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दोबारा हो रहे कोरोना से संक्रमित, काम नहीं आ रही एंटीबाडी, जानिए क्या कहते हैं मेडिकल के एक्सपर्ट

एम्स के वरिष्ठ चिकित्सकों ने बताया कि कोरोना का वायरस पिछली बार मुंह से गले तक संक्रमित कर रहा था लेकिन इस पर संक्रमण का नेचर बदल गया है। इस बार सीधे फेफड़े में अटैक कर रहा है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Sat, 17 Apr 2021 08:46 PM (IST)Updated: Sat, 17 Apr 2021 09:55 PM (IST)
दोबारा हो रहे कोरोना से संक्रमित, काम नहीं आ रही एंटीबाडी, जानिए क्या कहते हैं मेडिकल के एक्सपर्ट
अधिकारियों ने बताया कि दूसरी बार का संक्रमण है घातक

मृगेंद्र पांडेय, रायपुर। छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने कहर बरपा दिया है। कोरोना के पहले चरण में संक्रमित हुए लोग अब दूसरी लहर में भी कोरोना की जद में आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की मानें तो प्रदेश में आठ से 13 फीसद मरीज दोबारा संक्रमित हो रहे हैं। इन मरीजों में पिछली बार संक्रमण ठीक होने के बाद एंटीबाडी नहीं बन पाई है। यही कारण है कि ये दोबारा संक्रमित हो रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि दूसरी बार का संक्रमण घातक है। मरीज को लक्षण अचानक दिखाई दे रहे हैं। आरटीपीसीआर जांच में रिपोर्ट निगेटिव आ रहा है, लेकिन जब सीटी स्कैन कराया जा रहा है, तो फेफड़े में संक्रमण नजर आ रहा है।

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एम्स के वरिष्ठ चिकित्सकों ने बताया कि कोरोना का वायरस पिछली बार मुंह से गले तक संक्रमित कर रहा था, लेकिन इस पर संक्रमण का नेचर बदल गया है। इस बार सीधे फेफड़े में अटैक कर रहा है। तीन से पांच दिन में फेफड़े को पूरी तरह डैमेज कर दे रहा है, जिसके कारण बड़ी संख्या में मौत हो रही है।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि एक बार संक्रमित व्यक्ति को भी मास्क पहनने की जरूरत है। एनएचएम डायरेक्टर डा. प्रियंका शुक्ला ने बताया कि अप्रैल 2021 की एक स्टडी अनुसार 50 फीसद लोग मास्क नहीं पहनते है। 50 फीसद लोग जो मास्क पहनते हैं- उनमें से 64 फीसद नाक नहीं ढकते, 20 फीसद ठुड्डी पर पहनते हैं और दो फीसद गले पर पहनते हैं। केवल 14 फीसद लोग ही मास्क ठीक से पहनते हैं।

प्लाज्मा डोनेशन से पहले चेक होती है एंटीबाडी

एम्स रायपुर के डायरेक्टर नितिन एम नागरकर ने कहा कि कोरोना संक्रमण से ठीक हुए सभी व्यक्तियों में एंटीबाडी बने, यह जरूरी नहीं है। एंटीबाडी का निर्माण हर व्यक्ति में अलग-अलग स्तर पर होता है। मरीज की इम्यूनिटी पर निर्भर करता है कि उसके शरीर में एंटीबाडी बनेगा, या नहीं बनेगा। इसलिए किसी भी ठीक हुए मरीज का प्लाज्मा लेने से पहले एंटीबाडी चेक की जाती है। नागरकर ने साफ कहा कि एक बार संक्रमित होने के बाद दोबार संक्रमण की स्थिति बनी रहती है। यह धारणा गलत है कि एक बार संक्रमण खत्म होने के बाद दोबारा संक्रमित नहीं हो सकते हैं।

सीरो सर्वे में पाई गई थी रायपुर की 13 फीसद एंटीबाडी

इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च के सीरो सर्वे में रायपुर जिले के 13.41 प्रतिशत, दुर्ग के 8.31 प्रतिशत और राजनांदगांव जिले के 3.76 प्रतिशत लोगों के शरीर में कोरोना वायरस संक्रमण से लड़ने वाली एंटीबाडी की मौजूदगी पाई गई थी। सितंबर 2020 में यह रिपोर्ट जारी हुई थी। सीरो सर्वे के दौरान दुर्ग जिले के आम नागरिकों और उच्च जोखिम वर्गों के 517, राजनांदगांव में 504 और रायपुर में 492 नमूने लिये गए थे। इन 1513 नमूनों में से 8.5 प्रतिशत यानी 128 नमूनों में एंटीबाडी पाई गई थी।


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