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..तो यहां के बने फंदे से मिली अफजल को मौत?

शनिवार सुबह 8.00 बजे अफजल गुरु को फांसी दे दी गई। गृहसचिव आर के सिंह ने पुष्टि की है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि इसी रस्सी से अफजल को फांसी दी गई होगी।

By Edited By: Published: Sat, 09 Feb 2013 09:02 AM (IST)Updated: Sat, 09 Feb 2013 09:03 AM (IST)
..तो यहां के बने फंदे से मिली अफजल को मौत?

नई दिल्ली। शनिवार सुबह 8.00 बजे अफजल गुरु को फांसी दे दी गई। गृहसचिव आर के सिंह ने पुष्टि की है। तिहाड़ के तीन नंबर जेल में संसद हमले के दोषी आतंकी अफजल को फांसी दे दी गई। सूत्रों के मुताबिक अक्टूबर 2006 में तिहाड़ जेल के अधिकारी बक्सर जेल से छह रस्सी ले आए थे। तो ऐसी आशंका जताई जा रही है कि इसी रस्सी से अफजल को फांसी दी गई होगी।

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ब्रिटिश शासनकाल से देश की किसी भी जेल में फांसी देने के लिए बक्सर (बिहार) केंद्रीय कारागार के पुनर्वास प्रशिक्षण केंद्र में ही फंदे वाली मनीला रस्सी का निर्माण होता रहा है। जेल के एक अधिकारी ने बताया कि ब्रिटिश हुकूमत में पहले फिलीपींस की राजधानी मनीला में फांसी के लिए रस्सी तैयार होती थी। बाद में बक्सर जेल में भी वैसी ही रस्सी का निर्माण होने लगा। अंग्रेजों ने ही इसे मनीला रस्सी नाम दिया। बक्सर केन्द्रीय कारा में तैयार मौत के फंदे से पहली बार सन् 1884 ई. में एक भारतीय नागरिक को फांसी पर लटकाया गया था। वर्तमान समय में देश में जब-जब मौत का फरमान जारी होता है तब-तब केन्द्रीय कारा बक्सर के कैदी ही मौत का फंदा तैयार करते है। अधिकारी के मुताबिक आजादी के बाद अबतक देश में जितनी भी फांसी दी गई, उसके लिए रस्सी यहीं से भेजी गई। यहां की रस्सी से अंतिम फांसी कोलकाता में 14 अगस्त, 2004 को दुष्कर्मी व हत्यारे धनंजय को दी गई थी।

मनीला रस्सी क्यों है खास

गले में लिपट बिना तकलीफ मौत की नींद सुलाने वाली मनीला रस्सी को बनाने के लिए खास विधि अपनाई जाती है। पहले कच्चे सूत की एक-एक कर 18 धागे तैयार किए जाते हैं। सभी को मोम में पूरी तरह संतृप्त किया जाता है। इसके बाद सभी धागों को मिलाकर एक मोटी रस्सी तैयार की जाती है।

इस रस्सी की कीमत महज 182 रूपये

168 किलोग्राम वजन उठाने की क्षमता वाली विशेष प्रकार की रस्सी की कीमत महज 182 रूपये है। इस कीमत में बढ़ोतरी अजादी के बाद से नहीं की गई है। अंग्रेजों के जमाने में रूई सुता से इस रस्सी का निर्माण किया जाता था। मनीला रस्सी का निर्माण आज भी पंजाब में उत्पादित होने वाली जे-34 गुणवक्ता वाली रूई के सुतों से किया जाता है जो विशेष आर्दता में तैयार 50 धागों से बना होता है। जिसका वजन 3 किलो 950 ग्राम होने के साथ 60 फीट लम्बा होता है।

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