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अजीत पवार ने फिर संभाली कुर्सी

राकांपा सुप्रीमो और केंद्रीय मंत्री शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा 20 हजार करोड़ के सिंचाई घोटाले में क्लीन चिट दिए जाने के बाद शुक्रवार को उपमुख्यमंत्री की कुर्सी फिर से संभाल ली। विपक्ष ने शपथ ग्रहण को तमाशा बताते हुए समारोह का बहिष्कार किया। साझा सरकार के कांग्रेसी मंत्री भी समारोह से दूर रहे। विपक्ष दल शिवसेना ने पवार की वापसी को जनता की आंखों में धूल झोंकने की कार्रवाई तो भाजपा ने बेशर्मी करार दिया है।

By Edited By: Published: Fri, 07 Dec 2012 11:10 AM (IST)Updated: Fri, 07 Dec 2012 08:22 PM (IST)
अजीत पवार ने फिर संभाली कुर्सी

मुंबई [ओम प्रकाश तिवारी]। राकांपा सुप्रीमो और केंद्रीय मंत्री शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा 20 हजार करोड़ के सिंचाई घोटाले में क्लीन चिट दिए जाने के बाद शुक्रवार को उपमुख्यमंत्री की कुर्सी फिर से संभाल ली। विपक्ष ने शपथ ग्रहण को तमाशा बताते हुए समारोह का बहिष्कार किया। साझा सरकार के कांग्रेसी मंत्री भी समारोह से दूर रहे। विपक्ष दल शिवसेना ने पवार की वापसी को जनता की आंखों में धूल झोंकने की कार्रवाई तो भाजपा ने बेशर्मी करार दिया है।

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विपक्ष का कहना है कि वह अजीत को दस दिसंबर से शुरू होने विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में घेरेगी। इतना ही नहीं कांग्रेस-राकांपा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के भी बात कही। वहीं,अजीत पवार ने कहा,आरोप लगने पर मैने 25 सितंबर को कुर्सी छोड़ने के साथ ही कहा था कि श्वेत पत्र से सच जनता के सामने होगा। दो माह मंत्रालय से दूर रहा, ऐसे में कोई भी यह आरोप नहीं लगा सकता कि मैने श्वेतपत्र बनने में कोई दखल दिया है।

महाराष्ट्र विस में शिवसेना के नेता सुभाष देसाई ने कहा, सिंचाई घोटाले में आरोपी बनने के बाद पहले इस्तीफा,फिर श्वेतपत्र एक नाटक था। यह एक फर्जी परीक्षा थी, जिसमें पर्चा बनाने वाला, परीक्षा देने वाला और कॉपी जांचने वाला एक ही व्यक्ति था। अब उनकी पार्टी सदन में शिवसेना स्टाइल में अजीत का विरोध करेगी। विधान परिषद में विपक्ष के नेता विनोद तावड़े ने कहा, अजीत के पुन: शपथ लेने से साबित हो गया कि वह सत्ता के बिना नही रह सकते। तावड़े ने कहा,सिंचाई घोटाले पर श्वेतपत्र लाने का आश्वासन मुख्यमंत्री ने दिया था, इसलिए इस खानापूरी के लिए उन्हें भी जवाब देना होगा।

हम सदन में जनता की ओर से उनसे जवाब मांगेंगे। विपक्ष के तेवरों से साफ है कि अजीत पवार को सोमवार से शुरू हो रहे विधानमंडल सत्र में स्वयं ही विपक्ष के हमलों का जवाब देना होगा। साथ ही उन पर हाई कोर्ट की तलवार भी लटक रही है। कोर्ट की नागपुर पीठ में सिंचाई घोटाले की सीबीआइ जांच की मांग वाली याचिका दायर की गई है। यदि न्यायालय ने यह आदेश दे दिए तो अजीत को पुन: किरकिरी का सामना करना पड़ सकता है।

वहीं, अजीत पवार ने शपथ ग्रहण के बाद पत्रकारों से बातचीत में खुद को बेदाग बताया। सिंचाई घोटाले में एसआइटी जांच का सामना करने संबंधी भाजपा की मांग को खारिज करते हुए उन्होंने कहा,यह कहना गलत है कि मैंने जांच को प्रभावित किया और श्वेतपत्र मुझे फायदा पहुंचाने के लिए पेश किया गया है। नागपुर में दाखिल याचिका के बारे में कहा, कोई भी किसी के भी खिलाफ जनहित याचिका दाखिल कर सकता है। अगर आप याचिका पर फैसले से पहले सत्ता छोड़ने की बात करते हैं तो फिर कोई मंत्री, मुख्यमंत्री और यहां तक प्रधानमंत्री भी काम नहीं कर पाएंगे।

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