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आगरा: बेटे के इलाज के लिए किडनी बेचेगा बाप

पत्थर दिल पर दनादन चोट कर रहा है, मेरा जवान बेटा खाट पर पड़ा है। मेरी हालत इलाज की गवाही नहीं देती, बाप की इससे बड़ी बेबसी किसी ने देखी। एक पिता के दिल में ऐसा ही दर्द उठ रहा है कि उसका 2

By Edited By: Published: Tue, 21 May 2013 08:48 AM (IST)Updated: Tue, 21 May 2013 08:50 AM (IST)

फतेहपुर सीकरी [राजेंद्र शुक्ला]। पत्थर दिल पर दनादन चोट कर रहा है, मेरा जवान बेटा खाट पर पड़ा है। मेरी हालत इलाज की गवाही नहीं देती, बाप की इससे बड़ी बेबसी किसी ने देखी। एक पिता के दिल में ऐसा ही दर्द उठ रहा है कि उसका 29 साल का युवा बेटा आंखों के सामने बिस्तर पर हर रोज तड़पता है। उसकी सिसकियां जब उठती हैं, तो कान में शीशे की तरह उतरती हैं। इसके बावजूद पिता उसे दवा नहीं दिला पाता।

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इलाज न मिलने का नतीजा है कि आंखों के तारे की एक आंख पहले ही जा चुकी है। अब दूसरी आंख पर भी खतरा है। पुत्रवधु भी उसकी हालत देखकर सुबकती है और मासूम पौत्र पूछता है कि पापा कब ठीक होंगे तो दर्द की लहरें ज्वार बन जाती हैं। ऐसे में विकलांग पिता ने अपनी एक किडनी बेचकर इलाज कराने का फैसला लिया है। मामला फतेहपुर सीकरी के ग्राम बैमन का है।

यहां का 50 वर्षीय मंगीराम ट्रैक्टर पर नौकरी कर परिवार की आजीविका चलाता है। परिवार में उसकी पत्नी, एक पुत्र व चार पुत्रियां थीं। लगभग एक दशक पूर्व मंगीराम का सीधा हाथ थ्रेसर में आकर कट गया था। हाथ कटने से मंगीराम के पुत्र हरपाल सिंह ने मजदूरी कर घर चलाया। उसकी कमाई से ही मंगीराम ने बेटियों के हाथ पीले किए। जिंदगी थोड़ी पटरी पर आई तो बेटे का विवाह कर दिया, जिसके बच्चे भी हैं। कुछ दिन ही खुशी से बीते थे कि न जाने फिर किसकी नजर लग गई।

जूता फैक्ट्री में काम करने वाले 29 वर्षीय पुत्र हरपाल सिंह ने आगरा की नौकरी छोड़ दी। एक साल पहले मिनी ट्रक पर क्लीनर की नौकरी करने चला गया। राजस्थान में महवा के पास 5 नवंबर 2012 को गाड़ी दुर्घटना‌र्ग्रस्त हो गई, जिसमें क्लीनर हरपाल सिंह गंभीर रूप से घायल हो गया। उसके पैर में कई फ्रैक्चर हुए, दोनों आंखों में चोट लगी और सिर में गढ्डा हो गया। हादसे के बाद उसे जयपुर के अस्पताल में भर्ती कराया। वहां डॉक्टरों की लापरवाही उसके लिए और काली छाया बन गई। बिना स्वस्थ हुए ही अस्पताल से जबरन छुट्टी दे दी गई।

अब छह माह से हरपाल घर में बिस्तर पर पड़ा है। पैर की हड्डियां अब तक नहीं जुड़ सकी हैं। आर्थिक तंगी के चलते पूरा इलाज कराने में पिता सक्षम नहीं है। इलाज न मिलने से संक्रमण हुआ और उसकी एक आंख खराब हो गयी। अब दूसरी लगातार कमजोर हो रही है। चोट के दौरान हुआ सिर का गढ्डा भर नहीं रहा है। जब भी हरपाल को खांसी आती है, तब इससे खून निकलने लगता है। पिता मंगीराम ने रोते-रोते बताया कि पूरे इलाज में कई लाख रुपये लगेंगे। इसके लिए उसके पास पैसा नहीं है।

ट्रैक्टर पर नौकरी से बड़ी मुश्किल से परिवार का गुजारा हो रहा है। रोग शैय्या पर पड़े पुत्र, पुत्रवधु और उसके बच्चे की दयनीय हालत देखी नहीं जाती। बेटे को पैरों पर खड़ा करने के लिए अब उसने अपनी एक किडनी बेचने का निर्णय लिया है। वह ऐसा खरीददार तलाश रहा है, जो किडनी के बदले में उसके बेटे का पूरा इलाज कराकर उसे ठीक करा दे। इसके लिए वह कई लोगों से कह चुका है। उसे उम्मीद है कि जल्द कोई खरीददार मिल जाएगा।

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