दिल्ली दूर नहीं
दरअसल दिल्ली की यह दुर्गति दिल्लीवासियों और उसके पड़ोसी राज्यों ने बनाई है। सरकार से लेकर समाज तक सब दोषी हैं।
नई दिल्ली (जेएनएन)। पूरा दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र इन दिनों धुंध, माफ कीजिए जहरीली धुंध की गिरफ्त में है। यह सामान्य धुंध नहीं है जिसमें केवल दूर तक दिखाई नहीं देता। यह धुंध लोगों के जीवनकाल को भी धुंधला कर रही है। कुछ दशक पहले दिल्ली ऐसी नहीं थी। इसकी आबोहवा ठीक थी। धुंध होती थी, लेकिन वह विषाक्त नहीं होती थी। हानिकारक गैसों और तत्वों से भरी इस धुंध से बचने के लिए यहां जनजीवन को घर में कैद होने की सलाह दी जा रही है। अब कोई भी सामान्य समझ का आदमी यह अनुमान आसानी से लगा सकता है कि घर में बैठकर वह कितने घंटे की अपनी जरूरतें पूरी कर सकेगा। दरअसल दिल्ली की यह दुर्गति दिल्लीवासियों और उसके पड़ोसी राज्यों ने बनाई है। सरकार से लेकर समाज तक सब दोषी हैं। छोटे लाभ के लिए आबोहवा को लोग तबाह करते रहे और सरकार मौन साधे रही।
बिगड़ती वायु को प्राणवायु बनाने की जहमत किसी ने नहीं उठाई। अब इस समस्या का रंग-रूप और आकार बढ़ रहा है। देश की राजधानी से कुछ सौ किमी दूर बैठे अगर सोच रहे हैं कि अभी दिल्ली दूर है और आप सुरक्षित हैं तो आप गलत हैं। देर-सबेर यह दिल्ली सरीखी समस्या आपको और आपके क्षेत्र को भी लपेटे में ले सकती है। जिस तरह से अभी ही देश के तमाम अन्य शहरों की वायु गुणवत्ता खराब हो चली है उससे अगर लोगों ने जीवन जीने के अपने तौर-तरीके नहीं बदले और सरकारों ने पर्यावरण बचाने को दृढ़ इच्छाशक्ति नहीं दिखाई तो पूरा देश दिल्ली बन जाएगा। देश के लिए दिल्ली आईना दिखा रही है। इसकी दुर्दशा से सीखिए और चेतिए जिससे आप अपने घर में कैद होने से बचे रहें।