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Afghanistan Crisis : रिफ्यूजी स्टेट्स मांग रहे अफगानिस्तानी, यूएनएचसीआर के बाहर प्रदर्शन

अफगान सॉलिडैरिटी कमेटी के सदस्य मोहम्मद कायस मलिक जादा कह रहे हैं कि हमारे पैसे खत्म हो चुके हैं। खाने पीने घर के किराये के पैसे नहीं हैं। जब हम यहां आए हैं रिफ्यूजी बनकर तो यूनाइटेड नेशन हाई कमीशन फॉर रिफ्यूजी का फर्ज बनता है कि हमें सपोर्ट करे।

By Vineet SharanEdited By: Published: Fri, 03 Sep 2021 11:28 AM (IST)Updated: Fri, 03 Sep 2021 11:29 AM (IST)
Afghanistan Crisis : रिफ्यूजी स्टेट्स मांग रहे अफगानिस्तानी, यूएनएचसीआर के बाहर प्रदर्शन
अफगानियों को भविष्य की चिंता सता रही है। बेघर होने के बाद कब तक वे यूँ ही ठोकरें खाते रहेंगे।

नई दिल्ली, मनीष कुमार। अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत के कब्जे के बाद भारत में रह रहे अफगानी नागरिक जो डर से कई साल पूर्व भागकर भारत आ गये थे, वे अब और ज्यादा डरे सहमे हुए हैं। ये सभी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। ये फिलहाल अफगानिस्तान नहीं लौटना चाहते। और अपनी बेहतर जिंदगी के लिये बीते 10 दिनों से ज्यादा समय से राजधानी दिल्ली के वसंत विहार में स्थित यूनाइटेड नेशन हाई कमीशन फॉर रिफ्यूजी (UNHCR)के दफ्तर के बाहर धरने पर बैठे हैं। धरने पर बैठे लोगों में पुरुष, महिलाएं, बुजुर्ग समेत छोटे-छोटे बच्चे भी हैं। ये लोग रिफ्यूजी स्टेट्स की मांग को लेकर पैन कार्ड हाथ में लेकर लगातार नारे लगा रहे हैं।

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दिल्ली में बीते तीन दिनों से बारिश भी हो रही है लेकिन इन विपरीत परिस्थिति के बावजूद अफगानी नागरिक रिफ्यूजी स्टेट्स की मांग को लेकर अड़े हैं। अफगान सॉलिडैरिटी कमेटी के सदस्य मोहम्मद कायस मलिक जादा कह रहे हैं कि बारिश हो रही हैं। लेकिन हमारी मजबूरी है। हमारे पैसे खत्म हो चुके हैं। खाने पीने घर के किराये के पैसे नहीं हैं। जब हम लोग यहां आए हैं रिफ्यूजी बनकर तो यूनाइटेड नेशन हाई कमीशन फॉर रिफ्यूजी (UNHCR)का फर्ज बनता है कि हमें सपोर्ट करे। लेकिन यूएनएचसीआर का हमें कोई समर्थन नहीं मिल रहा।

(UNHCR दफ्तर के बाहर प्रदर्शन करते अफगानी लोग।)

अफगानिस्तान से पैसे आने हो गए बंद

धरने पर बैठे अफगानी नागरिक बताते हैं कि अफगानिस्तान में उन्होंने अपना घर शॉप वगैरह जो किराये पर दिया हुआ था। उससे जो पैसा आता था उसी से भारत में रहने के दौरान उनका घर खर्च चलता था। लेकिन अफगानिस्तान के बदले हालात के बाद वहां से उनके लिये पैसे आने बंद हो चुके हैं। इसके चलते उनके सामने बड़ा वित्तीय संकट खड़ा हो गया है। आय के सारे दरवाजे बंद हो चुके हैं। ऐसी परिस्थितियों में अफगानी नागरिक की सभी उम्मीदें यूनाइटेड नेशन हाई कमीशन फॉर रिफ्यूजी (UNHCR) से हैं।

रिफ्यूजी स्टेट्स देना दोबारा शुरू हो

रायदाजा के मुताबिक “ अफगानी नागरिक चाहते हैं कि रिफ्यूजी स्टेट्स की जिन मांगों को यूएनएचसीआर ने बंद कर दिया है, उसे दोबारा खोला जाये। जो शरणार्थी के तौर रहना चाह रहे हैं, उन्हें रिफ्यूजी कार्ड मिल जाये। अमेरिका कनाडा, यूरोपियन यूनियन समेत दुनिया के कई देश अफगानियों को रिफ्यूजी के तौर पर स्वीकार कर रहे हैं।”

क्या बच्चे, क्या बुजुर्ग, सब बैठे धरने पर

यूएनएचसीआर के दफ्तर के बाहर बड़ी संख्या में छोटे बच्चे और महिलाएं भी धरने पर बैठी हैं जो लगातार नारेबाजी कर रही हैं। कई महिलाएं तो अपने छोटे बच्चों को लेकर यहां पहुंची है। इनका साफ कहना है कि जब तक उन्हें रिफ्यूजी स्टेट्स नहीं मिल जाता तब तक वे यहां से नहीं हटेंगी। एक बुजुर्ग महिला हुमैरा शाहरुखी कहती हैं, भले ही एक या दो साल हो जाये लेकिन जब तक हमारी मांगे नहीं मानी जाती तब तक हम यहां बैठे रहेंगे। भले ही बारिश हो या आसमान से पत्थर बरसे। वो बताती हैं कि यहां छह महीने के बच्चे से लेकर 60 साल के बुजुर्ग भी हैं गर्भवती महिलाएं भी धरने पर बैठी हैं और वो इसलिये क्योंकि सभी बहुत मुश्किल में हैं। कोई कामकाज हमारे पास नहीं है और यूएनएचसीआर हमारी मदद नहीं कर रहा।

(UNHCR दफ्तर के बाहर प्रदर्शन करते अफगानी लोग।)

हमारी जान को वहां खतरा है, हम सरकार के लिये काम करते थे

अफगानियों को अपने भविष्य की चिंता सता रही है। अपने देश से बेघर होने के बाद कब तक वे यूँ ही ठोकरें खाते रहेंगे। अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हुमैरा शाहरुखी नम आंखों से कहती हैं, यूएनएचसीआर ने कुछ रिफ्यूजी स्टेट्स की मांगों को खारिज कर दिया। वे केस बंद हो गये। हमने कहा भी कि हमारी जान को वहां खतरा है हम सरकार के लिये काम करते थे, कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसी के साथ काम किया। यूएनएचसीआर को तब लगा होगा कि वहां ऐसे हालात नहीं है लेकिन तालिबान के आने के बाद अब तो वहां हालात बिलकुल बदल चुके हैं जिसे पूरी दुनिया देख रही है। फिर भी यूएनएचआरसी अपने रुख पर अड़ा हुआ है। इस परिस्थिति में भी रिफ्यूजी स्टेट्स नहीं दे रहा। यूएनएचआरसी की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रहा। ऐसे में बच्चों के शिक्षा का क्या होगा, उनके भविष्य का क्या होगा। खुदा न करे कि उन्हें भीख मांगने की नौबत आये।

ये हैं तीन मांग

आपको बता दें धरने पर बैठे अफगान सॉलिडेरिटी कमेटी ने तीन मांगों के साथ यूएनएचसीआर को दिए पत्र में लिखा है कि अफगानिस्तान में हालात बेहद खराब होते जा रहे हैं। ऐसे में फौरन भारत में रहे अफगानी नागरिकों को रिफ्यूजी का स्टेट्स दिया जाये। अफगानिस्तान से उनके परिवारों द्वारा मिलने वाला फाइनेंशियल सपोर्ट बंद हो चुका है। ऐसे हालात में जब तक वे भारत में हैं, यूएनएचसीआर उनके आजीविका के लिये हर सुविधा उपलब्ध कराये।

दफ्तर से निकलें अधिकारी

यूएनएचसीआर दफ्तर के गेट के बाहर माइक लेकर मोहम्मद दानिश उसके अधिकारी से अपील कर रहे हैं कि वे बाहर आकर अफगानियों से बात करें उनके दुख दर्द को समझें। बहरहाल यूएनएचसीआर के दफ्तर के बाहर बच्चे पुरुष महिलाओं के हाथों में बैनर पोस्टर हैं, जो अफगानिस्तान में तालिबान के क्रूरता की कहानी बयां करता है। तो कई पोस्टरों में लिखा है कि उन्हें रिफ्यूजी स्टेट्स प्रदान किया जाए। 

(इनपुट-विनीत शरण, अनुराग मिश्र और विवेक तिवारी)


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