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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- नशे के खतरे से निपटने के लिए राष्ट्रीय कार्ययोजना बनाए एम्स

उच्चतम न्यायालय ने सरकार को नशे के शिकार लोगों की पहचान के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक सर्वेक्षण करवाने को भी कहा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 22 Jul 2018 09:44 PM (IST)Updated: Sun, 22 Jul 2018 09:44 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- नशे के खतरे से निपटने के लिए राष्ट्रीय कार्ययोजना बनाए एम्स
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- नशे के खतरे से निपटने के लिए राष्ट्रीय कार्ययोजना बनाए एम्स

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के साथ समाज में नशीले पदार्थो के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए राष्ट्रीय कार्ययोजना तैयार करने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पीठ ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह से कहा कि यह मामला 'राष्ट्रीय महत्व' का है। इसलिए एम्स और सरकार को कार्ययोजना बनाने के लिए अतिरिक्त समय नहीं दिया जाएगा।

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एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एम्स के अधिकारियों को सात सितंबर या उससे पहले रिपोर्ट तैयार कर लेने का निर्देश दिया। उसने कहा कि यह नीति बनाना राष्ट्र के हित में है और इसमें किसी तरह की देरी बर्दाशत नहीं की जाएगी। सुनवाई कर रही पीठ में न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल हैं।

इससे पहले याचिकाकर्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उच्चतम न्यायालय की ओर से साल 2016 में दिए गए फैसले का पालन नहीं किया जा रहा है। कैलाश सत्यार्थी के गैर-सरकारी संगठन 'बचपन बचाओ आंदोलन' की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने एक दिशा-निर्देश जारी किया था। इसके साथ ही इसने सरकार से छह माह के भीतर राष्ट्रीय कार्ययोजना बनाने को कहा था।

अदालत ने सरकार को नशे के शिकार लोगों की पहचान के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक सर्वेक्षण करवाने को भी कहा है।


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