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UNSC में भारत की दावेदारी के पक्ष में US-रूस समेत ये चार देश, लेकिन यहां फंस रहा पेच

इस साल यूएनजीए में नौ देशों की तरफ से भारत के समर्थन में मांग उठी है। इस साल भारत ने जी-4 जी-69 समूहों की बैठक के जरिए भी संयुक्त राष्ट्र सुधार के एजेंडे को धार देना जारी रखा है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि के कार्यालय की तरफ से सोशल मीडिया साइट एक्स पर बताया गया है कि इस साल (यूएनजीए-79) में भारत चर्चा का विषय रहा है।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Updated: Tue, 01 Oct 2024 09:19 PM (IST)
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( File Photo )

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार की भारत की मांग को व्यापक तौर पर समर्थन मिल रहा है। इसकी बानगी इस साल की संयुक्त राष्ट्र महाधिवेशन (यूएनजीए) में भी देखने को मिली है जहां कम से कम नौ देशों के प्रतिनिधियों ने अपने संबोधन में यूएनएससी में स्थाई सदस्यता के भावी उम्मीदवार के तौर पर भारत का नाम लिया है।

भारत के पक्ष में ये देश

भारत के अलावा ब्राजील, अफ्रीकी महादेश के प्रतिनिधि के तौर पर भी किसी देश को स्थाई सदस्य बनाने का समर्थन मिला है। लेकिन एक खास बात भारत के समर्थन में यह रही है कि मौजूदा पांच स्थाई सदस्यों में से चार - अमेरिका, इंग्लैंड, रूस और फ्रांस ने एक बार फिर दोहराया है कि वह भारत की दावेदारी के पक्ष में है। सिर्फ चीन ही एकमात्र ऐसा देश है जिसने इस बार भी भारत का नाम नहीं लिया है हालांकि उसके प्रतिनिधि की तरफ से भी संयुक्त राष्ट्र के मौजूदा स्वरूप में बदलाव की बात कही गई है।

अमेरिका ने की भारत की पैरवी

अमेरिका आधिकारिक तौर पर लगातार यूएनएससी में भारत को शामिल करने की पैरवी करता रहा है। 23 सितंबर को आयोजित समिट ऑफ फ्यूचर्स में भाषण देते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार के साथ ही भारत की स्थाई सदस्यता देने की समर्थन किया था। इस आयोजन में पीएम नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में संयुक्त राष्ट्र में सुधार को वैश्विक शांति व विकास के लिए सबसे जरूरी काम करार दिया था।

यूगांडा, चिली, पुर्तगाल, बेलारूस, भूटान, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, माइक्रोनेशिया जैसे देशों के प्रमुखों ने अपने संबोधन में सीधे तौर पर भारत का नाम लिया है और भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य बनाने की मांग पेश की है।

याद रहे कि समिट ऑफ फ्यूचर्स के बाद वैश्विक नेताओं की तरफ से पैक्ट ऑफ दे फ्यूचर नाम से घोषणापत्र को स्वीकार करने का ऐलान किया गया है। इसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को शामिल किया गया है।

प्रभावशाली बनाने की बात

इसमें संयुक्त राष्ट्र के मौजूदा स्वरूप को बदलाव करने के बाद इसे और ज्यादा पारदर्शी, लोकतांत्रिक, प्रभावशाली बनाने की बात कही है और इसके लिए ज्यादा देशों को प्रतिनिधित्व देने की भी बात है। इसे कई देशों ने मील का पत्थर करार दिया है। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने भी इसे सही दिशा में उठाया गया कदम बताया है।

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