आडवाणी की मनाही के बावजूद उन पर पुस्तक, आज होगा विमोचन
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी अब एक ऐसी किताब को लेकर चर्चा में हैं जिसका प्रकाशन वह नहीं चाहते थे।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के बाद से पृष्ठभूमि में रहे भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी अब ऐसी किताब की वजह से चर्चा में आ गए हैं जिसका प्रकाशन वह नहीं चाहते थे। आडवाणी के साथ बतौर सहायक लंबा वक्त गुजारने वाले विश्वंभर श्रीवास्तव की किताब 'आडवाणी के साथ 32 साल' का शुक्रवार को विमोचन है।
उसके पहले गुरुवार को आडवाणी के सचिव दीपक चोपड़ा ने बयान जारी कर कहा है कि इस किताब के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई थी। वस्तुत: किताब का प्रकाशन भी उनकी इच्छा के खिलाफ हुआ है। जबकि दैनिक जागरण से बातचीत में लेखक विश्वंभर श्रीवास्तव का कहना है कि वह सभी सवालों का जवाब विमोचन के वक्त ही देंगे।
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हालांकि इस पुस्तक के विमोचन को लेकर निमंत्रण काफी पहले ही भेजे जा चुके थे, आडवाणी की ओर से बयान एक दिन पहले आया। इस पुस्तक का विमोचन भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी करेंगे और अध्यक्षता की भूमिका में भाजपा सांसद आर के सिन्हा होंगे। जिस तरह आखिरी वक्त में किताब को लेकर बयानबाजी हुई है उससे रोचकता भी बढ़ गई है।
गौरतलब है कि एक खबर के अनुसार इस पुस्तक में लिखा गया है कि आडवाणी नहीं चाहते थे उनका पुत्र जयंत आडवाणी गांधीनगर से चुनाव लड़े। वह परिवारवाद के खिलाफ थे। हालांकि इस उद्धरण से आडवाणी की छवि और मजबूत ही होती है लेकिन जिस तरह स्पष्ट किया गया है कि किताब आडवाणी की इच्छा के खिलाफ प्रकाशित हुआ है उसने रहस्य भी पैदा कर दिया है।
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