छत्तीसगढ़ में कमाल के चूहे, 13 हजार चूजे और 10 किलो गांजा कुतर गए
चूहों की करामात का पहला मामला दुर्ग जिले का है। यहां के थानों के मालखाने में रखा गांजा कुतरे जाने के दावे के बाद सुरक्षित रखने के लिए पुलिस लोहे की पेटियां खरीद रही है।
रायपुर, जेएनएन। चूहे भी कमाल कर रहे हैं। दुर्ग जिले के भिलाई में जहां चूहों ने मालखाने में रखा 10 किलो गांजा कुतर डाला, वहीं अंबिकापुर में सरकारी मुर्गी पालन केंद्र के 13 हजार चूजों को खा गए। हालांकि, यह दावा दोनों विभागों के अधिकारियों द्वारा ही किया जा रहा है। इसकी जांच भी शुरू हो गई है। परिणाम सामने आने के बाद ही यह साफ हो सकता है कि क्या वास्तव में यह चूहों की करामात है या भ्रष्ट कर्मचारियों की खुराफात।
चूहों की करामात का पहला मामला दुर्ग जिले का है। यहां के थानों के मालखाने में रखा गांजा कुतरे जाने के दावे के बाद सुरक्षित रखने के लिए पुलिस लोहे की पेटियां खरीद रही है। जिले के सुपेला, पुलगांव, अंडा, कुम्हारी, छावनी और जामुल थाने में जब्त गांजे की बोरियों को चूहों ने चट कर दिया है। गांजा नष्ट करने के लिए कोर्ट में आवेदन लगाने से पहले जब बोरियां को टटोला गया तो फटी बोरियों में 10 किलो गांजा कम मिला है। कुछ दिनों पहले सुपेला थाने में तो मालाखाना मुंशी ने बगैर लोहे की पेटी के गांजा जमा करने से ही मना कर दिया तो विवेचना अधिकारी ने 500 रुपये में पेटी मंगाई।
दूसरा मामला अंबिकापुर से लगे सकालो गांव के सरकारी मुर्गी पालन केंद्र का है। ग्रामीण क्षेत्र में मुर्गी पालन को बढ़ावा देने के लिए कुक्कुट फार्म की स्थापना की गई है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में इस केंद्र में 1,41,353 चूजे पैदा हुए थे। इनमें से 92,567 चूजों की मौत हो गई। बड़ी संख्या में हुई चूजों की मौत के पीछे अलग-अलग कारण बताए गए। इनमें सबसे चौंकाने वाला कारण चूहों को बताया गया। विभागीय आंकड़ों के अनुसार, 13,395 चूजे चूहे खा गए। यहां चूहों का प्रकोप कैसे हुआ, यह जांच का विषय है। वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार पिछले वित्तीय वर्ष में इस फार्म को सिर्फ 25 लाख रुपये आय हुई है, जबकि सवा करोड़ रुपये खर्च हुए। लगातार तीन साल से यह फार्म घाटे में चल रहा है।
एसपी दुर्ग प्रशांत ठाकुर के अनुसार, थानों में जब्त सामान को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी थाना प्रभारी की होती है। वे अपने स्तर पर इसके लिए हर संभव कोशिश कर सकते हैं। हालांकि, चूहों द्वारा गांजा कुतरने की जानकारी मुझ तक नहीं पहुंची है। वहीं, उपसंचालक पशुधन विकास विभाग सरगुजा डॉ. एनपी सिंह के अनुसार, मुझे चूहों द्वारा चूजे खाए जाने से संबंधित रिपोर्ट की जानकारी नहीं है। चूहों की वजह से चूजों की मौत नहीं हो सकती। रिपोर्ट में भी इस तथ्य का उल्लेख नहीं होना चाहिए। रिपोर्ट देखकर ही मैं कुछ बता सकता हूं।