Move to Jagran APP

एम्स निदेशक ने कहा- जीन में बदलाव के चलते भारत में कोराना वायरस कम घातक

एम्स के निदेशक डॉ. सरमन सिंह ने कहा है कि कोरोना वायरस जीन में बदलाव करता रहा तो वैक्सीन का असर कम होगा या नहीं होगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 02 Sep 2020 11:13 PM (IST)Updated: Wed, 02 Sep 2020 11:13 PM (IST)
एम्स निदेशक ने कहा- जीन में बदलाव के चलते भारत में कोराना वायरस कम घातक
एम्स निदेशक ने कहा- जीन में बदलाव के चलते भारत में कोराना वायरस कम घातक

भोपाल, राज्य ब्यूरो। चीन के वुहान शहर से दुनिया भर में फैला कोरोना (कोविड-19) वायरस लगातार अपने स्वरूप यानी जीन की संरचना में बदलाव कर रहा है। एक मई की स्थिति में इस वायरस के जीन में भारत में तीन समेत दुनिया भर में 1325 बदलाव (म्यूटेशन) देखे गए हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल ने अमेरिका के जीन बैंक से जीन क्रम (सीक्वेंस) के आंकड़े लेकर अध्ययन किया है। इसमें वायरस के म्यूटेशन की बात साबित हुई है।

loksabha election banner

एम्स निदेशक ने कहा- जीन में बदलाव के चलते भारत में कोराना वायरस कम घातक

एम्स के निदेशक डॉ. सरमन सिंह के नेतृत्व में यह शोध किया गया है। उन्होंने बताया कि भारत में अन्य देशों के मुकाबले कोरोना ज्यादा संक्रामक रहा है, हालांकि मौतें कम हुई हैं। इसकी बड़ी वजह भी यही हो सकती है कि जीन में बदलाव के साथ भारत में कोराना वायरस का जो स्वरूप है वह घातक कम हो। हालांकि, बदलाव के बाद वायरस का कौन सा स्वरूप कितना खतरनाक हो गया है, इस पर अभी कोई शोध नहीं हुआ है।

एम्स निदेशक ने कहा- यदि वायरस जीन में बदलाव करता रहा तो वैक्सीन का असर कम होगा

उन्होंने बताया कि वायरस के जीन में बदलाव से सबसे बड़ा नुकसान वैक्सीन की क्षमता पर पड़ेगा। वायरस इसी तरह से जीन में बदलाव करता रहा तो वैक्सीन का असर कम होगा या नहीं होगा। देश-दुनिया में 80 फीसद मामलों में जीन की मूल संरचना एक जैसी मिली है। इन सभी में बदलाव करने वाला मूल तत्व (म्यूटेंट)'डी 614 जी' पाया गया है इसलिए इसे मातृृ म्यूटेंट कहा जा रहा है।

एम्स निदेशक डॉ. सरमन सिंह ने कहा- प्लाज्मा थेरेपी भी नहीं होगी कारगर

डॉ. सिंह ने बताया कि जीन में बदलाव की वजह से प्लाज्मा थेरेपी भी कारगर नहीं होगी। इसकी वजह है कि प्लाज्मा देने वाले और लेने वाले व्यक्ति में वायरस की संरचना अलग-अलग हो सकती है। म्यूटेशन का एक नुकसान यह भी है कि इस बीमारी से लड़ने के लिए लोगों में प्रतिरोधक क्षमता अच्छे से विकसित नहीं हो पा रही है।

कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोगों में एंटीबॉडी नहीं मिल रही

कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोगों में एंटीबॉडी नहीं मिल रही। यही एंटीबॉडी बीमारी से बचाव करती है। स्पाइक प्रोटीन में आता है बदलाव कोरोना वायरस के ऊपर दिखने वाले 'कांटे' स्पाइक प्रोटीन के बने होते हैं। यह भी जीन की संरचना का प्रकार हैं। इन 'कांटों' के चलते ही वायरस किसी व्यक्ति के शरीर में टिकता है। इसमें लगातार बदलाव होने के चलते टीका आने के बाद भी एंटीबॉडी बनना मुश्किल होगा। यह है म्युटेशन यह हर जीव के जीन, डीएनए और आरएनए में होने वाला बदलाव है। सभी जीव की संरचना में म्युटेशन होता है। वायरस, बैक्टीरिया की जिंदगी छोटी होती है, इसलिए उनमें म्युटेशन जल्दी दिखता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.