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जानिए, CBI विवाद पर आलोक वर्मा की याचिका पर सुनवाई से जुड़ी अहम बातें...

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बतौर अंतरिम सीबीआई डायरेक्टर एम नागेश्वर राव ने अब तक जो भी फैसले लिए हैं और ट्रांसफर किए हैं उसे सीलबंद लिफाफे में पेश किया जाए।

By Tilak RajEdited By: Published: Fri, 26 Oct 2018 12:11 PM (IST)Updated: Fri, 26 Oct 2018 12:12 PM (IST)
जानिए, CBI विवाद पर आलोक वर्मा की याचिका पर सुनवाई से जुड़ी अहम बातें...

नई दिल्‍ली, एएनआइ। सीबीआइ के अंदर की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में भी जारी है। सुप्रीम कोर्ट में सीबीआइ के निदेशक आलोक वर्मा को फोर्स लीव पर भेजे जाने के खिलाफ उनकी याचिका पर आज सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केंद्र से कहा कि सीवीसी आलोक वर्मा के खिलाफ 15 दिनों के अंदर जांच पूरी करे। सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर्ड जज के सुपरविजन में इस मामले की जांच होगी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई के वर्तमान प्रभारी चीफ को इस दौरान कोई बड़ा फैसला नहीं ले सकेंगे। इस मामले में अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी।

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सुनवाई से जुड़ी खास बातें...

-फाली एस नरीमन ने सुप्रीम कोर्ट में आलोक वर्मा का पक्ष रखते हुए कहा कि वर्तमान में सबसे बड़ी चिंता की बात यही है कि क्या उनको दो साल कार्यकाल पूरा होने से पहले किसी भी समय हटाया जा सकता है?

-आलोक वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हम इसकी जांच करेंगे। हमें केवल यह देखना है कि किस तरह का अंतरिम आदेश पास किया जा सकता है।

-सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केंद्र से कहा कि हमें लगता है कि सीवीसी को आलोक वर्मा के खिलाफ 10 दिनों के अंदर जांच पूरी करनी चाहिए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई के वर्तमान प्रभारी चीफ को इस दौरान कोई बड़ा फैसला नहीं लेना चाहिए।

-सीवीसी की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जांच 10 दिन में पूरी नहीं हो सकती। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने जोर देते हुए कहा कि जांच तय समय में ही पूरी होनी चाहिए और इस मामले को लटकाना नहीं चाहिए।

-इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सीवीसी के लिए आलोक वर्मा के खिलाफ जांच करने की अवधि को 10 दिन से बढ़ाकर 15 दिन किया। सीवीसी की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से तीन हफ्ते की मोहलत मांगी थी।

-सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दोबारा सुनवाई नहीं कर लेता, तब तक अंतरिम सीबीआई डायरेक्टर एम नागेश्वर राव किसी भी तरह का नीतिगत फैसला नहीं ले सकेंगे। उन्हें सिर्फ रूटीन कामकाज देखने को कहा गया।

-साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बतौर अंतरिम सीबीआई डायरेक्टर एम नागेश्वर राव ने अब तक जो भी फैसले लिए हैं और ट्रांसफर किए हैं उसे सीलबंद लिफाफे में पेश किया जाए।

-सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की तरफ से पेश हुए पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि उनकी याचिका भी सुनी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना की याचिका पर सीवीसी, केंद्र सरकार और अस्थाना को नोटिस जारी किया।


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