करतारपुर खोलने के पाक की मंशा पर सवाल, बगैर भारत को सूचना दिए ही पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने किया ऐलान
दोनो देशों के बीच करतारपुर बार्डर के लिए जो समझौता है उसके मुताबिक यात्रा की अनुमति देने से सात दिन पहले एक दूसरे को सूचना देना जरुरी है जबकि पाक ने सिर्फ दो दिनों का समय दिया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जब पूरी दुनिया समेत भारत व पाकिस्तान भी कोविड-19 से लड़ने में व्यस्त हैं तब पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी ने अचानक ही करतारपुर कारीडोर को खोलने का ऐलान कर दिया है। पाकिस्तान ने दो दिनों बाद ही 29 जून, 2020 से सिख गुरू महाराजा रंजीत सिंह की शहीदी दिवस से सिर्फ सिख यात्रियों के लिए इस कारीडोर को खोलने का प्रस्ताव किया है। भारत ने इसे सद्भावना की मृग-मरीचिका करार देते हुए फिलहाल कोई खास जल्दबाजी नहीं दिखाई है और कहा है कि इस बारे में सभी पक्षों के साथ विमर्श के बाद फैसला किया जाएगा। पाकिस्तान ने जिन शर्तो के साथ और जिस हालात में दोबारा कारीडोर को खोलने का प्रस्ताव किया है, वह कई वजहों से शंका पैदा करता है।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि, ''कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए सामान्य तौर पर एक देश से दूसरे देश में यात्राओं पर प्रतिबंध लगा हुआ है। अभी भारत व पाकिस्तान में कोरोनावायरस प्रसार की स्थिति चिंताजनक है। ऐसे में भारत स्वास्थ्य मामले को आधार बना कर और सभी पक्षों के साथ विमर्श के बाद ही फैसला करेगा। जहां तक पाकिस्तान के प्रस्ताव का सवाल है तो यह एक तरह से सद्भावना का मृग-मरीचिका बनाने जैसा प्रतीत हो रहा है।
पाकिस्तान ने दिया सिर्फ दो दिन का समय
दोनो देशों के बीच करतारपुर बार्डर के लिए जो समझौता है उसके मुताबिक यात्रा की अनुमति देने से सात दिन पहले एक दूसरे को सूचना देना जरुरी है जबकि पाकिस्तान ने सिर्फ दो दिनों का समय दिया है। अभी यात्रियों का पंजीयन आदि करवाना होता है जिसकी वजह से यात्रा की तैयारी में देरी होती है। दो दिन का वक्त कम है। साथ ही पाकिस्तान ने रावी नदी पर क्षतिग्रस्त पुल का भी अभी निर्माण नहीं किया है। अब जबकि मानसून का समय चल रहा है तो हमें इस बात पर भी ध्यान रखना होगा कि तीर्थयात्रा करना सुरक्षित है या नहीं।''
सनद रहे कि पिछले वर्ष नवंबर में भारतीय सीमा से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साबित पैदल जाने वाले यात्रियों के लिए खोलने की सहमति बनी थी। इसके लिए भारत के गुरदासपुर में स्थित बाबा डेरा साबित से करतारपुर तक के लिए कारीडोर का निर्माण किया गया है।