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वह दिन दूर नहीं जब भारत से भी होगी अंतरिक्ष की सैर, चेन्नई के स्टार्टअप ने स्‍पेस टूरिज्‍म का बीड़ा उठाया

वह दिन दूर नहीं जब भारत में भी प्राइवेट एयरोस्पेस कंपनी अंतरिक्ष की सैर करने के इच्छुक पर्यटकों को आकाश की ऊंचाइयों पर ले जाएगी। राकेट स्टार्टअप अग्निकुल कोस्मोस के सह संस्थापक और सीईओ श्रीनाथ रविचंद्रन ऐसा सपना देख रहे हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 03 Oct 2021 08:29 PM (IST)Updated: Mon, 04 Oct 2021 12:54 AM (IST)
वह दिन दूर नहीं जब भारत से भी होगी अंतरिक्ष की सैर, चेन्नई के स्टार्टअप ने स्‍पेस टूरिज्‍म का बीड़ा उठाया
भारत में भी प्राइवेट एयरोस्पेस कंपनी अंतरिक्ष की सैर करने के इच्छुक पर्यटकों को आकाश की ऊंचाइयों पर ले जाएगी।

नई दिल्ली, आइएएनएस। वो दिन दूर नहीं जब भारत में भी एलन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स जैसी ही प्राइवेट एयरोस्पेस कंपनी होगी। भारतीय कंपनी भी अंतरिक्ष की सैर करने के इच्छुक पर्यटकों को आकाश की ऊंचाइयों पर ले जाएगी, वह भी अमेरिकी कंपनियों से बहुत कम भाड़े में। राकेट स्टार्टअप अग्निकुल कोस्मोस के सह संस्थापक और सीईओ श्रीनाथ रविचंद्रन भारत से अंतरिक्ष यात्रा शुरू कराने का सपना देख रहे हैं।

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से राकेट बनाने और उसके परीक्षण का अधिकार मिलने के बाद रविचंद्रन उत्साहित हैं। कहते हैं कि अब राकेट टेस्टिंग प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा। उनका उद्देश्य राकेट लांचिंग की संख्या को बढ़ाना होगा। दो-तीन हफ्ते में एक लांचिंग का लक्ष्य रखा गया है। इनके जरिये हम उपभोक्ताओं को सस्ती सुविधा देंगे। अग्निकुल कोस्मोस यह सब कई तकनीक को मिलाकर अंजाम देगा।

इससे लांचिंग को सुविधाजनक और बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। चेन्नई के अग्निकुल कोस्मोस को सितंबर में ही भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग से कई तरह के परीक्षण करने, सेमी क्रायोजेनिक इंजन और अन्य सिस्टम विकसित करने की अनुमति मिली है। कंपनी यह कार्य इसरो के देश में स्थित विभिन्न केंद्रों के सहयोग से करेगी। सरकार के अंतरिक्ष विभाग का किसी प्राइवेट कंपनी के साथ किया गया यह दूसरा समझौता है।

विभाग ने पहला समझौता हैदराबाद की कंपनी स्काईरूट एयरोस्पेस के साथ 11 सितंबर को किया था। रविचंद्रन के अनुसार उनके राकेट इंजन 100 प्रतिशत 3डी प्रिंटेड होंगे। रविचंद्रन ने अपने स्टार्टअप की स्थापना मोईन एसपीएम के साथ मिलकर की थी। उस समय वह आइआइटी मद्रास में अपने अंतिम दौर की पढ़ाई कर रहे थे।

इस स्टार्टअप में शुरुआत में तीन करोड़ रुपये का निवेश किया गया था। रविचंद्रन का लक्ष्य 2021 में ही राकेट इंजन विकसित कर उसे लांच करने का है। इसके बाद कंपनी पर्यटकों को अंतरिक्ष यात्रा कराने के बारे में विचार करेगी। 


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