अल्पसंख्यक कानून के खिलाफ हाई कोर्ट में दायर सभी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में हों ट्रांसफर
संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 की व्याख्या पर विरोधाभाषी दृष्टिकोण और मुकदमों की बहुलता से बचने के लिए यह दायर की गई है। ये दोनों अनुच्छेद शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन में अल्पसंख्यकों के हितों और अधिकारों को सुरक्षा प्रदान करते हैं।
नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट से राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) अधिनियम, 1992 की धारा 2(ग) की वैधता को चुनौती देने वाली विभिन्न हाई कोर्ट में दायर याचिकाओं को अपने अधीन लेने की अपील की गई है। इस संबंध में याचिका दायर कर शीर्ष अदालत से जरूरी निर्देश देने का आग्रह किया गया है।
संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 की व्याख्या पर विरोधाभाषी दृष्टिकोण
वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने वकील अश्विनी कुमार दूबे के माध्यम से शुक्रवार को यह याचिका दायर की। उपाध्याय ने कहा है कि उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 की व्याख्या पर विरोधाभाषी दृष्टिकोण और मुकदमों की बहुलता से बचने के लिए यह दायर की गई है। ये दोनों अनुच्छेद शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन में अल्पसंख्यकों के हितों और अधिकारों को सुरक्षा प्रदान करते हैं।
अल्पसंख्यक समुदाय वही है, जिसे केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया हो
दिल्ली, गुवाहाटी और मेघालय समेत देश के विभिन्न हाई कोर्ट में एनसीएम कानून की धारा के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई हैं। एनसीएम अधिनियम,1992 की धारा 2(ग) कहती कि इस कानून के तहत अल्पसंख्यक समुदाय वही है, जिसे केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया हो।
सुप्रीम कोर्ट संविधान का संरक्षक और मौलिक अधिकारों का रक्षक है
उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट संविधान का संरक्षक और मौलिक अधिकारों का रक्षक है और इसलिए उसे संविधान की भावना के अनुरूप राज्य स्तर पर धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यकों की पहचान और अधिसूचित करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को निर्देश देना चाहिए।
कई राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक नहीं घोषित होने से बहुसंख्यक लाभ उठा रहे हैं
उन्होंने यह भी कहा कि कई राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक नहीं घोषित किया गया है, जिसके चलते उनके अल्पसंख्यक अधिकारों का बहुसंख्यक आबादी द्वारा लाभ उठाया जा रहा है। इन राज्यों में रहने वाले हिंदुओं को अनुच्छेद 29 और 30 में दिए गए अल्पसंख्यकों के अधिकारों का लाभ और सुरक्षा नहीं मिल रही है।