कांग्रेस में वापसी के लिए दिल्ली में जद्दोजहद कर रहे अजीत जोगी
विधानसभा चुनाव में अपेक्षित सीटें और लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिलने के बाद अब जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ सुप्रीमो अजीत जोगी कांग्रेस में वापसी की जद्दोजहद कर रहे हैं।
रायपुर। विधानसभा चुनाव में अपेक्षित सीटें और लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिलने के बाद अब जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ सुप्रीमो अजीत जोगी कांग्रेस में वापसी की जद्दोजहद कर रहे हैं। इस बात की राजनीतिक गलियारे में चर्चा इसलिए शुरू हो गई है, क्योंकि जोगी परिवार के साथ पिछले कई दिनों से दिल्ली में डटे हुए हैं। उनके करीबी लोगों की मानें तो कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं से चर्चा भी हुई है। लोकसभा चुनाव के नतीजे के पहले ही जोगी अपनी गोटी फिट करने में लगे हैं, इसलिए उन्होंने सोमवार को अपना जन्मदिन भी दिल्ली में ही सादे तरीके से मनाया।
जोगी ने जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जकांछ) से सभी 90 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारने की बात कहते रहे, लेकिन जैसे ही चुनाव पास आया, उन्होंने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ गठबंधन कर लिया था। जकांछ 55 सीटों पर चुनाव लड़ी, उसमें से केवल पांच सीटों पर जीत पाई। जीती हुई सीटों में एक तो जोगी और दूसरी पत्नी डॉ. रेणु जोगी की है। इसके बाद जोगी ने लोकसभा चुनाव के रास्ते दिल्ली जाने की सोची।
उन्होंने विधानसभा चुनाव की तरह बसपा से गठबंधन करके लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला लिया। जोगी बसपा सुप्रीमो मायावती से 11 लोकसभा सीटों में से केवल एक या दो ही सीट चाह रहे थे। बाद में खुद के लिए एक सीट पर भी समझौता करने के लिए तैयार हो गए थे, लेकिन मायावती ने जकांछ के लिए एक भी सीट नहीं छोड़ी। ऐसी स्थिति में जोगी ने कहा कि वे साम्प्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की कि वे भाजपा को हराना चाहते हैं।
इसके बाद जोगी ने यह बयान भी दिया कि वे जब चाहेंगे, कांग्रेस में उनकी वापसी हो जाएगी। दरअसल, जोगी के लिए केवल पांच सीटों पर रहकर विपक्ष की राजनीति करते हुए जकांछ को चला पाना मुश्किल हो गया है, इस कारण वे कांग्रेस में आना चाह रहे हैं।
पत्नी रेणु बन सकती हैं माध्यम
जकांछ सुप्रीमो की पत्नी डॉ. रेणु जोगी को विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया, तो जकांछ के टिकट से चुनाव लड़कर विधायक बन गईं। यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी से डॉ. रेणु जोगी का संबंध आज भी अच्छा है। जोगी और कांग्रेस हाईकमान के बीच चर्चा में रेणु जोगी माध्यम होंगी।
जकांछ नेताओं का कांग्रेस प्रवेश, क्या संकेत दे रहा?
जकांछ के टिकट से विधानसभा चुनाव लड़ने वाले सात नेता ऐन लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस में आ चुके हैं। कुछ ने कांग्रेस में प्रवेश किए बिना लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए काम किया है। इतना ही नहीं, जकांछ के कई प्रवक्ताओं और दूसरे पदाधिकारियों ने भी कांग्रेस में प्रवेश कर लिया है। जिन नेताओं ने जकांछ छोड़ा है, उनमें से कुछ का कहना है कि जोगी ने ही उन्हें हरी झंडी दी है। अब इसके पीछे कारण यही हो सकता है कि जोगी सोच रहे हैं, जब कांग्रेस में उनकी वापसी हो, तो उनकी टीम पहले से बनी रहे।
कांग्रेस का बड़ा खेमा नहीं चाहेगा जोगी की वापसी
कांग्रेस नेताओं-कार्यकर्ताओं का बड़ा खेमा नहीं चाहेगा कि जोगी की कांग्रेस में वापसी हो। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तो अंतागढ़ टेपकांड में जोगी और उनके पुत्र अमित जोगी की जांच के लिए एसआइटी का गठन कर दिया है। दोनों के खिलाफ एफआइआर भी हो चुकी है। बघेल कई बार कह चुके हैं कि अब जोगी के लिए कांग्रेस का दरवाजा बंद हो चुका है।
प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया ने भी यही बात कही है कि जोगी की वापसी संभव नहीं है, क्योंकि उनके नहीं रहने से कांग्रेस को उम्मीद से ज्यादा विधानसभा सीटों पर जीत मिली है। मंत्री टीएस सिंहदेव पहले ही कई बार कह चुके हैं कि जोगी कांग्रेस में वापस आए, तो वे राजनीति छोड़ देंगे। वहीं, कांग्रेस के पुराने नेता और कार्यकर्ता जकांछ के लोगों के कांग्रेस प्रवेश से भीतर ही भीतर नाराज हैं। उनका कहना है कि जब कांग्रेस मुश्किल दौर में थी, तब पार्टी छोड़कर चले गए थे। अब सत्ता में आ गई है, तो सुख भोगने के लिए कांग्रेस में वापस का रहे हैं।