जिस अधिकारी ने किया भंडाफोड़, उसी के पीछे पड़ गई आप
आयकर विभाग ने 23 नवंबर को आम आदमी पार्टी को 30 करोड़ रुपये के टैक्स का जो नोटिस भेजा है, उसमें दिलीप पांडेय की इस आरटीआइ का भी जिक्र किया है।
हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। आरटीआइ पारदर्शिता की लड़ाई में बड़ा हथियार माना जाता है। लेकिन अगर इसका इस्तेमाल पारदर्शिता रोकने के लिए हो तो..? कुछ ऐसा ही वाकया आम आदमी पार्टी के चंदा कांड के खुलासे के दौरान हुआ। आयकर विभाग के जिस कमिश्नर ने आप के चंदे में हेरा-फेरी का खुलासा किया, पार्टी के नेता आरटीआइ को हथियार बनाकर उसी अधिकारी के पीछे पड़ गए।
सूत्रों के मुताबिक, आयकर विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर (एग्जेम्पशंस) साकेत सिंह ने जब आम आदमी पार्टी को आयकर कानून, 1961 की धारा 142 (1), 142 (2) और 142 (3) के तहत नोटिस जारी किया तो जवाब देने के बजाय, पार्टी के एक नेता ने आरटीआइ लगाकर सिंह के कामकाज पर ही सवाल उठा दिए। आप नेता दिलीप पांडेय ने 15 जून 2017 को सिंह के कामकाज का ब्यौरा आयकर विभाग से मांगते हुए एक आरटीआई दाखिल की जिसमें उन्होंने कुल आठ सवाल पूछे। पांडेय ने अपने आरटीआइ आवेदन में स्पष्टत: उल्लेख किया कि वह असिस्टेंट कमिश्नर साकेत सिंह के संबंध में जानकारी चाहते हैं। पांडेय ने पूछा कि साकेत सिंह ने असिस्टेंट कमिश्नर (एग्जेम्पशंस) की हैसियत से दिल्ली में कितनी सर्च की हैं? पांडेय ने आयकर विभाग से इन सर्च का ब्यौरा भी मांगा।
आयकर विभाग ने 23 नवंबर को आम आदमी पार्टी को 30 करोड़ रुपये के टैक्स का जो नोटिस भेजा है, उसमें दिलीप पांडेय की इस आरटीआइ का भी जिक्र किया है।
दैनिक जागरण ने जब इस बारे में पांडेय की प्रतिक्रिया जानने को उनके आरटीआइ आवेदन में दिए गए नंबर पर कॉल किया तो नीरज पांडेय से बात हुई। नीरज पांडेय ने दैनिक जागरण से कहा कि वह आम आदमी पार्टी में आरटीआइ का कामकाज देखते हैं। इसलिए उनका नंबर इस आरटीआइ आवेदन पर दिया गया है। उन्होंने बताया कि आयकर विभाग ने आरटीआइ कानून के तहत छूट का हवाला देकर सूचना देने से मना कर दिया। उन्होंने यह भी बताया कि पार्टी नेता ने इस मुद्दे पर कई आरटीआइ लगायीं।
आयकर विभाग के सूत्रों का कहना है कि आप के नेताओं ने आरटीआइ लगाकर जांच से ध्यान भटकाने का प्रयास किया। सूत्रों ने कहा कि आयकर विभाग ने टैक्स के नोटिस में जांच अधिकारी के खिलाफ आरटीआइ को इसलिए रेखांकित किया है ताकि यह साबित किया जा सके कि आम आदमी पार्टी ने इस मामले की जांच के दौरान किस तरह असहयोग किया।
उल्लेखनीय है कि आम आदमी पार्टी के चंदे में धांधली का यह मामला आकलन वर्ष 2015-16 का है। आयकर विभाग का कहना है कि पार्टी ने चंदे की पूरी राशि न तो अपने बही खाते में दिखायी और न ही चुनाव आयोग को बतायी, इसीलिए उसे आयकर कानून के तहत मिली छूट को रद्द किया गया। यही वजह है कि अब आयकर विभाग ने पार्टी को 30 करोड़ रुपये टैक्स जमा करने को नोटिस जारी किया है।
यह भी पढ़ें: दिल्ली बन गई गैस चैंबर और सोती रही केजरीवाल सरकार : विजय गोयल