फर्जी खबर नहीं रोकी तो सोशल मीडिया हेड पर होगी कार्रवाई
सोशल मीडिया के भारतीय प्रमुखों को यह संदेश दिया जा सकता है कि कानून का पालन करें या मुकदमे का सामना करें।
नई दिल्ली (प्रेट्र)। सोशल मीडिया के भारतीय प्रमुखों को यह संदेश दिया जा सकता है कि कानून का पालन करें या मुकदमे का सामना करें। फर्जी खबरों और अफवाहों के अलावा चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर रोक लगाने के संबंध में चर्चा के लिए गठित उच्चस्तरीय सरकारी समिति ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के समूह को अपनी रिपोर्ट सौंप दी हैं।
पिछले एक साल के दौरान देश में करीब 40 लोगों की उन्मादी हिंसा में मौत होने के बाद गठित सचिव स्तर के अधिकारियों की समिति ने मुद्दे पर विचार किया। वाट्सएप जैसे लोकप्रिय सोशल मीडिया में फर्जी समाचार फैलने के कारण हत्याएं होने का संदेह है। केंद्रीय गृह सचिव राजीव गउबा की अगुआई वाली समिति द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट पर विचार के बाद मंत्रियों का समूह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी सिफारिश सौंपेगा। मंत्रियों के समूह में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत शामिल हैं।
एक अधिकारी ने कहा, 'सभी ग्लोबल सोशल मीडिया के कंट्री रिप्रजेंटेटिव भारत में हैं। यदि उन्होंने अपनी साइट से आपत्तिजनक विषय और वीडियो नहीं हटाए तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।' रिपोर्ट सौंपने से पहले उच्चस्तरीय सरकारी समिति ने समाज के विभिन्न वर्गो एवं अन्य भागीदारों से बातचीत की। माना जा रहा है कि सचिवों ने संसदीय मंजूरी के जरिये भारतीय दंड विधान और अपराध प्रक्रिया संहिता में उपधारा शामिल कर कानून कड़ा करने का सुझाव दिया है।
गृह मंत्रालय राज्यों को जारी कर चुका है परामर्श
पिछले महीने केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को परामर्श जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट के उन्मादी हिंसा पर रोक लगाने संबंधी दिशानिर्देश के आलोक में मंत्रालय ने यह कदम उठाया। केंद्र ने उनसे हर जिले में पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी की नियुक्ति, सूचना एकत्र करने के लिए विशेष कार्य बल गठित करने और बच्चा चोर या पशु तस्कर होने के संदेह में भीड़ को हमला करने से रोकने के लिए सोशल मीडिया कंटेंट पर गहरी निगाह रखने को कहा है।