मोसुल से भारत अा सकते हैं IS के अातंकी, एंट्री प्वाइंट पर खुफिया एजेंसी अलर्ट
मोसुल में आइएस के गढ़ ध्वस्त होने के बाद सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं।
नई दिल्ली, [जयप्रकाश रंजन]। खूंखार आतंकी संगठन आइएसआइएस का किला बन चुका मोसुल ध्वस्त हो चुका है। इराक की सेना पूरे मोसुल पर कब्जा कर चुकी हैं। आइएस के मुखिया अल-बगदादी के मारे जाने की खबरें कई स्त्रोतों से पुष्ट हो रही हैं। लेकिन आइएस में शामिल होने के लिए गए भारतीयों के बारे में अभी तक कोई सूचना नहीं मिली है।
दुनिया के तमाम देशों की तरह भारत को भी इस बात की चिंता है कि मोसुल से लौटे आतंकी उनके देश में गड़बड़ी न फैला दे। देश की खुफिया एजेंसियों ने उस हर 'इंट्री प्वाइंट' को लेकर सतर्कता बढ़ा दी है जहां से ये आतंकी भारत में घुसने की कोशिश कर सकते हैं। साथ ही कूटनीतिक स्तर पर भी दूसरे देशों की एजेंसियों के साथ लगातार संपर्क बना कर रखा गया है ताकि आइएस से भागे आतंकियों की निगरानी हो सके।
भारतीय सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक आइएस के कुनबे के दरकने की शुरुआत वैसे तो पिछले वर्ष सितंबर-अक्टूबर से ही शुरु हो गई थी लेकिन अब वह पूरी तरह से खत्म हो चुका है। 'ग्राउंड जीरो' से जो सूचनाएं आ रही हैं उससे मोसुल में बड़ी संख्या में विदेशी आतंकियों के शव प्राप्त हुए हैं लेकिन अभी तक किसी भारतीय आतंकी के शव प्राप्त होने की सूचना नहीं मिली है। इस बात की आशंका है कि मोसुल पर ईराकी सेना के कब्जे की संभावना के बढ़ते ही विदेशी आतंकियों ने दूसरी जगह भागने का इंतजाम कर लिया है। कुछ आतंकियों के दाढ़ी कटवा कर इराक या कुर्दिस्तान या अन्य पड़ोसी क्षेत्र में घुसपैठ किये जाने की भी आशंका है। हालांकि अपनी कद काठी की वजह से भारतीय मूल के आतंकियों के लिए स्थानीय नागरिकों में घुलने के आसार कम हैं। बहरहाल, भारतीय एजेंसियां इन सभी विकल्पों के साथ दूसरे देशों की सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों के साथ संपर्क में हैं।
भारतीय एजेंसियां फिलहाल खास तौर पर खाड़ी के देशों में बसे भारतीयों को लेकर सतर्क हैं। अभी तक जितने भारतीयों को आइएस में शामिल होने के शक में गिरफ्तार किया गया है उन सभी के तार खाड़ी के देशों से जुड़े हुए हैं। खाड़ी में 70-80 लाख भारतीय रोजगार के सिलसिले में रहते हैं। इनके बीच आतंकियों के छिप जाने की संभावना ज्यादा है। केरल के 22 लोगों का एक दल खाड़ी में काम करने का वीजा लेकर ही आइएस में शामिल होने के लिए गायब हो गया था। माना जाता है कि एक समय आइएस के कुनबे में 30 हजार के करीब विदेशी आतंकी शामिल थे। इनमें से ज्यादातर यूरोपीय देशों या पूर्व सोवियत संघ से अलग हुए मुस्लिम बहुल देशों के नागरिक हैं।
लेकिन इनमें कितने भारतीय हैं इसकी अभी तक कोई पक्की खबर नहीं मिल पाई है। हां, अनौपचारिक तौर पर पर खुफिया एजेंसियां इस बात को बताती रही हैं कि कम से कम तीन दर्जन भारतीय आइएस में शामिल होने के लिए गये थे। हाल ही में अमेरिका ने अफगानिस्तान में आइएस के अड्डे पर 'मदर ऑफ ऑल बम' जब गिराया था तब उसमें कुछ भारतीयों के मारे जाने की पक्की सूचना मिली थी। माना जाता है कि केरल के युवाओं के एक दल को जब आइएस के मुख्य गढ़ में जगह नहीं मिली तो वह अफगानिस्तान में छिप गया था।
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