पर दबाव डाल रही थी। Photo- AP

By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyThu, 30 Mar 2023 02:03 AM (IST)
''यूपीए काल में मोदी को फंसाने के लिए दबाव डाल रही थी सीबीआई'', केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बयान
यूपीए काल में मोदी को फंसाने के लिए दबाव डाल रही थी सीबीआई: शाह

नई दिल्ली, पीटीआई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के दौरान गुजरात में एक कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को 'फंसाने' के लिए सीबीआई उन पर 'दबाव' डाल रही थी। शाह ने यहां एक कार्यक्रम में यह बात तब कही जब उनसे पूछा गया कि क्या मोदी सरकार विपक्ष को निशाना बनाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का 'दुरुपयोग' कर रही है।

अमित शाह ने विपक्ष को दी नसीहत

शाह ने कहा कि सीबीआई कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में पूछताछ के दौरान मोदी को फंसाने के लिए मुझ पर दबाव बना रही थी। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद भाजपा ने कभी हंगामा नहीं किया। केंद्रीय गृह मंत्री कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी अकेले ऐसे नेता नहीं हैं जिन्होंने अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद सदन की सदस्यता गंवाई है। इसे लेकर हो हल्ला मचाने की जरूरत नहीं है।

शाह ने कहा कि राहुल को अपने मामले की पैरवी के लिए ऊपरी अदालत में जाना चाहिए। लेकिन ऐसा करने के बजाय वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आरोप लगाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस बेवजह यह भ्रम फैला रही है कि सजा पर स्टे नहीं हो सकता। अदालत चाहे तो स्टे दे सकती है।

राहुल गांधी पर बोले केंद्रीय गृह मंत्री शाह

शाह ने कहा कि राहुल ने अपनी सजा पर रोक लगाने की अब तक अपील नहीं की है। यह किस तरह का अहंकार है? आप अहसान चाहते हैं। एक सांसद के रूप में भी बने रहना चाहते हैं लेकिन अदालत के समक्ष जाना नहीं चाहते आखिर क्यों। गृह मंत्री ने कहा, ''यह महाशय पहले व्यक्ति नहीं हैं। बड़े पदों पर आसीन और उनसे अधिक अनुभव रखने वाले राजनेता भी इस प्रविधान के कारण अपनी सदस्यता खो चुके हैं।

उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव, जे.जयललिता और राशिद अल्वी सहित 17 राजनेताओं को अदालतों द्वारा दोषी ठहराया गया जब वे या तो विधानसभा या संसद के सदस्य थे। इन लोगों ने संप्रग काल में 2013 में बने कानून के तहत सजा सुनाए जाते ही अपनी सदस्यता खो दी। इन लोगों ने देश के कानून का पालन किया और इनमें से किसी ने भी काले कपड़े पहनकार विरोध नहीं जताया।

शाह ने गिनाए उदाहरण

उन्होंने कहा कि जब लालू अयोग्य ठहराए गए तो लोकतंत्र खतरे में नहीं पड़ा लेकिन जैसे ही गांधी परिवार के सदस्य को अयोग्य ठहराया गया लोकतंत्र को खतरे में बताया जाने लगा। लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि गांधी परिवार के लिए अलग कानून होना चाहिए।शाह ने कहा कि आप राहुल का पूरा भाषण सुनें उन्होंने न केवल प्रधानमंत्री मोदी को अपशब्द कहे बल्कि मोदी समुदाय और ओबीसी समाज को गालियां दीं।

उन्होंने जानबूझकर ऐसा भाषण दिया था। अगर राहुल इसके लिए माफी नहीं मांगते तो उन्हें जमानत के लिए भी आवेदन नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश का कानून स्पष्ट है। इसमें कोई प्रतिशोध की राजनीति नहीं है। यह सुप्रीम कोर्ट का वह निर्णय है जो उनकी ही सरकार के दौरान आया था। गृह मंत्री ने कहा कि यह राहुल ही थे जिन्होंने पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के दौरान एक अध्यादेश फाड़ा था जो शायद अब उनकी मदद कर सकता था।

शाह ने आरोपों से किया इनकार

उन्होंने कहा कि यह देश का कानून है कि जो कोई भी अदालत द्वारा दोषी ठहराया जाता है वह संसद या विधानसभा की सदस्यता खो देता है। शाह ने कहा कि कांग्रेस के पास कई बड़े वकील हैं और उनमें से कुछ राज्यसभा सदस्य भी हैं। राहुल को कानूनी मुद्दों के बारे में उनसे सलाह देनी चाहिए। राहुल को उनका सरकारी आवास तत्काल खाली करने के नोटिस के बारे में पूछे जाने पर शाह ने कहा कि यह कोई जल्दबाजी नहीं थी और यह सिर्फ एक स्वाभाविक प्रक्रिया थी।

इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट व्यवस्था है कि सजा सुनाए जाते ही सारी अन्य प्रक्रियाएं शीघ्रता से पूरी की जाएं। उन्होंने कहा कि यह देश का कानून है कि सजा सुनाए जाने के बाद से संसद में उनके सभी भाषणों को रिकार्ड से हटाना होगा। उन्होंने कहा कि अगर राहुल को उनकी अयोग्यता का नोटिस कुछ दिनों बाद भी दिया जाता, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था।

सावरकर पर अपनी दादी का भाषण पढ़ें राहुल

सावरकर पर राहुल की टिप्पणी के बारे में गृह मंत्री ने कहा कि वीर सावरकर एकमात्र ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्हें अंडमान जेल में दो आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। ऐसे स्वतंत्रता सेनानी के लिए ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए था। राहुल को वीर सावरकर पर अपनी दादी (इंदिरा गांधी) का भाषण पढ़ना चाहिए। अब तो उनकी अपनी पार्टी के लोग उन्हें सावरकर के खिलाफ नहीं बोलने की सलाह दे रहे हैं।

2024 के आम चुनाव पर शाह ने कहा कि मोदी फिर से बड़े बहुमत के साथ पीएम बनेंगे। भाजपा को 2019 के चुनावों की तुलना में 2024 के चुनावों में अधिक सीटें मिलेंगी। उन्होंने कर्नाटक में भारी बहुमत से सरकार बनाने का दावा किया।

अमृतपाल मामले में सुरक्षा एजेंसियां सक्रिय

अमृतपाल पर शाह ने कहा कि वह हर तीन महीने में पंजाब के मुख्यमंत्री से मिलते हैं, चाहे सरकार कोई भी हो और जब देश की सुरक्षा की बात आती है तो पार्टी के साथ खड़े होते हैं।उन्होंने कहा कि अमृतपाल मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है, पुलिस और खुफिया एजेंसियां मामले पर काम कर रही हैं। विदेश में भारतीय दूतावासों पर हमले पर शाह ने कहा कि यह भारत पर हमला था। जो लोग हमले में शामिल थे उन पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने जांच एजेंसियों के दुरुपयोग के आरोप को नकारते हुए न्यायपालिका और सरकार के बीच किसी तरह के टकराव से भी इन्कार किया।