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जानें 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बाद क्‍या हुए कानून में बदलाव

16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में हुए निर्भया कांड ने देश भर में हलचल मचा दी थी। तब संप्रग सरकार ने कमेटी गठित की और उसकी सिफारिशों को लागू किया था।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 09 Jul 2018 03:27 PM (IST)Updated: Mon, 09 Jul 2018 04:55 PM (IST)
जानें 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बाद क्‍या हुए कानून में बदलाव
जानें 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बाद क्‍या हुए कानून में बदलाव

नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में हुए निर्भया कांड ने देश भर में हलचल मचा दी थी। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कानून सख्त करने की मांग उठी तो संप्रग सरकार ने कमेटी गठित की और उसकी सिफारिशों को लागू कर दिया। अधिनियम में संशोधन हुआ, धाराएं जुड़ीं, सजा बढ़ी लेकिन, मामले नहीं रुके। साल दर साल जिला अदालत में लंबित आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं।

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फरवरी 2013 से पूर्व दुष्कर्म और छेड़छाड़ का कानून क्या था और अब क्या है

जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफारिश हुई थी लागू
इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता आशुतोष शर्मा बताते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व चीफ जस्टिस जगदीश शरण वर्मा के सुझावों को मानते हुए सरकार ने आपराधिक विधि संशोधन अधिनियम 2013 को लागू किया। यह संशोधन अधिनियम 3 फरवरी 2013 से प्रभाव में है।

आइपीसी की धारा 354 
शोधन से पूर्व इस धारा के तहत किसी स्त्री की लज्जा भंग करने, हमला करने, आपराधिक बल प्रयोग करने में दो वर्ष तक कैद की सजा का प्रावधान था।

धारा 354: संशोधन के बाद इसे विस्तार दिया गया और ए, बी, सी और डी उपधारा को जोड़ा गया।
354ए: महिलाओं के साथ होने वाले अपराध का पांच बिंदुओं पर सिलसिलेवार उल्लेख किया गया है।
354बी: सार्वजनिक स्थल पर महिला को अपमानित करने के लिए आपराधिक बल का प्रयोग करने में तीन वर्ष से कम नहीं और सात वर्ष तक की सजा हो सकेगी।
354सी: किसी महिला के अंतरंग दृश्यों को छिपकर देखना या कैमरे में कैद करने पर एक वर्ष कैद जो तीन वर्ष तक बढ़ाई जा सकेगी। दूसरी बार आरोप साबित होने पर तीन वर्ष कैद को सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकेगा।
354डी: महिला का पीछा करने पर एक वर्ष कैद जो तीन वर्ष तक बढ़ाई जा सकेगी और जुर्माना से दंडित किया जाएगा।

आइपीसी की धारा 375 

इसमे दुष्कर्म को परिभाषित किया गया था जिसे संशोधन के बाद विस्तार दिया गया।
धारा 376: संशोधन से पूर्व इसमे दंड की व्यवस्था थी। संशोधन के बाद इसमें उपधाराएं जोड़कर विस्तारित किया गया है। पुलिस आफीसर, सरकारी कर्मचारी, सैन्यकर्मी, जेल के भीतर, अस्पताल, रिश्तेदार अभिभावक या अध्यापक द्वारा, दंगे के दौरान, गर्भवती महिला और 16 वर्ष से कम बालिका के साथ हुए दुष्कर्म की व्याख्या की गई है।
376ए: यदि किसी व्यक्ति ने दुष्कर्म का अपराध किया है जिससे महिला की मौत हो गई हो या वह कोमा में चली गई हो। ऐसी दशा में 20 साल से कम सजा नहीं होगी। इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है।376बी: अलगाव में रह रही पत्‍‌नी के साथ बिना सहमति के दुष्कर्म पर पति को दो वर्ष की कैद जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकेगा।
376सी: किसी व्यक्ति के विश्वास में रह रही महिला के साथ उस व्यक्ति द्वारा शारीरिक संबंध के लिए दबाव बनाने जो दुष्कर्म की परिभाषा में नहीं आता है, ऐसे किसी कृत्य के लिए पांच वर्ष तक कैद जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकेगा।
376डी: सामूहिक दुष्कर्म करने पर 20 वर्ष से कम नहीं और आजीवन कारावास तक सजा होगी। जुर्माना की धनराशि इतनी हो जो महिला के चिकित्सा और पुनर्वास के लिए पर्याप्त हो।
376ई: दोबारा दुष्कर्म करने वाले व्यक्ति को आजीवन कारावास होगी।

यह था निर्भया कांड
दिल्ली की पैरामेडिकल छात्रा के साथ 16 दिसंबर 2012 को एक बस में दरिंदगी की गई थी। युवकों ने सामूहिक दुष्कर्म के बाद छात्रा को रोड किनारे फेंक दिया था। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी हालांकि इस मामले में विवेचना और सुनवाई नौ माह में पूरी की गई। फास्ट ट्रैक कोर्ट से चारों दोषियों को फांसी की सजा मिली जिसे दिल्ली हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा था। एक युवक ने जेल में ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। आरोपित किशोर की सुनवाई किशोर न्याय बोर्ड में हुई।


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