अफगानिस्तान को घातक हथियार बिक्री पर जल्दबाजी नहीं
पीएम नरेंद्र मोदी की कल शुक्रवार को पहली बार अफगानिस्तान पहुंचेंगे। इस एक दिवसीय अफगानिस्तान यात्रा के दौरान भारत अपने इस पुराने मित्र देश के लिए कुछ नई मदद का ऐलान करेगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी की कल शुक्रवार को पहली बार अफगानिस्तान पहुंचेंगे। इस एक दिवसीय अफगानिस्तान यात्रा के दौरान भारत अपने इस पुराने मित्र देश के लिए कुछ नई मदद का ऐलान करेगा। लेकिन जिस मदद की आस अफगानिस्तान की अब्दुल ग़नी सरकार लगाये हुए उसको लेकर भारत बहुत जल्दबाजी दिखाने नहीं जा रहा है। हम अफगानिस्तान को घातक सैन्य हथियारों की बिक्री की बात कर रहे हैं। हाल ही में अफगानिस्तान को चार सैन्य हेलीकॉप्टर देने के फैसले के बावजूद घातक हथियारों की आपूर्ति को लेकर फिलहाल यूपीए सरकार की नीतियों को ही आगे बढ़ाने जा रही है।
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सूत्रों के मुताबिक भारत की तरफ से अफगानिस्तान को चार रूस निर्मित सैन्य हेलीकॉप्टर देने का फैसला हो गया है। आगे चल कर इस तरह के और हेलीकॉप्टर दिए जा सकते हैं। इसके अलावा अफगानिस्तानी सैन्य बलों को प्रशिक्षण को लेकर भारत बढ़ कर सहयोग करेगा। लेकिन युद्धक हथियारों की आपूर्ति को लेकर मौजूदा नीति नहीं बदली जाएगी। पाकिस्तान अफगानिस्तान और भारत के बीच होने वाले हर सैन्य सहयोग को काफी संदेह की दृष्टि से देखता है। यह एक अहम वजह है कि भारत अभी तक अफगानिस्तान को युद्ध में इस्तेमाल होने वाले घातक हथियारों की आपूर्ति करने से कतराता रहा है। ऐसे समय जब भारत ने पाकिस्तान के साथ अपने द्विपक्षीय रिश्ते को सामान्य बनाने की नए सिरे से कोशिश शुरु की है, सैन्य हथियारों को लेकर कोई बड़ा फैसला कर वह इस प्रक्रिया को क्षति नहीं पहुंचाएगा।
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बताते चलें कि अपनी इस यात्रा के दौरान मोदी अफगानिस्तान में भारत की मदद से तैयार संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। सूत्रों के मुताबिक मोदी और घनी के बीच होने वाली बातचीत द्विपक्षीय कारोबार को अब अगले मुकाम पर ले जाने के प्रस्ताव पर भी बात होगी। भारत ने अपने बाजार अफगानिस्तान निर्मित उत्पादों के लिए खोल तो रखे हैं लेकिन पाकिस्तान के अड़ंगे की वजह से अभी वहां से ट्रक भारत की सीमा तक नहीं आ पाते। अफगान से उत्पाद लाने वाले ट्रक पाक सीमा पर ही खाली करवा लिए जाते हैं। मोदी और ग़नी के बीच इस समस्या का समाधान निकालने के लिए वार्ता होगी। पिछले दिनों हार्ट ऑफ एशिया बैठक में भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अफगान के ट्रकों को अपनी अटारी सीमा पर स्वागत करने की बात कही थी लेकिन जब तक ऐसा नहीं होता है तब तक क्या किस तरह के विकल्प आजमाये जा सकते हैं, इसको लेकर दोनों देशों के बीच कल विचार विमर्श होगा।
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